बस्तर : पिछले कुछ दिनों से बस्तर के आदिवासियों को अपने ही बिरादरी के आदिवासियों के विरोध का लगातार सामना करना पड़ रहा (Ruckus over the meaning of tribal in Jagdalpur) है. ऐसा ही एक विरोध की तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही (Ruckus over burial of dead body in Jagdalpur) है. इस तस्वीर को देखकर यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि बस्तर में मौत के बाद भी मृत शरीर को सुकून से दफनाने की अनुमति नहीं है. यानी इन दिनों यदि बस्तर में मरने वालों को मौत के बाद भी चैन नहीं मिल रहा है. सोशल मीडिया में जो तस्वीर वायरल हो रही है. उसमें एक परिवार मृतक के शरीर का अंतिम संस्कार करने मरघट की ओर बढ़ रहा है, जिसके बाद कुछ ग्रामीण झुंड में एकत्रित होकर कंधे पर रखे अर्थी के पास पहुंचकर धक्का-मुक्की करते दिख रहे हैं. ईटीवी भारत ने इस तस्वीर की सच्चाई जानने की कोशिश की और सोशल मीडिया में वायरल हो रही जगह के बारे में जानकारी ली.
आदिवासी की अर्थी को लेकर बवाल कहां की है तस्वीर :इस तस्वीर की हकीकत जानने के लिए हम बस्तर जिले के दरभा थाना क्षेत्र के नागलसर पंचायत (case of Nagalsar of Darbha police station area) पहुंचे. जहां वायरल हो रहे वीडियो के बारे में लोगों से बात की. जानकारी इकट्ठा करने के बाद हम आखिरकार उस परिवार तक पहुंच गए जिसके साथ ये वाक्या हुआ था. परिवार के सदस्य पांडुराम ने बताया कि '' रात के समय उनकी दादी की मौत हो गई थी. जिसके बाद अगली सुबह वे मृत शरीर को लेकर मरघट की ओर रवाना हुए . इसी बीच गांव के ही कुछ लोगों समेत शासकीय कर्मचारी ने अर्थी के पास पहुंचकर धक्का-मुक्की की. सभी लोग शव को दफनाने से मना कर रहे थे.''
पुलिस के पास पहुंचा मामला: विरोध के बाद पांडु और उनका परिवार शव लेकर दूसरी तरफ बढ़ने लगे.तभी उस जगह पर भी ग्रामीण आ गए और अंतिम संस्कार नहीं होने दिया. ये सिलसिला काफी समय तक चला. आखिरकार पीड़ित परिवार ने काफी भटकने के बाद अर्थी को लेकर वनोपच जांच चौकी के पास रख दिया.इस बात की जानकारी पुलिस तक पहुंची. सूचना मिलते ही 1 घंटे के बाद केशलूर SDOP ऐश्वर्य चंद्राकर (Keshloor SDOP Aishwarya Chandrakar) के नेतृत्व में बस्तर पुलिस की टीम मौके पर पहुंची. शव के अंतिम संस्कार को लेकर दोनों पक्षों से बातचीत की गई.जिसके बाद पुलिस की मदद से पीड़ित परिवार ने शव को खुद के निजी जमीन में दफनाया और विवाद शांत हुआ.
क्यों हुआ शव दफनाने का विरोध : जब हमने पांडुराम से पूछा कि ''आखिर क्यों ग्रामीण उनके साथ ऐसा बर्ताव करते हैं. तो जवाब देते हुए पांडुराम ने बताया कि उनके चाचा लंबे समय से बीमारी की अवस्था से जूझ रहे थे. वे चल फिर नहीं पाते थे. तब उन्हें कंधे के सहारे उठाकर पड़ोसी गांव टोपर ले जाया गया. जहां उन्होंने यीशु मसीह के भवन में प्रार्थना कराई.प्रार्थना करने के बाद वे ठीक हो गए.इस घटना के बाद उनका पूरा परिवार ईसाई धर्म को मानने लगे.अभी तक उनका परिवार ईसाई धर्म के अनुसार अपना जीवन यापन कर रहा है. यही कारण है कि उनके साथ ऐसी स्थिति लगातार निर्मित हो रही है. क्योंकि गांव वाले उन्हें ईसाई मानते हुए परिवार का बहिष्कार कर रहे हैं.अब परिवार की मांग है कि ऐसी विरोध की स्थिति दुबारा निर्मित न हो इसीलिए इस जगदलपुर ब्लॉक के नागलसर पंचायत में एक मसीह कब्रिस्तान बनाया जाए. ताकि ग्रामीणों को दुःख की स्थिति में ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े.''