रायपुर: प्रदेश में धान और चावल राजनीति का एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. जहां पहले धान खरीदी को लेकर पक्ष-विपक्ष आमने सामने खड़े थे तो वहीं अब दूसरी ओर केंद्रीय पूल में चावल ना लिए जाने को लेकर पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. आलम है कि अब राज्य सरकार ने सीधे तौर पर केंद्र सरकार पर सहयोग ना करने का आरोप लगाया है. इस मामले को लेकर पीएम से मिलने की जुगत में लग गए है. मुख्यमंत्री ने चावल को लेकर सीधे प्रधानमंत्री से मिलकर चर्चा करने की बात कही है. हालांकि अभी तक उन्हें पीएम से मुलाकात का समय नहीं मिला है.
'केंद्र से सहयोग नहीं मिल रहा ये कहना गलत है'
केंद्रीय पूल में चावल का कोटा बढ़ाने के विवाद को लेकर अब सत्तापक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर वादे पर खरा नहीं उतरने का आरोप लगा रहे हैं. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार चावल और किसान के मामले में फेल हो चुकी है. इस वजह से अपनी कमियां छुपाने केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है. कभी केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करते हैं तो कभी प्रधानमंत्री से मिलने की बात करते हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री से मिले इसमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हर मुलाकात के बाद ये कहना कि सहयोग नहीं मिल रहा है ये सही नहीं है. केंद्र और राज्य सरकारों की अपनी अपनी योजनाएं रहती है. अपनी-अपनी क्षमता रहती है और अपने-अपने हिसाब से सरकारें काम करती हैं.
'केंद्र सरकार अपने वादे से पीछे हट रही है'
बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेंगे. लेकिन अब केंद्र सरकार अपने इस दायित्व से मुकरने की कोशिश कर रही है. यह पूरी तरीके से गलत है. छत्तीसगढ़ के धान उगाने वाले किसानों के साथ अन्याय है.