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Financial Condition Of Sculptors: मूर्तिकारों को नहीं मिलती मेहनत की सही कीमत, पुश्तैनी काम को जिंदा रखने के लिए करते हैं मेहनत

Financial Condition Of Sculptors छत्तीसगढ़ में मूर्तिकारों की स्थिति आज भी पहले की ही तरह है.मेहनत और कला के बाद भी मूर्तिकारों को उनकी कला की सही कीमत नहीं मिल पाती.गणपति और दूर्गा पूजा के बाद मूर्तिकारों को दूसरे माध्यमों से कमाई करनी पड़ती है.बढ़ती महंगाई के समय में अब इनके लिए अपने रोजमर्रा के खर्च निकाल पाना भी मुश्किल है.Sculptors do not get right price

Sculptors do not get right price
मूर्तिकारों को नहीं मिलती मेहनत की सही कीमत

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Published : Jul 27, 2023, 11:02 PM IST

मूर्तिकारों को नहीं मिलती मेहनत की सही कीमत

रायपुर :आने वाले महीनों में गणपति समेत कई त्यौहार आएंगे.जिसके लिए बाजार मूर्तियों से सज जाएंगे.लेकिन इन मूर्तियों को बनाने वाले मूर्तिकारों की हालत खराब है. कई दशकों से मिट्टी के बर्तन और मूर्ति बनाने वाले कुम्हार परिवार अपना जीवन नहीं सुधार पाएं हैं. कच्चा माल भले ही महंगा होता जा रहा है,लेकिन कुम्हार परिवारों के मूर्तिकारों को उनकी कला के मुताबिक राशि नहीं मिल पाती.आने वाले समय में भी त्यौहार आएंगे,ऐसे में मूर्तिकारों को बाजार से अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद है.

मेहनत और कला के मुताबिक नहीं मिलते पैसे :19 सितंबर को गणपति घर-घर विराजेंगे.इससे पहले ही मूर्तिकार अब भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने में जुट गए हैं.मूर्तिकार गणेश चतुर्थी के लिए मूर्तियों को आकृति देने में लग गए हैं.लेकिन मूर्तिकारों की माने तो उन्हें मेहनत के मुताबिक पैसे नहीं मिलते.


कच्चा सामान मिट्टी पैरा लकड़ी लोहे कील इन सब सामानों को इकट्ठा करने में लगभग एक महीने का समय लगता है. कच्चे सामान के दाम बढ़ने के कारण मूर्ति के दाम भी बढ़ेंगे.लेकिन कई बार बढ़े हुए दाम को सुनकर ग्राहक वापस लौट जाते हैं. कुमार परिवार 6 इंच से लेकर 10 फीट तक की गणेश प्रतिमाओं का निर्माण कर रहे हैं.दूसरा हुनर ना आने के कारण इसी काम को करना हमारी मजबूरी है. - मोहन चक्रधारी, मूर्तिकार

गणेश के सीजन में गणेश प्रतिमाओं का निर्माण करते हैं. दुर्गा के सीजन में दुर्गा प्रतिमा के निर्माण कार्य में जुट जाते हैं. मेहनत और लागत के हिसाब से मजदूरी नहीं मिलता. -लक्ष्मीनारायण चक्रधारी, मूर्तिकार

कच्चे माल के दाम बढ़ने के साथ ही मूर्तियों के दामों में 15 से 20 फीसदी की बढ़ाेतरी होगी.बावजूद इसके मूर्तिकारों का कहना है कि उन्हें कई बार लागत निकालने के लिए कम कीमत पर मूर्ति बेचनी पड़ती है.क्योंकि त्यौहार चले जाने के बाद मूर्तियां नहीं बिकती और उन्हें नुकसान होता है.

ग्राहक की मांग के आधार पर गणेश प्रतिमाओं को तैयार किया जाता है. कुछ लोग हनुमान के पोजीशन में गणेश प्रतिमा की मांग करते हैं तो कुछ ग्राहक भगवान शंकर के पोजीशन में गणेश प्रतिमा की मांग करते हैं.लेकिन अब लोग लाल बाग के राजा जैसे गणेश प्रतिमा खरीदना चाहते हैं. कई बार गणेश प्रतिमा के दाम सुनकर ग्राहक वापस चले जाते हैं. पेट चलाना भी जरूरी है, इसलिए परिवार के सभी सदस्य मूर्ति बनाने के इस काम को मन लगाकर करते हैं. -यशवंत चक्रधारी,मूर्तिकार

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पुश्तैनी काम को रखा जिंदा :रायपुर के रायपुरा में कुम्हार परिवारों की संख्या लगभग 250 के आसपास है. लेकिन इसमें 10 परिवार ही ऐसे हैं, जो गणेश और दुर्गा उत्सव के दौरान प्रतिमाएं बनाते हैं.भले ही मूर्तिकारों को इस काम में मुनाफा नहीं मिलता.बावजूद इसके ये पुश्तैनी काम को जिंदा रखने के लिए आज भी सरपरिवार जुटे हुए हैं.

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