रायपुर: राखी का त्योहार करीब आ रहा है, ऐसे में बाजार राखियों से सजने लगे हैं, लेकिन इस बार आपको कहीं भी चीनी राखी देखने को नहीं मिलेगी. गलवान घाटी हमले के बाद लोगों में चीन के प्रति आक्रोश है, जिसके चलते लोग चीनी सामान का बहिष्कार कर रहे हैं. लिहाजा अब बाजारों में स्वदेशी राखियां देखने को मिल रही हैं. अभनपुर के नवापारा में भी रानी निषाद स्वदेशी राखियां बना रही हैं और सभी बहनों से अपने भाईयों की कलाई में स्वदेशी राखी बांधने की अपील कर रही हैं.
छत्तीसगढ़ में स्वदेशी राखी की धूम धान, चावल और दाल से बना रही राखियां
गोबरा नवापारा की रानी के मन में चीन के प्रति पनपे आक्रोश ने उसे विरोध प्रदर्शित करने का अवसर तो प्रदान किया ही, साथ ही उसके परिवार की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. तिरंगा चौक की रहने वाली रानी निषाद ने राखी के त्योहार पर अपने भाइयों को चीन निर्मित राखी की जगह अपने हाथों से बनी राखी भेजने का निर्णय किया. उसने राखी निर्माण में छत्तीसगढ़िया टच देने के लिए धान, चावल और कई तरह की दालों का उपयोग किया.
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परिजनों का मिला पूरा सहयोग
रानी के इस जज्बे को देखकर आसपास के लोग भी काफी प्रभावित हुए. लोगों के प्रोत्साहन के बाद रानी को महसूस हुआ कि क्यों न वे व्यापक स्तर पर राखियों का निर्माण करें, जिससे लोगों में भी स्वदेशी राखियों के प्रति आकर्षण बढ़ सके. रानी के परिवार वालों ने भी उसके इस फैसले का पूरा साथ दिया. शुरुआत में परिजन अनमने ढंग से सहयोग करते थे, लेकिन जैसे-जैसे लोग उनके घर आकर राखियां खरीदने लगे, तो उनका भी मनोबल बढ़ गया. जिसके बाद चौगुने उत्साह के साथ वे सभी राखियां बनाने लगे.
खूब बढ़ गई है राखी की डिमांड
आज रानी को मां, भाई, भाभी, बहन से लेकर भतीजे-भतीजी तक राखी बनाने में सहयोग कर रहे हैं. रानी के परिवार द्वारा निर्मित राखियां इतनी आकर्षक और सस्ती हैं कि लोग देखते ही देखते दर्जन भर पैकेट खरीद लेते हैं. राखियों की डिमांड इतनी बढ़ चुकी है कि रानी का परिवार दिन में 15 घंटे राखी बना रहा है, इसके बाद भी डिमांड के अनुसार आपूर्ति नहीं कर पा रहा है.
रानी ने बताया कि 'गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने हमारे भारतीय भाइयों के साथ जो बर्बरता की, उससे मेरा भी मन आक्रोशित हो उठा था, हालांकि मैं बतौर सैनिक तो चीन को जवाब नहीं दे सकती थी, इसलिए मैंने जवाब देने के लिए स्वदेशी राखी बनाने का फैसला लिया. मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मेरा यह निर्णय इस कोरोना काल में मेरे परिवार को आर्थिक रूप से मदद दे पाएगा.' रानी ने छत्तीसगढ़ की हर बहन से अपील की है कि इस बार रक्षाबंधन में वे अपने भाइयों से उपहार की जगह चाइनीज सामानों के बहिष्कार का संकल्प लें.
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गलवान घाटी की घटना ने भरा भारतीयों में आक्रोश
गौरतलब है कि गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय जवानों की घटना ने पूरे देशभर में चीन के लिए आक्रोश भर दिया. लिहाजा लोगों ने चीनी सामान के बहिष्कार का फैसला लिया. जिसके चलते अब लोग स्वदेशी वस्तुओं की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. यही वजह है कि हर क्षेत्र में स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन बढ़ रहा है, फिर चाहे वह बड़े उद्योग हों या लघु-कुटीर उद्योग. अच्छी बात यह है कि इन वस्तुओं के खरीदार भी मिल रहे हैं, जो उत्पादकों को लगातार प्रोत्साहित करते हुए चीन को अप्रत्यक्ष रूप से जवाब दे रहे हैं.