रायपुर: इस एकादशी का विशिष्ट महत्व है. यह एकादशी रंग गुलाल और विभिन्न रंगों के फूलों के साथ मनाई जाती है. इस एकादशी में माता पार्वती और भीमा शंकर भगवान को अलग-अलग रंग के गुलाल, चंदन, वंदन और तिलक लगाए जाते हैं.
"चंद्रमा और शुक्र के बीच नवम पंचम संबंध बन रहा है":ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "विभिन्न रंगों से समाहित भगवान शिव और माता पार्वती बहुत ही नयनाभिराम दृश्य बिखेरते हैं. यह एकादशी रंगो के पर्व की शुरुआत है. यह 3 मार्च शुक्रवार के शुभ दिन मनाई जाएगी. आज के शुभ दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अन्नप्राशन योग और विभिन्न तरह के सुखद योग बन रहे हैं.
इस दिन चंद्रमा स्वराशिगत रहेगा. यह एकादशी चार-चार ग्रहों के स्वराशिगत होने के कारण अत्यंत विशिष्ट है. इस दिन शुक्र जैसा ग्रह अपनी उच्च राशि में बैठकर मालव्य योग का निर्माण कर रहा है. चंद्रमा और शुक्र के बीच नवम पंचम संबंध बन रहा है. इस एकादशी में ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभकारी माना जाता है. आज के शुभ दिन इस मंत्र का जाप पाठ करने पर और अनुष्ठान करने पर सभी कामनाएं पूर्ण होती है."