रायपुर: छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना प्रदेश में छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बचाने के लिए लगातार काम कर रही है. रायपुर के बूढ़ा तालाब में बूढ़ादेव की 71 फीट प्रतिमा को स्थापित करने के उद्देश्य से ये क्रांति सेना रथ से भ्रमण कर कांसा जमा कर रही है. छत्तीसगढ़ के गांव गांव में बूढ़ादेव का रथ घूम कर लोगों से कांसा ले रहा है. बूढ़ातालाब आउटडोर स्टेडियम में राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों से एकत्र किया गया कांसा लाया गया. इस दौरान हजारों की तादाद में छत्तीसगढ़ी क्रांति सेना के कार्यकर्ता मौजूद रहे.
ईटीवी भारत ने छत्तीसगढ़ी क्रांति सेना प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल से खास बातचीत की...
सवाल: छत्तीसगढ़ी सेना गांव-गांव जाकर कांसा जमा कर रही है, इसका क्या उद्देश्य है?
जवाब: छत्तीसगढ़ के सभी मूलनिवासी अपने कुलदेवता को मनाने के लिए यहां आए हैं. लोग देख रहे हैं कि आज हमारे देवता घर के अंदर हैं, इसलिए हमें दूसरे दर्जे में रखा जा रहा है. छत्तीसगढ़िया को यह समझ आ गया कि धरना प्रदर्शन करने के बाद भी हमें अपना संवैधानिक अधिकार नहीं मिल रहे हैं. सभी लोगों ने यह सोचा कि हमारे देवता हमसे नाराज हैं, इसलिए देवता को मनाने के लिए बूढ़ादेव को बूढ़ा तालाब में स्थापित करने का संकल्प लिया गया. 800 साल पहले राजा रायसिंह ने बूढ़ा तालाब खुदवाया था. इष्ट बूढ़ा देव की स्थापना की थी. लेकिन आज उसी तालाब के नाम को दूसरे नाम पर रखा जा रहा है. छत्तीसगढ़ क्रांति सेना ने अपने मूल देवी-देवताओं को स्थापित करने का संकल्प लिया है. इसी उद्देश्य से आज सभी यहां आए हैं.
सवाल: अब तक आप लोगों के पास कितना कांसा जमा हुआ है?
जवाब:हमारे पास 34 टन कांसा जमा हुआ है, पूरे विश्व का सबसे बड़े बूढ़ादेव की प्रतिमा स्थापित करने का संकल्प छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने लिया है. बूढ़ा तालाब में बूढ़ादेव की 71 फीट कांसे की मूर्ति स्थापित की जाएगी. इसके लिए 70 टन कांसे की जरूरत है. 8 अप्रैल के बाद फिर से छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना का रथ सभी जिलों में जाएगा. जिन घरों से कांसा नहीं ले पाए हैं, हम उन घरों में जाएंगे. इस अभियान में प्रदेश के सभी लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. सभी लोग घरों में बुलाकर कांसा दान कर रहे हैं. बेटी के विवाह में कांसे के पांच बर्तन देने की परंपरा है. शादी के दौरान बेटी के घर में दिया गया, यह पचहर धरोहर माना जाता है. लेकिन इस अभियान में लोग अपने कीमती धरोहर को भी अर्पित कर रहे हैं.