वेतन विसंगति की मांग को लेकर सुपरवाइजरों ने किया प्रदर्शन रायपुर: साल 2023 चुनावी साल होने के कारण हर कोई इस चुनावी साल में अपनी मांग सरकार से मनवाने के लिए अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन करने में जुटा है. सोमवार को प्रदेश भर के महिला बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत सुपरवाइजरों ने वेतन विसंगति की मांग को दूर करने के लिए प्रदर्शन किया. छत्तीसगढ़ महिला बाल विकास विभाग पर्यवेक्षक कल्याण संघ के बैनर तले यह प्रदर्शन किया गया.
अनिश्चितकालीन हड़ताल की दी चेतावनी: सुपरवाइजर पिछले 30 सालों से विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, और इन्हें सरकार से केवल आश्वासन ही मिला है, लेकिन अब तक इनकी वेतन विसंगति की मांग को सरकार ने पूरा नहीं किया है. जिसके कारण प्रदेश के सुपरवाइजरों में नाराजगी देखने को मिली. इस प्रदर्शन के बाद भी अगर सरकार इनकी मांगों पर अमल नहीं करती है, तो आने वाले दिनों में अनिश्चितकालीन हड़ताल करने के लिए बाध्य होंगे.
"मांगों को लेकर कोई सकारात्मक पहल नहीं": छत्तीसगढ़ महिला बाल विकास विभाग पर्यवेक्षक कल्याण संघ की प्रदेश अध्यक्ष ऋतु परिहार ने बताया कि "वेतन विसंगति की मांग को लेकर पिछले 30 सालों से प्रताड़ित हो रहे हैं. इसलिए सोमवार को प्रदेश स्तर पर एक सांकेतिक प्रदर्शन किया गया. महिला बाल विकास मंत्री सहित तमाम मंत्री और विधायकों से मुलाकात भी कर चुके हैं. बावजूद इसके इनकी मांगों को लेकर कोई सकारात्मक पहल नहीं हो पाई है.
"मंत्री और विधायकों से केवल आश्वासन ही मिला": प्रदेश अध्यक्ष ऋतु परिहार ने बताया कि "मंत्री और विधायकों से केवल आश्वासन ही मिल पाया है. ऐसे में सभी सुपरवाइजर दुखी और हताश होकर आज सड़क पर उतरने को मजबूर हुए हैं." उन्होंने कहा कि "यह आर पार की लड़ाई है. जब तक वेतन विसंगति की की मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक आंदोलन करते रहेंगे." आगे उन्होंने बताया कि "आने वाले दिनों में सुपरवाइजर सभी जिला मुख्यालय में पांच दिवसीय प्रदर्शन करेंगे. उसके बाद भी अगर मांग सरकार पूरी नहीं करती है, तो अनिश्चितकालीन आंदोलन पर जायेंगे."
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प्रदर्शन के कारण यह सभी काम भी प्रभावित: बिलासपुर संभाग अध्यक्ष अनुराधा सिंह ने बताया कि "शासन का वजूद महिलाएं और बच्चे हैं. ऐसे में इनके हड़ताल करने से कई तरह के काम पूरी तरह से प्रभावित होते हैं. बच्चों का पोषण, टीकाकरण, गर्भवती माताएं, बच्चों की अनौपचारिक शिक्षा, शिशुवती माताएं जैसे अनाथ बच्चों को फास्टर केयर में देना है. इस तरह के तमाम कार्य प्रभावित होते हैं. सुपरवाइजर बताती है कि जब एक गांव का दौरा करते हैं, तो लोगों को उनके रहन-सहन गर्भवती माताओं को पोषण आहार और टीकाकरण सहित कई चीजों की जानकारी देती हैं, लेकिन प्रदर्शन के कारण यह सभी काम भी प्रभावित होते हैं."
4200 रुपये ग्रेड पे की मांग: छत्तीसगढ़ में महिला बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर के 1750 पद हैं. जिसमें से पूरे प्रदेश में 1450 सुपरवाइजर पदस्थ हैं. सुपरवाइजर 5 साल से लेकर लगभग 30 साल तक नौकरी करते आ रहे हैं, लेकिन उनका ना तो प्रमोशन हुआ है और ना ही वेतन विसंगति दूर हुई है. अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ के सुपरवाइजरों को वर्तमान में 2400 रुपये ग्रेड पे मिल रहा है, लेकिन सुपरवाइजर चाहती हैं कि उन्हें 4200 रुपये ग्रेड पे मिलना चाहिए.