रायपुर:मनोनयन का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष को दिया गया है. साथ ही सभी वर्ग के लोगों को सीडब्ल्यूसी में जगह देने की बात कही गई है. कांग्रेस का यह फैसला कितना लाभदायक होगा. जानकार इस फैसले को किस तरह से देखते हैं. भाजपा क्या कहती है.आइये जानते हैं.
भाजपा क्या कहती है:भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का कहना है कि "कांग्रेस पार्टी का अपना हक है. अपना संविधान बनाने का. पर कांग्रेस पार्टी को इस बात को भी सोचना चाहिए कि जैसे वह दावा करते हैं कि हम लोकतांत्रिक पार्टी हैं. यह निर्णय उसके अनुरूप है कि नहीं. यह कांग्रेस को विचार करना चाहिए."
"कांग्रेस में कितना लोकतंत्र है":भाजपा महामंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि "लोकतंत्र की दुहाई देने वाली कांग्रेस पार्टी ने गांधी परिवार को सीडब्ल्यूसी का आजीवन सदस्य बनाकर यह बता दिया है कि कांग्रेस में कितना लोकतंत्र है. छत्तीसगढ़ के मंत्रियों की खराब परफॉर्मेंस को देखते हुए छत्तीसगढ़ में बैठकर छत्तीसगढ़ के मंत्रियों के टिकट काटने का नियम बनाया गया है. 82 साल के राष्ट्रीय अध्यक्ष की पार्टी अब 50 फ़ीसदी से ज्यादा टिकट युवाओं को देगी और छत्तीसगढ़ से आने वाले लगभग सारे मंत्री 50 की उम्र से ज्यादा हैं."
क्या कहते हैं जानकार:वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा ने बताया कि "CWC में चुनाव की परंपरा रही है. चुनाव के जरिए 12 सदस्य चुने जाते हैं. 11 सदस्य को अध्यक्ष मनोनीत करते हैं. यानी कुल मिलाकर सीडब्ल्यूसी में 23 सदस्य होते हैं. सीडब्ल्यूसी सर्वोच्च कमेटी है. इसके मेंबर चुने जाते हैं. अभी यही एक बड़ा मुद्दा था. 1997 के बाद सीडब्ल्यूसी के चुनाव नहीं हुए थे. वहीं पुराने मेंबर ही बने हुए थे. यह एक नया विषय था. यह महत्वपूर्ण विषय था. जिसकी चर्चा यहां पर होनी थी. पहले 11 सदस्य अध्यक्ष मनोनीत करते थे. अब सभी 23 सदस्य अध्यक्ष मनोनीत करेंगे.वे अब अपने ढंग से चयन करेंगे, चुनाव नहीं होगा."
क्या फायदा होगा:वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा ने आगे बताया कि"कांग्रेस ने बाकायदा कैटेगरी बांटी है. उन्होंने निर्णय लिया है कि कैटेगरी वाइस जैसे एसटी, एससी, पिछड़े वर्ग के कितने, महिलाओं से कितने युवाओं से कितने यह उन्होंने कैटेगरी वाइज किया हुआ है. उस हिसाब से सभी को प्रतिनिधित्व मिलेगा. उनकी रिप्रेजेंटेशन होगी. वहां पर तो निश्चित तौर पर यह जो है, जहां से मैं देख रहा हूं कि यह थोड़ी सी स्थिति बनेगी कि चुनाव के बाद गुटबाजी की परंपरा से खत्म होते दिखेगी. एक अच्छी परंपरा है जो अध्यक्ष ने चुन लिया वह फाइनल मान लिया जाएगा."