रायपुर:त्रिक भाव को लेकर अमूमन लोगों के मन में अलग ही विचार होते हैं. छठवें, आठवें, बारहवें भाव के स्वामी को लेकर यह माना जाता है कि ये जिस भी भाव में जाएंगे, नुकसान ही करेंगे. लेकिन इस पर ज्योतिषि महेंद्र कुमार ठाकुर की राय बिल्कुल अलग है. उनका मानना है कि "आठवें भाव के स्वामी के दसवें भाव में जाने या दसवें भाव का आठवें भाव संबंध होने पर राजयोग बनता है. हालांकि आठवें भाव का स्वामी होने के कारण यह मानसिक तनाव भी देता है. इसलिए इसकी शांति करा लेना उचित होता है. इसके लिए संबंधित ग्रह का मंत्र जाप करना श्रेष्ठ है."
भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करने से मिलती है शांति:ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "ऐसे जातक अपने कुलदेवता या कुलदेवी या फिर अपने गुरु मंत्र का जाप करे. भगवान विष्णु या कृष्ण भगवान के किसी मंत्र का जाप करें तो भी तनाव में कमी आती है. आठवें भाव की दशा में जिनका भाव में दशमेश रहा है, दशमेश यानी दशम भाव का स्वामी, तो उनकी दशा में ही अनेक उच्च पद पर पहुंचने वाले लोग मिलते हैं."