रायपुरःदेश में 25 जून 1975 को लागू किए गए आपातकाल (Emergency) के विरोध में भाजपा पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने काला दिवस रूप में मनाया. भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय (Rajya Sabha MP Saroj Pandey) ने कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 24 जून 1975 की रात को आपातकाल लागू हुआ था, यानी 25 जून को आपातकाल पूरे देश में लगा दिया गया. इस दौरान आम लोगों की स्वतंत्रता का हनन किया गया. विपक्ष के विरोध की वजह से इंदिरा गांधी को झुकना पड़ा. सरोज पांडेय ने कहा कि आज के दौर में भी बघेल सरकार और कांग्रेस इसी मनोदशा से काम कर रही है. सरोज पांडेय यहीं नहीं रुकी उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि टूलकिट मामले (toolkit case) में छत्तीसगढ़ सरकार इसी तरह से तानाशाही रवैया अपना रही है. यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है.
आपातकाल के बहाने कांग्रेस पर हमला कांग्रेस नेता विनोद तिवारी पर पूर्व सीएम रमन सिंह का पलटवार, कहा- 'छवि खराब करने की कोशिश'
सरोज पांडेय ने भूपेश सरकार पर लगाए आरोप
सरोज पांडेय ने बघेल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आपातकाल के दौर को दोहरा रही है. सत्ता को अहंकारी नहीं होना चाहिए. वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार भी स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति पर हमला कर रही है.
बीजेपी पूरे देश में आपातकाल के विरोध में काला दिवस मना रही है. इसे लेकर सभी राष्ट्रीय नेताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधा. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और नितिन गडकरी ने कांग्रेस पर हमला बोला. आपातकाल के दौरान जिन राजनेताओं ने यातनाएं सही. उनको तीनों नेताओं ने नमन किया.
क्या होता है आपातकाल ?
आपातकाल यानि विपत्ति या संकट का काल. भारतीय संविधान में आपातकाल एक ऐसा प्रावधान है. जिसका इस्तेमाल तब होता है जब देश पर किसी आंतरिक, बाहरी या आर्थिक रूप से किसी तरह के खतरे की आशंका होती है. आपातकाल वो अवधि है जिसमें सत्ता की पूरी कमान प्रधानमंत्री के हाथ में आ जाती है. अगर राष्ट्रपति को लगता है कि देश को आंतरिक, बाहरी या आर्थिक खतरा हो सकता है तो वह आपातकाल लागू कर सकता है.
भारत के संविधान निर्माताओं ने आपातकाल मसलन देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा खतरे में होने जैसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए ये प्रावधान किया. जिसके तहत देश की सरकार बिना बेरोकटोक गंभीर फैसले ले सके. मान लीजिए कि हमारे देश पर कोई पड़ोसी देश हमला कर दे तो ऐसी आपात स्थिति में संविधान भारत सरकार को अधिक शक्तियां देता है, जिनके जरिये वो अपने हिसाब से फैसला ले सकती है. जबकि आपातकाल ना होने या सामान्य परिस्थिति में संसद में बिल पास कराना पड़ेगा और लोकतंत्र की परंपराओं के मुताबिक चलना होगा लेकिन आपातकाल लगने पर सरकार अपनी तरफ से कोई भी फैसला ले सकती है.
अब तक देश में 3 बार लग चुका है आपातकाल
1. 26 अक्टूबर 1962: भारत में इंदिरा गांधी के लगाए गए आपातकाल को याद किया जाता है लेकिन देश में पहला आपातकाल उससे भी 13 साल पहले तब लगाया गया था जब भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था. यहां पर युद्ध और देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आपातकाल लगाया गया था. इस पहले आपातकाल की समाप्ति 10 जनवरी 1968 को हुई.
2. 3 दिसंबर 1971: भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय भी देश में आपातकाल लगा था. युद्ध और देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर देश में इमरजेंसी लगाई गई थी.
3. 25 जून 1975: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राज में लगे इस आपातकाल के लिए देश में आंतरिक अशांति का हवाला दिया जाता है कि लेकिन इतिहास के पन्नों में इस एक निजी स्वार्थ का दर्जा दिया जाता है.