रायपुर: इस साल चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी तिथी 12 मार्च को मनाया जाएगा. इस दिन भक्त भगवान राधा कृष्ण की मूर्ति पर अबीर गुलाल चंदन रोली और रंग-बिरंगे रंग लगाकर उनकी पूजा करते हैं. पूरी श्रद्धा, आस्था और अनन्य प्रेम के साथ रंग लगाए जाते हैं. रंग पंचमी का पर्व रंगों की छटा बिखेरने का पर्व है. यह दिन एक दूसरे को गुलाल रंग अबीर और चंदन लगाया जाता है. अबीर गुलाल परिमल आदि सभी के लिए लाभदायक होते हैं. रंग पंचमी के दिन केमिकल युक्त पदार्थों को नहीं लगाना चाहिए. इससे पर्व की पवित्रता खराब हो जाती है.
लठमार कर मनाते हैं रंग पंचमी: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर पंचमी तिथि तक रंग पंचमी मनाने की परंपरा है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ में रंग पंचमी पूरे उल्लास के साथ मनाई जाती है. छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले के पचोरा नामक गांव में कुंवारी कन्या लठमार होली के रूप में रंग पंचमी को महोत्सव के रूप में मनाती हैं."
जांजगीर के पचोरा गांव में लठमार होली: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "आज के शुभ दिन जांजगीर जिले के इस गांव में सभी कुंवारी कन्या सभी पुरुषों को लाठी से पीटती है और इस पर्व को उल्लास के साथ मनाती हैं. छत्तीसगढ़ में यह पर्व 300 वर्षों से भी ज्यादा समय से मनाया जा रहा है. आज के दिन गांव में आने वाले प्रत्येक पुरुष को लठमार लटका सामना करना पड़ता है. अपरिचित सभी पुरुष जो गांव में आते हैं, उन्हें इसी तरह से लठमार कर रंग पंचमी मनाई जाती है."