रायपुर: सेरेब्रल पाल्सी एक जन्मजात बीमारी है, जो गर्भावस्था के दौरान बच्चों को होती है. इस बीमारी में बच्चे का ब्रेन डैमेज होने के कारण उन्हें कई तरह की तकलीफें और समस्याएं आने लगती है. इस बीमारी के कारण बच्चों की शारीरिक गतिविधि असामान्य हो जाती है. ऐसी बीमारी से ग्रसित बच्चे अन्य बच्चों से अलग होने के साथ ही उनके व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिलता है. ऐसी बीमारी से ग्रसित होने पर बच्चों का विकास भी रुक जाता है.
स्पीच थेरेपी और फिजियोथेरेपी से मिलेगी राहत:सेरेब्रल पाल्सी बीमारी में स्पीच थेरेपी और फिजियोथेरेपी करने पर कुछ हद तक इसका इलाज संभव है. फिजियोथैरेपिस्ट डॉ संदीप कश्यप ने बताया, फिजियोथेरेपी के माध्यम से बच्चों के असामान्य मूवमेंट में सुधार लाया जा सकता है. लेकिन उसके बाद माता-पिता को भी बच्चों को हमेशा मूवमेंट कराना जरूरी होता है. फिजियोथेरेपी के अभाव में बच्चे के शरीर का मूवमेंट बंद होने का डर बना रहता है.
"सेरेब्रल पाल्सी बीमारी से ग्रसित बच्चों को अलग-अलग थेरेपी दी जाती है. जिससे बच्चा अन्य बच्चों की तरह सामान्य रूप से चलना फिरना कर सके. इस बीमारी से ग्रसित बच्चों को बोल-चाल में होने वाली परेशानी के लिए स्पीच थेरेपी देना भी जरूरी है. तभी वह बच्चा सामान्य बच्चों की तरह मूवमेंट कर पाएगा." - डॉ संदीप कश्यप, फिजियोथैरेपिस्ट
लगातार फिजियोथेरेपी देना है जरूरी: सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित 5 साल की बच्ची की मां ने बताया, बच्ची पैदा होने के 9 महीने के बाद पता चला कि उसकी बच्ची को सेरेब्रल पाल्सी बीमारी है. बच्ची जब 11 महीने की थी, उस समय फिजियोथेरेपी के लिए रायपुर लाया गया था. जिसके बाद बच्ची ने मूवमेंट करना शुरू किया था. पीड़ित परिवार ने छुईखदान में लगभग 6 महीने फिजियोथेरेपी करवाया, तब जाकर पीड़ित बच्ची घुटने के बल चलने के साथ पलटना सीख पाई. अभी भी बच्ची बोल नहीं पाती है, लेकिन सब कुछ इशारे से समझती और बताती है.
सेरेब्रल पाल्सी बीमारी (दिमागी लकवा) होने की वजह: डॉ संदीप कश्यप ने आगे बताया, "यह बीमारी बच्चों में जन्म के पहले, बच्चा पैदा होने के समय और बच्चा पैदा होने के बाद भी हो सकती है. प्रीमेच्योर बेबी होना भी इसका एक कारण है.