chhattisgarh Rajyotsav 2022:1 नवंबर को छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस (chhattisgarh state foundation day) मनाया जाएगा. राज्योत्सव 2022 (Rajyotsava 2022) के दौरान तीन दिवसीय आयोजन में अलग-अलग संस्थाओं और देशों के द्वारा कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी है. 22 साल के सफर में छत्तीसगढ़ लगातार प्रगति की ओर बढ़ रहा है" Foundation Day of Chhattisgarh on 1st November
2000 में हुआ था छत्तीसगढ़ का गठन :1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ का गठन हुआ. आधिकारिक दस्तावेज में 'छत्तीसगढ़' का सर्वप्रथम प्रयोग 1795 में हुआ था. छत्तीसगढ़ शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर इतिहासकारों में कोई एक मत नहीं है. कुछ इतिहासकारों (Historians) का मानना है कि कलचुरी काल में छत्तीसगढ़ आधिकारिक रूप से 36 गढ़ो में बंटा था, यह गढ़ एक आधिकारिक इकाई (Official Unit) थे न कि किले या दुर्ग. इन्ही '36 गढ़ों' के आधार पर छत्तीसगढ़ नाम की व्युत्पत्ति हुई.
छत्तीसगढ़ का इतिहास :प्राचीन काल (Ancient Time) में इस क्षेत्र को 'दक्षिण कौशल' के नाम से जाना जाता था. रामायण और महाभारत (Ramayana and Mahabharata in Chattisgarh) में भी उल्लेख मिलता है. 6वीं और 12वीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने यहां शासन किया. साल 1904 में यह प्रदेश संबलपुर उड़ीसा में चला गया और 'सरगुजा' रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आया. (history of Chattisgarh)
छत्तीसगढ़ पूर्व में दक्षिणी झारखंड और ओडिशा से, पश्चिम में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से, उत्तर में उत्तर प्रदेश और पश्चिमी झारखंड, दक्षिण में आंध्रप्रदेश से घिरा है. कहते हैं, छत्तीसगढ़ का इतिहास केवल 21 साल पुराना नहीं है. जब छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश का हिस्सा था, तब भी छत्तीसगढ़ियों का दिल अपने राज्य के लिए धड़कता था. डॉ. पंडित सुंदरलाल शर्मा, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, खूबचंद बघेल जैसी विभूतियों ने छत्तीसगढ़ के लिए जन-जागरण के साथ इसे पाने के लिए लंबा संघर्ष किया था.
National Tribal Dance Festival 2022 :छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ी संस्कृति सभ्यता और लोक कला को बढ़ावा देने के साथ ही आदिम संस्कृति एवं कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास निरंतर जारी है. इसी कड़ी का हिस्सा छत्तीसगढ़ में आयोजित होने वाला राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव भी है. छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का यह तीसरा आयोजन है, जिसमें छत्तीसगढ़ समेत देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से भी आदिवासी समुदाय के लोग अपनी पारंपरिक कला और संस्कृति की छटा बिखेरने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जुटते हैं। इस बार यह आयोजन राज्योत्सव के साथ ही 1 से 3 नवंबर तक राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में किया जा रहा है. इस बार आदिवासी नृत्य महोत्सव में ये नृत्य आकृषण का केंद्र रहेंगे.
दंडामी माड़िया नृत्य
हुलकी नृत्य
छाऊ नृत्य
पाइका नृत्य
दमकच नृत्य
बाघरूम्बा नृत्य
मरयूराट्टम नृत्य
छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण नृत्य
सुआ नृत्य
पंथी नृत्य
राऊत नाचा
चंदैनी नृत्य
आधुनिकता के दौड़ से दूर जंगलों में रहने वाली जनजातियों की अपनी समृद्ध संस्कृति है. जनजातियों के अपने तीज-त्यौहार, लोक नृत्य और गीत भी हैं. इन आदिवासियों की कला और संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य के 23वें स्थापना दिवस के अवसर पर 1 से 3 नवंबर तक किया जा रहा है. राज्य में राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का यह तीसरा आयोजन है. महोत्सव का आयोजन राजधानी रायपुर के साइंस कालेज मैदान में होगा.
छत्तीसगढ़ में 42 तरह की जनजातियां :छत्तीसगढ़ राज्य प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न है. यहां का 44 प्रतिशत भू-भाग वनों से आच्छादित है एवं यहां जनजातियों की जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या का 31 प्रतिशत है. छत्तीसगढ़ राज्य में 42 तरह की जनजातियां निवास करती हैं. इस महोत्सव के माध्यम से जनजाति कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शन का अवसर मिलता है.
आपसी मेल-जोल, कला-संस्कृतियों के आदान-प्रदान के लिए महत्वपूर्ण :महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय कलाकारों के बीच उनकी कलाओं की साझेदारी होगी. वे एक-दूसरे के खान-पान, रीति-रिवाज, शिल्प-शैली को भी देख-समझ सकेंगे. राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन से आदिवासी संस्कृति एवं सभ्यता को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल रही है. यह आयोजन देश और पूरी दुनिया के जनजातीय समुदायों के आपसी मेल-जोल, कला-संस्कृतियों के आदान-प्रदान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो रहा है.
देश विदेश के 1500 से अधिक जनजातीय कलाकार लेंगे हिस्सा :राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के लिए देश के सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों सहित 09 देशों के 1500 आदिवासी कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेगें। इन कलाकरों में देश के 1400 और विदेशों के 100 प्रतिभागी शामिल होंगे। आयोजन में मोजांबिक, मंगोलिया, टोंगा, रशिया, इंडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैंड और इजिप्ट के जनजातीय कलाकार हिस्सा लेंगे.
विदेशी जनजातियों की संस्कृति को भी जानने का मौका :छत्तीसगढ़ में पहली बार आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन वर्ष 2019 में 27 से 29 दिसम्बर तक किया गया था. इस महोत्सव में कुल 1,262 कलाकारों ने भाग लिया. इनमें 06 देशों के 59 जनजातीय कलाकार शामिल थे. इसमें भारत के राज्यों सहित श्रीलंका, यूगांडा, मालदीव, थाईलैंड, बंग्लादेश और बेलारूस कलाकारों ने अपने देश के संस्कृति को नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित किया.
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव वर्ष 2021 का आयोजन 28 अक्टूबर से 01 नवंबर तक किया था. जिसमें कुल 1,149 कलाकारों ने भाग लिया. इनमें में 07 देशों के 60 जनजातीय कलाकारों भी शामिल थे. इनमें स्वीजरलैंड, माली, नाइजीरिया, श्रीलंका, फ़िलिस्तीन, यूगांडा और उज्बेकिस्तान के कलाकारों ने भाग लिया.
इस वर्ष राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव वर्ष 2022 का आयोजन 01 से 03 नवंबर तक होगा। इस महोत्सव में कुल 1500 जनजातीय कलाकार भाग लेंगे. इसमें 09 देशों के 100 जनजातीय कलाकार भाग लेेने पहुंचेंगे. इनमें मोजांबिक, मंगोलिया, टोंगा, रशिया, इंडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैंड और इजिप्ट के जनजातीय कलाकार हिस्सा लेंगे.
‘फसल कटाई और आदिवासी रीति-रिवाज की थीम पर होगा नृत्य महोत्सव :राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में इस बार दो थीम रखी गई है. पहली थीम है ‘फसल कटाई पर होने वाले आदिवासी नृत्य’ और दूसरी थीम है ‘आदिवासी परम्पराएं और रीति- रिवाज’. उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा.
उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रतिभागियों को कुल 20 लाख रुपए का पुरस्कार :राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा. राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के विजेताओं को कुल 20 लाख रुपए के पुरस्कारों का वितरण किया जाएगा. प्रथम स्थान के लिए 05 लाख रुपए, द्वितीय स्थान के लिए 03 लाख रुपए और तृतीय स्थान के लिए 02 लाख रुपए के पुरस्कार दिए जाएंगे.
जनजातीय कला, संस्कृति और विरासत को सहेजने के लिए हो रहे जतन :गौरतलब है कि राज्य सरकार ने विगत् पौने चार वर्षो में छत्तीसगढ़ की लोक तथा जनजाति कला, संस्कृति और विरासत सहेजने और संवारने के लिए बहुत सारे जतन किये है। यहां के पर्यटन स्थलों, कला परपंराओं और संस्कृति के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ मंे राज्य गीत को मान्यता दी गई, इसका मानकीकरण किया गया। राज्य के लोक एवं पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण स्तर छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक नाम से खेलकूद आयोजन किया जा रहा है.Chhattisgarh rajyotsava 2022
छत्तीसगढ़ में एक नवंबर से धान खरीदी :छत्तीसढ़ में एक नवंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की तैयारी की जा रही है. राज्य में खरीफ वर्ष 2022-23 में किसानों से 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का अनुमान है. जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी है. जिसमें राज्य में खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में समर्थन मूल्य पर पंजीकृत किसानों से धान खरीदी की शुरुआत एक नवंबर से की जाएगी.Dhan kharidi in Chhattisgarh 2022
95 हजार नए किसान पंजीकृत :धान खरीदी का काम 31 जनवरी, 2023 तक किया जाएगा. पिछले साल रजिस्टर्ड किसानों और नए पंजीयन वाले किसानों से धान खरीदी की जाएगी. किसान पंजीयन का कार्य 31 अक्टूबर तक किया जाएगा।. अभी तक पिछले वर्ष के पंजीकृत 24.05 लाख किसानों का पंजीयन विस्तारित किया गया है और 95 हजार नए किसान पंजीकृत हुए हैं.Paddy Purchase in Chhattisgarh from November 1
धान खरीदी केंद्रों में व्यवस्था सही करने के निर्देश : एक नवम्बर से शुरु होने वाने समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की तैयारियों को लेकर प्रदेश में जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरु कर दी है. हर जिला के जिलाधीशों ने किसानों का पंजीयन की जानकारी, किसानों को टोकन जारी करने, बारदानों की उपलब्धता, फड़ चबूतरा, जनरेटर, ड्रेनेज सिस्टम, बारिश से बचने तिरपाल की व्यवस्था के संबंध मे आवश्यक निर्देश दिए. खरीदी केन्द्रों मे मानव संसाधन, आर्द्रतामापी यंत्र, उपार्जन केन्द्र में तौल-बांट, पेयजल विद्युत व्यवस्था, कैप कव्हर का भौतिक सत्यापन करने के निर्देश अधिकारियों को मिले हैंधान उपार्जन केन्द्र के लिए भूमि नीची/गड्ढे वाली न हो जिसमें असामयिक वर्षा की स्थिति में संग्रहित धान खराब होने की स्थिति निर्मित न हो इस बात का ध्यान रखने को कहा गया है.प्रत्येक सप्ताह के अंत में शनिवार को आगामी सप्ताह में धान खरीदी में उपयोग आने वाले बारदानों की उपार्जन केन्द्रवार समीक्षा की जाएगी ताकि खरीदी में कोई व्यवधान उत्पन्न हो.
तहसीलदारों को धान उपार्जन केन्द्र की सूची अपने जानकारी में रखने और गांव के किसी शासकीय रकबे से धान का उपार्जन नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं. कृषकों को अपने पंजीयन के लिए भटकना न पड़े, इस कार्य को प्राथमिकता से लेने के निर्देश दिए गए हैं. समर्थन मूल्य पर धान खरीदी कार्य शासन के सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है. धान बिक्री के लिए आने वाले किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होनी चाहिए.