रायपुर:गुरुवार पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र शूल योग विशकुंभकरण और सिंह राशि की चंद्रमा में बृहस्पतिवार के दिन 17 मार्च को होलिका दहन का पावन कार्यक्रम मनाया (Raipur Holi special) जाएगा. होलिका दहन प्रेम उल्लास खुशी मैत्रीय और आनंद का पर्व आज के शुभ दिन सभी अपने द्वेष मतभेद भूलकर एक दूसरे से मिलते हैं. प्रेम को विस्तारित करते हैं.यहां मिलने मिलाने मित्रता और परिवार के बीच रहने का त्यौहार है होलिका दहन वास्तव में अपने मन की इच्छा लोभ काम क्रोध को जलाने का त्यौहार है. आज के दिन अपने अंदर की सारी नकारात्मकता भय चिंता और दूसरों को अग्नि में दग्ध करने का शुभ दिन है. सारी बुराइयां समस्त दोष अग्नि को समर्पित करने का त्योहार है. यह असत्य पर सत्य की जीत अधर्म पर धर्म की जीत और अनीति पर नीति की जीत का पर्व है.
अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व
प्राचीन काल में भक्त प्रहलाद ने लगातार विष्णु भगवान की उपासना की. इससे उसके पिता हिरण्यकश्यप को बहुत तकलीफ और वेदना होती थी. हिरण्यकश्यप अहंकारी धूर्त और दंभी राजा था. वह अपने आप को ही भगवान घोषित कर देता है. उसका पुत्र सच्चे विष्णु भगवान का निष्ठावान भक्त रहता है. कालांतर में हिरण्यकश्यप अपने अहंकार में डूब कर अपने बेटे प्रहलाद पर अनेक अत्याचार करता था. एक समय में होलिका जिसे अग्नि में नहीं जलने का आशीर्वाद प्राप्त था. वह अपने भतीजे और नारायण के भक्त प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ जाती है. परंतु ईश्वर का न्याय नारायण की कृपा और माधव के आशीर्वाद से सत्य धर्म भक्ति और महान कर्म योग की जीत होती है. भक्त प्रल्हाद धधकती हुई ज्वाला के लौ से पूरी तरह लक्ष्मी नारायण की कृपा से सुरक्षित बाहर निकल जाता है. होलिका का संपूर्ण दहन हो जाता है. तब से लेकर यह पर्व अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है.
गोबर से बने हुए गुलाल से होली