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विद्युत वितरण के नियमों में संशोधन का क्या होगा असर, ETV भारत की विशेष पड़ताल

केंद्र सरकार बिजली के नियमों में संशोधन कर ‘विद्युत अनुबंध प्रवर्तन प्राधिकरण’ की ओर बढ़ रही है. फिलहाल छत्तीसगढ़ सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन राज्यों ने इस पर विरोध दर्ज करा दिया है. ETV भारत ने इस बिल से राज्य के विद्युत सेवा में पड़ने वाले असर के बारे में जानने की कोशिश की है.

Effect of amendment in rules of electricity
बिजली के नियमों में संशोधन का असर

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Published : May 19, 2020, 1:11 PM IST

Updated : May 19, 2020, 4:56 PM IST

रायपुर: केंद्र सरकार बिजली के नियमों में संशोधन कर ECEA यानि ‘विद्युत अनुबंध प्रवर्तन प्राधिकरण’ बनाना चाह रही है. केंद्रीय मंत्रालय ने मसौदा जारी कर राज्य सरकारों से 3 हफ्ते के भीतर अपने सुझाव देने को कहा है. प्रस्तावित प्राधिकरण बिजली उत्पादक और वितरण कंपनियों के बीच बिजली खरीद समझौते से जुड़े विवाद का निपटारा करेगा. बिजली से जुड़े तमाम विधेयकों के मसौदे के मुताबिक अनुबंधों की किसी धारा पर संबंधित पक्षों की स्थिति के बारे में निर्णय करने का अधिकार केवल ECEA को होगा.

बिजली वितरण के नए नियम का असर

हालांकि इसके फैसले को एपटेल यानि विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण और उसके बाद उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी. बता दें कि अभी ऐसे विवाद केंद्र और राज्यों के स्तर पर कई मंचों पर उठाये जाते रहे हैं. जानकारों के मुताबिक ECEA बिजली वितरण और उत्पादक कंपनियों के बीच विवाद निपटाने के मामले में केंद्र और राज्यस्तरीय बिजली नियामकों की शक्ति को कम करेगी.

राज्य की स्कीमों पर असर

जानकारों के मुताबिक इससे पहले हुए निजीकरण के प्रयोग फेल ही हुए हैं.ECEA बिजली की बिक्री, खरीद या ट्रांसमिशन से जुड़े सभी मामलों पर फैसला करने के लिए एकमात्र इकाई होगा. इस बिल के आने से राज्य सरकारों की ओर से किसानों, उद्योगों, निम्न और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए चलाई जा रही बिजली बिल हाफ जैसी स्कीमों पर भी असर पड़ सकता है. इसके साथ ही बिजली के बिलों में भी इजाफे के संकेत हैं. जिसके उदाहरण में ये देखा जा सकता है कि अन्य राज्यों के मुकाबले प्रति यूनिट बिजली मुंबई में काफी महंगी लगभग 10रूपए प्रति यूनिट है. जानकार ये मान रहे हैं कि ये विधेयक निजी बिजली कंपनियों को फायदा पहुचाने के लिहाज से ही बनाया जा रहा है. इस विधेयक के बाद आम लोगों को पूरा बिल देना होगा और राज्य सरकारों को इस छूट का पैसा सीधे बिजली उपभोक्ताओं के खाते में जमा करना पड़ सकता है. इसके कई तरह के दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं.

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नियुक्ति की शक्ति होगी कम

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग के मेंबर और उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन पावर कमेटी के चेयरमैन श्याम काबरा कहते हैं कि अबतक राज्यों में नियामक आयोग में अध्यक्ष और सचिव स्तर की नियुक्ति राज्य सरकार करती रही है. इस विधेयक के आने के बाद नियुक्ति केंद्र सरकार की अथॉरिटी ही कर पाएगी. ऐसे में यहां बिजली अथॉरिटी से जुड़े व्यक्ति ही नियुक्त हो पाएंगे.अभी नियुक्ति राज्य सरकार के हाथों में होने से कई तरह की खामी के बाद भी आयोग सरकार के खिलाफ नहीं जा सकता है. हालांकि श्याम काबरा का ये भी कहना है कि आम लोगों और उद्योगों की तमाम छूट पर इस एक्ट के आने से कई तरह की मुश्किलें बढ़ेंगी.

टकराव की स्थिति

ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली क्षेत्र में विभिन्न सुधारों के लिए मसौदा प्रका‌शित किया है. मंत्रालय ने मसौदे के विभिन्‍न प्रावधानों पर ‌टिप्पणियां मांगी हैं. इस विधेयक को लेकर तमिलनाडु, केरल, बिहार और तेलंगाना जैसे राज्यों ने विरोध दर्ज करा दिया है. प्रदेश सरकार की ओर से इस पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई हैं.

Last Updated : May 19, 2020, 4:56 PM IST

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