रायपुर: केंद्र सरकार बिजली के नियमों में संशोधन कर ECEA यानि ‘विद्युत अनुबंध प्रवर्तन प्राधिकरण’ बनाना चाह रही है. केंद्रीय मंत्रालय ने मसौदा जारी कर राज्य सरकारों से 3 हफ्ते के भीतर अपने सुझाव देने को कहा है. प्रस्तावित प्राधिकरण बिजली उत्पादक और वितरण कंपनियों के बीच बिजली खरीद समझौते से जुड़े विवाद का निपटारा करेगा. बिजली से जुड़े तमाम विधेयकों के मसौदे के मुताबिक अनुबंधों की किसी धारा पर संबंधित पक्षों की स्थिति के बारे में निर्णय करने का अधिकार केवल ECEA को होगा.
हालांकि इसके फैसले को एपटेल यानि विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण और उसके बाद उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी. बता दें कि अभी ऐसे विवाद केंद्र और राज्यों के स्तर पर कई मंचों पर उठाये जाते रहे हैं. जानकारों के मुताबिक ECEA बिजली वितरण और उत्पादक कंपनियों के बीच विवाद निपटाने के मामले में केंद्र और राज्यस्तरीय बिजली नियामकों की शक्ति को कम करेगी.
राज्य की स्कीमों पर असर
जानकारों के मुताबिक इससे पहले हुए निजीकरण के प्रयोग फेल ही हुए हैं.ECEA बिजली की बिक्री, खरीद या ट्रांसमिशन से जुड़े सभी मामलों पर फैसला करने के लिए एकमात्र इकाई होगा. इस बिल के आने से राज्य सरकारों की ओर से किसानों, उद्योगों, निम्न और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए चलाई जा रही बिजली बिल हाफ जैसी स्कीमों पर भी असर पड़ सकता है. इसके साथ ही बिजली के बिलों में भी इजाफे के संकेत हैं. जिसके उदाहरण में ये देखा जा सकता है कि अन्य राज्यों के मुकाबले प्रति यूनिट बिजली मुंबई में काफी महंगी लगभग 10रूपए प्रति यूनिट है. जानकार ये मान रहे हैं कि ये विधेयक निजी बिजली कंपनियों को फायदा पहुचाने के लिहाज से ही बनाया जा रहा है. इस विधेयक के बाद आम लोगों को पूरा बिल देना होगा और राज्य सरकारों को इस छूट का पैसा सीधे बिजली उपभोक्ताओं के खाते में जमा करना पड़ सकता है. इसके कई तरह के दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं.