Pavitra Dwadashi 2023: इस साल पवित्रा द्वादशी के दिन बन रहा अदभुत संयोग, जानिए
Pavitra Dwadashi 2023 पवित्रा द्वादशी या पवित्रा बारस का पावन पर्व वैष्णव संप्रदाय के लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं. इसके माध्यम से लोग अपने गुरुजनों का सम्मान करते है. Pavitra Baaras 2023
रायपुर: वैष्णव संप्रदाय के लोग पवित्रा द्वादशी या पवित्रा बारस अपने गुरुजनों के के सम्मान में हर साल मनाते हैं. 365 शुद्ध सूती धागे से एक पवित्र माला बनाई जाती है. जिसे श्री हरि विष्णु भगवान और श्रेष्ठ गुरुओं को अर्पित की जाती है.
कब मनाई जाएगी पवित्रा द्वादशी? : यह पावन पर्व हर साल श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन मनाई जाती है. इस दिन सोम प्रदोष व्रत और श्रावण सोमवार व्रत का शुभ संयोग होता है. इस साल पवित्रा द्वादशी 28 अगस्त को पड़ रही है. इस पवित्रा द्वादशी के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, योग बव और बालव कारण, धनु और मकर राशि के चंद्रमा में रहने और सोमवार का दिन जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं. इस संयोग में गुरुजनों और भगवान श्री हरि की पूजा करना बेहद शुभ माना गया है.
कैसे मनाते हैं पवित्रा द्वादशी? : पवित्रा बारस मूल्य रूप से राजस्थान गुजरात महाराष्ट्र और उत्तर भारत की अनेक हिस्सों में मनाए जाने वाला महान अनुष्ठान है. वैष्णव संप्रदाय के लोग इस पर्व को शुद्ध मन से और अनंत उत्साह के साथ मर्यादापूर्वक मनाते आ रहे हैं. आज के शुभ दिन भगवान श्री कृष्ण, विष्णु जी की पूजा पवित्र सूती धागे, जिसमें 365 फंदे होते हैं, उस पवित्र धागे को चढ़ाकर की जाती है. इसी तरह का अनुष्ठान आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में मनाया जाता है. इसे पवित्रा उत्सव के नाम से जाना जाता है.
कौन से हैं पवित्रा के विभिन्न भाव?: सनातन परंपरा में पवित्रा के विभिन्न भाव हैं. केसरी रंग का पवित्र सात्विक भाव, सफेद और लाल रंग राज भाव, हरा रंग तमस भाव और आसमानी रंग निर्गुण भाव का प्रतिनिधित्व करते हैं. संक्षेप में श्री हरि विष्णु, भगवान श्री कृष्ण और गुरुजनों को पवित्र मन से पवित्रा अर्पित किया जाता है. पवित्र मन से किये जाने वाले सम्मान करने के इस पर्व को पवित्रा बारस के रूप में जाना जाता है.
पवित्रा द्वादशी के दिन क्या करें? : आज के शुभ दिन गुरु मंत्र "ओम नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र, विष्णु चालीसा, आदित्य ह्रदय स्त्रोत, श्री राम रक्षा स्त्रोत, कृष्ण चालीसा, भगवान श्री कृष्ण के मंत्र एवं भगवत गीता का पवित्र हृदय से पाठ एवं जाप करना चाहिए. आज के शुभ दिन गुरुजनों को सम्मानित करें. अपने गुरुजनों को पवित्रा भेंट कर गुरुजनों में भगवान की छवि देखने का प्रयास करें. गुरुजनों के प्रति आस्था, श्रद्धा और विश्वास को प्रकट करें. यह महापर्व पवित्रा बारस के रूप में भी जाना जाता है.