Chhattisgarhiya Olympics 2023: शुभंकर बछरू संग मुख्यमंत्री भूपेश ने ली सेल्फी, थीम सॉन्ग पर डांस ने जीता सबका दिल - CM Bhupesh took selfie with shubhankar bachru
Chhattisgarhiya Olympics 2023 राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में आयोजित हरेली कार्यक्रम के दौरान बछरू को लांच किया गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक के शुभंकर बछरू को लांच किया. इस दौरान सीएम भूपेश समेत मंत्रीगण ने बछरू संग सेल्फी भी लिया. इस दौरान सीएम आवास में मौजद लोगों में बछरू संग लेने के लिए होड़ मची रही.
शुभंकर बछरू
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Published : Jul 18, 2023, 2:23 PM IST
रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते कल हरेली तिहार के कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक के शुभंकर बछरू को लांच किया. एस दौरान छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक के गाने पर बछरू की शानदार एंट्री ने दर्शकों का दिल जीत लिया. वहीं मुख्यमंत्री सहित जनप्रतिनिधियों और अन्य लोगों ने बछरू के साथ सेल्फी ली. छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के गानों को भी लोगों ने खूब सराहा. इस गाने पर थिरकते बछरू का अंदाज भी लोगों को खूब पसंद आया.
बछरू का है खास अंदाज:छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक के शुभंकर बछरू का अंदाज बेहद खास है. छत्तीसगढ़िया स्टाइल में बछरू 36 नंबर की जर्सी और गले में सोहई की माला पहने हुए है. जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति को दिखाता है. इसलिए बछरू छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की पहचान बनने के साथ-साथ छत्तीसगढ़िया संस्कृति को भी प्रदर्शित कर रहा है.
क्या है बछरू नाम का मतलब? छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में शुरू हुए छत्तीसगढ़िया ओलिंपिक 2023 के लिए शुभंकर बछरू (गाय का बछड़ा) को बनाया है. छत्तीसगढ़ में गाय के बछड़े को बछरू कहा जाता है. इस ओलिंपिक के थीम सॉन्ग पर थिरकते बछरू का अंदाज लोगों को बेहद पसंद आया. शुभारंभ के दिन बछरू को लॉन्च किया गया. जिसकी शानदार एंट्री ने दर्शकों का दिल जीत लिया. यहां सीएम भूपेश बघेल समेत कई नेताओं और लोगों ने बछरू के साथ सेल्फी भी ली.
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का शानदार आगाज:हरेली तिहार के दिन से ही प्रदेश में छत्तीसगढ़िया ओलिंपिक का शानदार आगाज हो गया है. छत्तीसगढ़िया ओलिंपिक में लोग बच्चों से लेकर बूढ़े तक उत्साह के साथ भाग लेते दिख रहे हैं. खासकर गांवों में इसका अलग ही रौनक देखने को मिलता है. पिछली बार के ओलिंपिक में भी पूरे प्रदेश में खासा उत्साह देखने को मिला था. बच्चों से लेकर बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों ने इस प्रतियोगिता में बढ़-चढ़ कर भाग लिया था. गांव-गांव में पारंपरिक खेलों के लिए माहौल बन गया था.