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रायपुर में देशभक्ति का जज्बा: रिटायर्ड फौजी दे रहे युवाओं को सेना में भर्ती के लिए फ्री ट्रेनिंग - Retired soldier Panna Lal Sinha

free military training in raipur: रिटायर्ड फौजी पन्ना लाल सिन्हा रायपुर में युवाओं को निःशुल्क सैन्य प्रशिक्षण दे रहे हैं.पन्नालाल के लिए इसकी शुुरूआत करना आसान नहीं था. शुरूआती दौर में तीन बच्चों के साथ नि:शुल्क ट्रेनिंग देने की शुरुआत (free military training in raipur) हुई. अब धीरे-धीरे संख्या बढ़ती जा रही है.

Retired military children are awakening the spirit of patriotism
रिटायर्ड फौजी बच्चों में जगा रहे देशभक्ति का जज्बा

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Published : Jan 20, 2022, 7:12 PM IST

Updated : Jan 20, 2022, 8:26 PM IST

रायपुर:मैं अपने देश का हरदम सम्मान करता हूं, यहां की मिट्टी का ही गुणगान करता हूं. मुझे डर नहीं है अपनी मौत से, तिरंगा बने कफन मेरा, यही अरमान रखता हूं...ये पंक्तियां रायपुर के नौनिहालों पर बिल्कुल सटीक बैठती है. करीब 120 बच्चे इन दिनों सेना में शामिल होकर देश सेवा में जुड़ने को तत्पर हैं. इनके प्रेरणास्रोत रिटायर्ड फौजी पन्ना लाल सिन्हा (Retired soldier Panna Lal Sinha) हैं. वे पिछले कुछ सालों से इन बच्चों को निःशुल्क सेना और पुलिस में भर्ती की ट्रेनिंग दे रहे हैं. पन्नालाल के लिए इसकी शुुरूआत करना आसान नहीं था. शुरूआती दौर में तीन बच्चों के साथ नि:शुल्क ट्रेनिंग देने की शुरुआत (free military training in raipur) हुई. अब धीरे-धीरे संख्या बढ़ती जा रही है.

रायपुर में देशभक्ति का जज्बा

बच्चों को ट्रेनिंग देने का आइडिया कैसे आया?

पहले सेना भर्ती के दौरान प्रदेश के बच्चे शारीरिक परीक्षाओं के लिए पूरी तरह फिट नहीं रहते थे. प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं मिलने की वजह से यह परेशानी आती थी. इसी बात को ध्यान में रखकर रिटायर्ड फौजी ने यह बीड़ा उठाया कि रायपुर शहर और आसपास के नौजवानों को नि:शुल्क ट्रेनिंग दी जाए ताकि ये बच्चे आसानी से फिजिकल टेस्ट पास कर सकें. पन्नालाल की मेहनत रंग ला रही है. अब उनके प्रयास के सकारात्मक परिणाम भी बच्चों के प्रदर्शन में दिखने लगे हैं.

सैनिक ट्रेनिंग के हर गुण सिखाए जा रहे

रायपुर के कमल विहार में युवाओं को पिछले दो साल से रिटायर्ड फौजी पन्नालाल आर्मी, पुलिस की ट्रेनिंग दे रहे हैं. यहां प्रशिक्षण ले रहीं डॉली ने बताया कि,'' मैं पिछले 7 माह से आ रहीं हूं. यहां लोगों को अच्छी ट्रेनिंग मिल रही है ताकि भविष्य में हम पढ़ाई के बाद पुलिस या आर्मी में आसानी से भर्ती हो सकें. यहां हमें हाई जंप, रनिंग समेत फिजिकल फिटनेस से जुड़ी वो सभी टेक्निक बताई जा रही है, जो आर्मी या पुलिस के जवानों को भर्ती के दौरान दी जाती है. यहां भर्ती परीक्षा की भी जानकारी दी जा रही है.''

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निःशुल्क दी जा रही ट्रेनिंग

पिछले 4 माह से रिटायर्ड फौजी के पास ट्रेनिंग में आ रहे आर्यन ने बताया, ''हर रोज सुबह 5: 30 बजे से ट्रेनिंग शुरू हो जाती है. सबसे पहले हम लोगों की ट्रेनिंग रनिंग से होती है. उसके बाद ऊंची कूद, गोला फेंक समेत हर वो चीज की एक्टिविटीज कराई जाती है, जो भर्ती के समय जरूरी होती है. इसके साथ ही बीच-बीच में एग्जाम भी लिया जाता है. फिजिकल टेस्ट भी होता है. आज ही हमारा 1600 मीटर के दौड़ का टेस्ट हुआ है. यहां किसी से भी पैसा नहीं लिया जाता. निःशुल्क ट्रेनिंग दी जाती है. मैं सेना में जाना चाहता हूं. इसलिए यहां ट्रेनिंग लेने आ रहा हूं.''

पूर्व सैनिक भी मदद के लिए आए सामने

सूबेदार के पद से रिटायर हो चुके डीपी पटेल भी पन्ना लाल का साथ दे रहे हैं. उन्होंने बताया, ''रिटायरमेंट के बाद हमारे कंधे पर बंदूक नहीं है. हमने सोचा कि देश सेवा कैसे की जाए और बंदूक नहीं है तो देश सेवा का और भी कोई माध्यम होता है... तो हम उसे करेंगे..हमने सोचा कि क्यों ना हम जिस तरह से फौजी बने, वैसे ही दूसरे बच्चों को फौजी बनने के लिए प्रेरित करें. जो आर्थिक संपन्न नहीं है, ऐसे बच्चों को क्यों ना हम प्रशिक्षण दें. यह मेरे मन में था. उसके बाद मैंने सुना कि यहां पर पन्नालाल सर हैं, जो प्रशिक्षण दे रहे हैं. उनके माध्यम से मैं यहां शामिल हुआ.''

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हर रोज ध्वजारोहण के बाद होता है राष्ट्रगान

रिटायर्ड फौजी पन्नालाल कहते हैं कि देशभक्ति का जज्बा हर एक में होना चाहिए. हर घर से देशभक्त निकले इसी उद्देश्य के साथ मैंने ट्रेंनिग देने की शुरूआत की. शुरूआती दौर में मात्र 3 बच्चों को ही ट्रेनिंग दे रहा था. लेकिन आज मेरे पास 120 बच्चे ट्रेनिंग के लिए आ रहे हैं. यह सभी बच्चे रायपुर के कोने-कोने से आते हैं. इसके अलावा दूर-दूर से भी कई युवक-युवतियां प्रशिक्षण के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि वे फौज में 1987 में भर्ती हुए थे. उसके बाद 1999 में कारगिल युद्ध के बाद 2005 में रिटायर हुए. उनका यह मकसद है कि बच्चों को फ्री में फिजिकल ट्रेनिंग दिया जाए, क्योंकि छत्तीसगढ़ के बच्चे फौज में बहुत कम हैं. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में प्रत्येक घर से फौजी निकलते हैं. यहां ट्रेनिंग के बाद हर रोज ध्वजारोहण और राष्ट्रगान होता है. बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उन्होंने रिटायर्ड सैनिक साथियों से मदद मांगी, जिसके बाद रिटायर्ड फौजी भी आकर उनकी मदद कर रहे हैं.

Last Updated : Jan 20, 2022, 8:26 PM IST

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