रायपुर:जल ही जीवन है, जल है तो कल है. ऐसे स्लोगन और कोट्स आए दिन अखबारों, सोशल मीडिया और दीवारों में लिखे हुए नजर आते हैं, लेकिन जल संरक्षण (water conservation in raipur) को लेकरराजधानी रायपुर के साईं वाटिका कॉलोनी (sai vatika colony, raipur) में रहने वाले लोगों ने बहुत अच्छे से अपने जीवन में उतार लिया है. तभी वह न केवल बारिश के पानी को वाटर हार्वेस्टिंग (water harvesting) से बर्बादी से बचा रहे हैं. बल्कि अपने पानी संबंधित जरूरतों को सीमित कर और उसका विवेक पूर्वक उपयोग कर पानी की खपत को लगभग आधा कर दिया है. लोगों की यह पहल पानी बचाने की दिशा में दूसरों के लिए एक मिसाल है.
ऐसे हुई शुरुआत
साईं वाटिका कॉलोनी के रहने वाले लोगों ने बताया शुरुआत में कॉलोनी का मेंटेनेंस कॉलोनाइजर की ओर से किया जाता था. उस दौरान गर्मी के दिनों में जलसंकट के समय पानी टैंकर से सप्लाई होता था. जब कॉलोनी डिवेलपर ने निवासी को मैनेजमेंट सौंपा. उसके बाद 2007 में कॉलोनी के लोगों ने साईं वाटिका कॉलोनी रेसीडेंसी एसोसिएशन का गठन किया गया. उसके बाद सभी ने मिलकर कॉलोनी के घरों से बारिश के पानी को एकत्रित करने की योजना बनाई. इसके लिए कॉलोनी में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है.
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दिन में एक बार ही पानी देने की हुई शुरुआत
रहवासियों ने बताया कि, पानी को बचाने के लिए सभी लोगों ने निर्णय लिया कि सभी 1 दिन में 1 हजार लीटर पानी में अपनी दिनचर्या चलाएंगे. सभी के घर में दिन में एक बार कम्युनिटी बोर से पानी की सप्लाई की जाती है. आज भी जल की समस्या दूर होने के बाद भी यहां के निवासियों ने अपने जीवन में पानी के महत्व को समझते हुए कम पानी में अपने जीवन यापन करना सीख लिया है.
3 से 4 लाख रुपए की बचत
कॉलोनी के पूर्व अध्यक्ष धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि शुरुआत में गर्मियों के समय बाहर से टैंकर बुलाना पड़ता था. ऐसे में गर्मी के समय 3 से 4 लाख रुपए पानी टैंकर का भुगतान करना पड़ता था, लेकिन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगने के बाद अब यहां टैंकर नहीं बुलाना पड़ता है. वहीं कॉलोनीवासियों पर आने वाला आर्थिक बोझ भी कम हुआ है. वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से बोर भी रिचार्ज हो गए हैं. वहीं जमीन का जल स्तर भी बढ़ गया है.