रायपुरःछत्तीसगढ़ में कई दिनों से रोलिंग मिल (Rolling mills ) के लगातार बंद (Close) होने की खबरें सामने आ रही है. यहां तक कि 10 से ज्यादा रोलिंग मिल्स पर तो ताला लग चुका है. जबकि 150 से अधिक बंद होने के कगार पर है. कुल मिलाकर रोलिंग मिलों का भविष्य मौजूदा समय में खतरे में है. जिसका मुख्य कारण महंगी बिजली (Expensive electricity), महंगा कोयला (expensive coal) और कोयले की अनुपलब्धता (Coal crisis) है. वहीं बीएसपी से मिलने वाला कच्चा माल भी मिलना बंद हो गया है. जिसके कारण रोलिंग मिल संचालक मिल का संचालन करने में असमर्थ दिख रहे हैं.
खतरे में रोलिंग मिलों का भविष्य छत्तीसगढ़ में करीब 200 रोलिंग मिलें
बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में करीब 200 रोलिंग मिल्स हैं, जबकि 125 मिलें अकेले राजधानी रायपुर में है. इन मिल्स में कोयला के बढ़ते दाम और उसकी कमी की वजह से काम पूरी तरह से ठप्प पड़ा हुआ है. जिसके कारण रोलिंग मिल संचालकों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. मिल संचालक बताते हैं कि पहले तो महामारी के कारण हम टूट ही चुके थे, लेकिन अब महंगी बिजली के साथ बढ़ते कोयला के दामों ने हमारी कमर तोड़ रखी है.
एक दो माह में 50 फीसद मिल हो सकता है बंद
वहीं इस विषय में ईटीवी से बातचीत के दौरान छत्तीसगढ़ स्टील रि रोलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष (President of Chhattisgarh Steel Re Rollers Association) मनोज अग्रवाल (Manoj Agarwal ) ने बताया कि छत्तीसगढ़ में करीब 200 रोलिंग मिलें (Rolling mill ) हैं. उसमें से 10 से 12 रोलिंग मिलें बंद हो गई है, बाकी रोलिंग मिलें 50 फीसद उत्पादन में चल रही हैं. यही स्थिति रही तो एक दो माह में 50 प्रतिशत रोलिंग मिलें बंद हो जाएगी. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो रोलिंग मिल का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा.
कोयले के कीमत में अचानक इजाफा
साथ ही मनोज अग्रवाल बताया कि वर्तमान में कोयले की बहुत बड़ी समस्या आ गई है, रोलिंग मिलें पहले कोयला एसीएसीएल से लेती थी. एसीएसीएल से कोयले की आपूर्ति 10 से 15 प्रतिशत ही होती थी. ऐसे में बैलेंस के लिए आयातित कोल पर निर्भर हो गए और इंडोनेशिया से कोयला मंगाने लगे. जिसकी कीमत आज से 6 माह पहले 6 हजार रुपये प्रति टन थी, हालांकि वर्तमान 17 से 18 हजार रुपये प्रति टन कीमत ही गई है. साथ ही कोयले की ग्रेड भी बहुत खराब आने लगी है. हमने सरकार से मांग की है कि एसीएसीएल से हमें लिंकेज दिलाए, ताकि हमारे सदस्यों को उचित मूल्य में कोयला मिल जाए.
बिजली महंगी होने से भी दिक्कतें
आगे मनोज अग्रवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 200 रोलिंग मिले हैं. इसमें से करीब 100 रोलिंग मिले छोटी हैं. इन रोलिंग मिलों का बिजली प्रति यूनिट 8.50 रुपये पड़ रहा है. वहीं अन्य स्किल उद्योग की बिजली 5.50 रुपये प्रति यूनिट है, जबकि दोनों ही एक जैसा ही प्रोडक्ट बना रहे हैं. ऐसे में हम अपने ही प्रदेश के सेम ट्रेड वालों से कॉम्पिटिशन हो जा रहा है. इस तरह नुकसान की वजह बिजली भी है.
मिल बंद होने से हजारों लोग होंगे बेरोजगार
एसोसिएशन के अध्यक्ष बताते हैं कि रोलिंग मिल संचालकों की स्थिति ठीक नहीं चल रही है. भिलाई स्टील प्लांट का 80 फीसद माल टाटा स्टील में चला जा रहा है. यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारे प्रदेश में माल होते हुए भी प्रदेश के रोलिंग मिलों को नहीं मिल पा रहा है. हमारी एसोसिएशन ने सरकार का ध्यान इस ओर दिलाया है. वहीं, छत्तीसगढ़ में जितने रोलिंग मिल हैं वहां 35 हजार से अधिक लोग रोजगार से जुड़े हुए हैं, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से भी उतने ही लोग जुड़े हैं. यदि रोलिंग मिलें बंद हुई तो हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे.