Arvind Netam: अरविंद नेताम ने पार्टी छोड़ी, कांग्रेस ने कहा- फायदा होगा, भाजपा ने फिर अलापा आदिवासी राग
Arvind Netam अरविंद नेताम ने चुनाव से पहले कांग्रेस से इस्तीफा देकर ये जताने की कोशिश की कि आदिवासी वोटर्स कितना अहम है. लेकिन कांग्रेस नेताम के इस हथकंडे को भाव नहीं दे रही है. कांग्रेस का कहना है कि नेताम के पार्टी छोड़ने के बावजूद आदिवासी वोट उनके खाते से कहीं नहीं जाएंगे. वहीं भाजपा मान रही है कि इससे कांग्रेस को नुकसान तो होगा ही साथ ही आदिवासी वोट उन्हें मिलेंगे.
अरविंद नेताम का कांग्रेस से इस्तीफा
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Published : Aug 11, 2023, 2:32 PM IST
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Updated : Aug 12, 2023, 12:34 PM IST
अरविंद नेताम के इस्तीफे से कांग्रेस को नुकसान या बीजेपी को फायदा
रायपुर: वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. चुनाव से ऐन पहले नेताम के इस कदम से छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल मच गई है. अब आदिवासी समाज किसी राजनीतिक दल को समर्थन देगा, यह सवाल भी खत्म हो गया है क्योंकि आदिवासी अब खुद चुनावी मैदान में उतरने वाले हैं. इसके लिए रणनीति भी तैयार कर ली गई है. इसी रणनीति के तहत आदिवासी समाज के वरिष्ठ नेता अरविंद नेताओं ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है. नेताम ने अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को संबोधित करते हुए दिया है जिसमें उन्होंने पार्टी छोड़ने की वजह प्रदेश नेतृत्व का रवैया बताया है.
छत्तीसगढ़ की राजनीति में अरविंद नेताम का दखल:अरविंद नेताम की आदिवासी समाज में अच्छी पकड़ है. वे आदिवासियों के हक के लिए लड़ने वालों के रूप में जाने जाते हैं. आदिवासी समाज में उनका अच्छा मान सम्मान भी है. कई बार आदिवासी के मुद्दों को लेकर अरविंद नेताम अपनी ही पार्टी से भिड़ गए या फिर अपनी पार्टी की गाइडलाइन से अलग होकर उन्होंने अपनी बात लोगों के सामने रखी. जिस वजह से कई बार उन्हें पार्टी की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा. बावजूद इसके वे आदिवासियों को लेकर काम करते रहे हैं.
बड़े आदिवासी नेता के चुनाव से पहले पार्टी छोड़ने को लेकर कांग्रेस तवज्जो नहीं दे रही है. कांग्रेस का कहना है कि अरविंद नेताम के कांग्रेस छोड़ने से पार्टी को काफी फायदा होगा. ये काम उन्हें पहले कर लेना चाहिए था.
इस्तीफा देने में देर कर दी
बहुत देर कर दिया उन्होंने. वह भानुप्रतापपुर चुनाव में ही कैंडिडेट खड़ा कर लिए थे. जो अपने पार्टी के खिलाफ में काम करता है वह अपने आप निष्कासित हो जाता है. इस्तीफा देने की जरूरत ही नहीं है. पार्टी विरोधी गतिविधि में सम्मिलित थे. भाजपा की तरफ से खेल रहे हैं. उनकी बैठक भी लगातार हो रही है. लेकिन वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने उनका निष्कासन नहीं किया. कितने बार वे दल बदल चुके हैं. पहले निकाल लेते तो अभी तक एक और दल बदलने की स्थिति आ जाती-भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
अरविंद नेताम के पार्टी छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. वैसे भी कांग्रेस में रहकर कांग्रेस के खिलाफ काम करते थे. ऐसी कोई पार्टी नहीं बची. जिसमें नेताम ना गए हो, एक भी ऐसी पार्टी नहीं है. उनके जाने से नुकसान नहीं उल्टा फायदा होगा- सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस मीडिया विभाग
नेताम के कांग्रेस छोड़ने से भाजपा उत्साहित: आदिवसी वोटर्स के लिए बस्तर के चक्कर लगा रही भाजपा ने कांग्रेस से आदिवासी नेता के इस्तीफे को लपक लिया और एक बार फिर कांग्रेस में आदिवासियों की उपेक्षा का आरोप लगाया. भाजपा इस बात से खुश है कि अरविंद नेताम के कांग्रेस पार्टी छोड़ने से आदिवासी वोटर भाजपा की तरफ झुकेगा.
भाजपा ने कांग्रेस पर लगाया आदिवासियों के अपमान का आरोप
कांग्रेस का कोई बड़ा नेता कांग्रेस का साथ छोड़ता है तो उसमें नुकसान कांग्रेस को ही होगा. वरिष्ठ नेता ने आदिवासी दिवस के दूसरे दिन कांग्रेस छोड़कर बता दिया कि इस सरकार से आदिवासी कितने नाराज हैं. जब से भूपेश बघेल की सरकार बनी है सिर्फ आदिवासियों को कठपुतली की तरह उपयोग हो रहा है. जब भी कोई अपने अधिकारों का बात करते हैं तो वह अपने पद से हटा दिया जाते हैं. चाहे मोहन मरकाम हो प्रेमसाय सिंह टेकाम हो. आदिवासियों की नाराजगी अब सामने आने लगी है. अनुराग अग्रवाल, सह प्रभारी, मीडिया, छत्तीसगढ़ भाजपा
नेताम के जाने से कांग्रेस को नहीं होगा नुकसान, भाजपा को भी लाभ मिलने की नहीं है कोई उम्मीद:राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार रवि भोई का कहना है कि अरविंद नेताम के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. क्योंकि अरविंद नेताम कांग्रेस में पहले से ही साइड लाइन थे. उनकी कोई पूछ परख नहीं थी. लेकिन आदिवासियों के बीच उनकी एक अच्छी छवि है, काफी पुराने आदिवासी नेता हैं.आदिवासी वोट बैंक को प्रभावित कर सकते हैं. लेकिन कांग्रेस को इसका खास नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा. भाजपा को भी इससे बहुत फायदा नहीं पहुंचेगा. कुछ हद तक आदिवासी वोट प्रभावित होंगे जो परंपरागत रूप से कांग्रेस के वोट हैं.
नेताम की पार्टी कोई सीट जीत पाए, इसकी उम्मीद कम ही है. क्योंकि छत्तीसगढ़ में अब तक सिर्फ दो पार्टियों का ही अस्तित्व रहा है. वह कांग्रेस और बीजेपी है. 1-2 सीट पर बसपा जीतती है. 2018 में जोगी पार्टी अपने दम पर कुछ सीट जीती थी. इसलिए कह सकते हैं कि नेताम थर्ड फ्रंट बनने की स्थिति में नहीं है- रवि भोई, वरिष्ठ पत्रकार
ना फायदा होगा ना नुकसान होगा
कौन हैं वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम:अरविंद नेताम कांग्रेस से पांच बार कांकेर से सांसद रहे हैं. अविभाजित मध्य प्रदेश के समय कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में अरविंद नेताम को कृषि राज्यमंत्री बनाया गया था. इसके बाद ही बस्तर में कांग्रेस की पकड़ मजबूत हुई थी. तब से नेताम कांग्रेस के लिए काम कर रहे थे. लेकिन साल 2012 में अरविंद नेताम को कांग्रेस ने निलंबित कर दिया, क्योंकि नेताम ने राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी की जगह पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और आदिवासी लीडर पीए संगमा को समर्थन दिया था. जनवरी 2017 में अरविंद नेताम ने बीजेपी से निष्कासित पूर्व सांसद सोहन पोटाई के साथ जय छत्तीसगढ़ पार्टी का गठन किया लेकिन विधानसभा चुनाव 2018 में पार्टी कुछ खास नहीं कर सकी. इसके बाद राहुल गांधी ने जन स्वराज सम्मेलन में नेताम की एक बार फिर कांग्रेस में वापसी कराई. अब एक बार फिर नेताम ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया है. लेकिन इस बार नेताम किसी राजनीतिक दल में नहीं जा रहे हैं बल्कि सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले आदिवासी समाज के लोगों को चुनावी मैदान में उतार रहे हैं. इस बार आदिवासी समाज सीधे चुनाव लड़ेगा ना की किसी बैनर तले मैदान में उतरेगा.