रायपुर:झीरम घाटी नरसंहार मामले को लेकर एक बार फिर प्रदेश में राजनीति छिड़ गई है. 25 मई 2013 को बस्तर की झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं का नरसंहार किया था, जिसपर अब छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमा गई है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. कांग्रेस सरकार के मंत्रियों ने झीरम मामले को लेकर केंद्र सरकार पर कई संगीन आरोप लगाए. साथ ही उन्होंने पूर्व की रमन सरकार पर भी झीरम हमले की सत्यता छिपाने का आरोप लगाया है, जिसपर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि NIA जैसी देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी के ऊपर आरोप लगाना सरासर गलत है. इस तरह की एजेंसी किसी भी घटना की जांच प्रोफेशनल तरीके से करती है. अगर आपके पास इस घटना से संबंधित कोई सबूत या जानकारी देना चाहते है, तो NIA को या न्यायिक जांच आयोग को सौंप सकते हैं.
रमन सिंह ने कहा कि मैं सरकार से यह कहना चाहता हूं, जब यह घटना हुई तो उस वक्त कांग्रेस की यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन गृह मंत्री सुशील शिंदे ने छत्तीसगढ़ का दौरा किया था. साथ ही वापस जाकर तत्कालीन गृह मंत्री ने मुझे फोन पर ही NIA जांच की सहमति मांगी थी. हमने तुरंत NIA जांच की सहमति दे दी. उन्होंने कहा कि यहां यह बताना भी जरूरी है कि NIA एक्ट यूपीए सरकार ने ही लाया था. NIA देश में आतंकवाद, नक्सलवाद और उग्रवाद जैसी घटनाओं की जांच के लिए बनाई गई संस्था है. झीरम घाटी की घटना नक्सलवादियों द्वारा की गई घटना थी. इसी कारण तत्कालीन यूपीए सरकार ने NIA को इस घटना की जांच के लिए सबसे उपयुक्त माना होगा.
सबूतों के लिए अखबारों में कई बार विज्ञापन दिया गया
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा झीरम घाटी की जांच के लिए SIT का गठन करना समझ से परे है. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या राज्य की एसआईटी, देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी NIA से ऊपर है..?. हमारी सरकार ने इस घटना की स्वतंत्र जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था, जिसकी जांच जारी है. इस आयोग द्वारा अखबारों में कई बार विज्ञापन दिया गया कि झीरम घाटी के संबंध में किसी भी तरह के सबूत किसी भी व्यक्ति के पास अगर है, तो वह इस आयोग को सौंप सकता है. इसके बावजूद 7 साल बाद घटना की जांच के लिए एसआईटी की मांग करना समझ से परे है.
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क्या SIT सिटिंग जज की अध्यक्षता में बने आयोग से ऊपर है ?
रमन ने कहा कि मैं यहां आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या राज्य की एसआईटी, एक सिटिंग जज की अध्यक्षता में बने आयोग से ऊपर है.? 16 जून 2020 को NIA ने जगदलपुर की विशेष NIA अदालत में याचिका लगाकर आवेदन किया. मई 2020 में जितेन्द्र मुदलियार द्वारा की गई FIR की जांच भी NIA को सौंप दी जाएं, क्योंकि इस घटना की जांच NIA पहले से कर रहा है.
सरकार के पास कोई सबूत है तो NIA को सौंपे
रमन ने कहा कि एक बात और कही गई कि CBI ने जांच क्यों नहीं किया, तो मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि हमने गृह मंत्रालय को CBI जांच के लिए आग्रह किया था, लेकिन NIA, CBI के समकक्ष एजेंसी है. इस कारण CBI ने इस घटना की जांच ना करना उपयुक्त समझा होगा. NIA जैसी देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी के ऊपर आरोप लगाना सरासर गलत है. इस तरह की एजेंसी किसी भी घटना की जांच प्रोफेशनल तरीके से करती है. अगर आपके पास इस घटना से संबंधित कोई सबूत या जानकारी देना चाहते हैं, तो NIA को या न्यायिक जांच आयोग को सौंप सकते हैं.
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