रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना काल के बीच सबसे ज्यादा विटामिन सी की खपत हुई है. लोगों ने अपने डाइट में ऐसी चीजें शामिल की, जिसमें विटामिन सी की मात्रा अधिक थी. ऐसी चीजों को ज्यादातर सेवन किया, जिसके माध्यम से लोगों को विटामिन सी मिल सके. साथ ही इसके लिए विटामिन सी के कई कैप्सूल्स खाए हैं, लेकिन अब रायपुर में गोलियों की बिक्री में भारी कमी आई है.
विटामिन C और हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की खपत में कमी राजधानी रायपुर में एक समय ऐसा था, जब सबसे ज्यादा मेडिकल स्टोर्स पर विटामिन सी की दवाइयों की मांग थी, लेकिन अब स्थिति सामान्य होती नजर आ रही है. जुलाई से अक्टूबर के बीच कोरोना का छत्तीसगढ़ में पीक था. हर गली मोहल्ले में कोरोना वायरस के मरीज मिल रहे थे. लोगों में भी कोरोना का खौफ था. लोग डर के कारण इम्यूनिटी बढ़ाने और कोरोना से बचने के लिए कई तरह की दवाओं का इस्तेमाल कर रहे थे.
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विटामिन सी और डी गोलियों की बिक्री में गिरावट
रायपुर में जुलाई से अक्टूबर के बीच विटामिन सी और डी की 10 लाख टेबलेट बिक रही थी. इन दवाओं की कमी हो गई थी. मेडिकल शॉप में गोलियों के लिए लोगों की लाइन लगी रहती थी. डिमांड के बाद भी पूर्ति नहीं हो पा रही थी, लेकिन अब बाजार का हाल बदल गया है. एक महीने में 10 हजार गोलियां ही बिक पा रही है. मांग अब सामान्य हो गई है.
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विटामिन सी और डी की घटी मांग
दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष विजय कृपलानी ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण हाइड्रोक्लोरिक और आईवरमेक्टीन का उपयोग भी बढ़ गया था, लेकिन अब स्थिति सामान्य है. अब दवाई दुकानों में विटामिन सी और डी की मांग ज्यादा नहीं है. दवाइयों की खपत की बात करें, तो 1 महीने में 10 हजार गोलियां ही बिक पा रही हैं. अचानक से 2 महीने पहले इसकी खपत 100 गुना बढ़ गई थी, लेकिन अब 10 प्रतिशत ही बिक पा रही है.
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एंथरोसिन और पेरासिटामोल की डिमांड में आई कमी
विजय कृपलानी ने बताया कि लिंक एंथरोसिन और पेरासिटामोल की भी खपत कई गुना तक बढ़ गई थी, लेकिन अब इन सारी दवाइयों की मांग आसमान से जमीन पर उतर गई है. अब इन दवाइयों की डिमांड पहले जितनी नहीं रही, सामान्य हो गई है. इसके सथ ही हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की भी मांग बढ़ी थी.
हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की बिक्री में भारी गिरावट
विजय कृपलानी ने कहा कि आमतौर पर मलेरिया में काम आने वाली दवाई हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन को कोरोना वायरस से बचने के लिए कि उपयुक्त मानी जा रही थी. बाजार में अचानक से इसकी भी मांग तेज हो गई थी. लंबे समय तक तो यह बाजारों से गायब ही हो गई थी. इसकी ज्यादा खपत ना होने के कारण इसको ज्यादा बनाया भी नहीं जा रहा था. हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन खपत पहले बमुश्किल 1 सप्ताह में 10 से 12 स्ट्रिप होती थी, लेकिन कोरोना वायरस के बीच इसकी खपत तीन से चार सौ स्ट्रीप हो गई थी, लेकिन अब इनके खरीदार भी नहीं मिल रहे हैं.