Rama Ekadashi पापों का नाश करने वाली रमा एकादशी, जानिए व्रत का विधान और मुहूर्त
Rama Ekadashi ज्योतिष विज्ञान में हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन रखे जाने वाले व्रत को रमा एकादशी का व्रत कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत का नियमों के अनुसार पालन करने वाले व्यक्ति को किए गए कई पापों से मुक्ति मिल जाती है.Worship method of Rama Ekadashi
रायपुर :धनतेरस से एक दिन पहले रमा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा. 8 नवंबर को एकादशी सुबह 8:23 पर शुरू होगी और 9 नवंबर को सुबह 10 बजे समाप्त होगा. आपको बता दें कि कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी कहते हैं. पूरे वर्ष भर में 24 एकादशी होती है जिसमें 12 एकादशी कृष्ण पक्ष की और 12 एकादशी शुक्ल पक्ष की होती है.
पापों का नाश करने वाली एकादशी :रमा एकादशी सभी प्रकार के पापों का नाश करती है. 11 तत्वों से किए जाने वाले व्रत को एकादशी व्रत रहते हैं. जिसमें पांच ज्ञानेंद्रिय, पांच कर्मेंद्रियां और एक अन्तः करण होता है. इस दिन एकादशी करने वाले जातक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. पवित्र रहने की कोशिश करें. भगवान के नाम का ध्यान करके एकादशी व्रत की कथा सुननी चाहिए. रात्रि जागरण में भगवान के नाम का जाप करें. सुबह स्नान करके फिर से भगवान का पूजन करके भोग लगाए.
रमा एकादशी व्रत के लाभ :ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति रमा एकादशी का व्रत संपूर्ण नियम और भक्ति भाव से करता है तो इस व्रत से भगवान विष्णु बेहद ही प्रसन्न होते हैं. उस व्यक्ति को बैकुंठ में स्थान मिलता हैं. इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. वहीं इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करना काफी फलदायी माना गया है. इस व्रत को करने से समृद्धि धन सौभाग्य पारिवारिक सुख जीवन में आता है.भक्त के पिछले जन्म के पाप भी कट जाते हैं.भगवान विष्णु के चरण कमल में भक्तों को स्थान मिलता है।
* सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें * घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें * भगवान विष्णु को मां गंगा के जल से जलाभिषेक करें * व्रत का संकल्प हाथ में पानी लेकर करें और भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा करें * भगवान विष्णु को भोग धूप दीपक और पुष्प अर्पित कर प्रसन्न करें * विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें वह रमा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें *आखिरी में भिक्षुओं या ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दें