रायपुर:छत्तीसगढ़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. ईटीवी भारत कई ऐसी प्रतिभाओं से ही आप सभी को रू-ब-रू कराता है, जो कि सोच से परे है. आज हम आपको राजधानी रायपुर के रहने वाले अक्ष चोपड़ा से मिलवाने जा रहे हैं. महज 10 साल की उम्र में अक्ष के अंदर शतरंज के प्रति इस तरह का जूनून (Aksha Chopra of Raipur has passion for chess) है, जिसे देखतें हुए अक्ष के घरवालों ने ही अपने घर की छत पर शतरज का बोर्ड तैयार करवाया है.
रायपुर का शतरंज चैंपियन अक्ष चोपड़ा यहां तक कि अक्ष के घर के कमरों की सजावट चैस बोर्ड के थीम पर की गई है. अपने इस जुनून के लिए अक्ष चोपड़ा रोजना घण्टों प्रैक्टिस करते हैं. इस विषय में ईटवी भारत ने अक्ष, उसकी मां और दादाजी से बातचीत की. आईए जानते हैं कि उनका क्या कहना है?
इंटरनेशनल की तैयरी: अक्ष चोपड़ा ने ईटीवी भारत को बताया, "मैं 4 साल की उम्र से शतरंज खेल रहा हूं. मैंने स्टेट लेवल, नेशनल लेवल के कंपटीशन में भाग लिया है. मैं कोलकाता, हैदराबाद, बैंगलोर, जम्मू कश्मीर, भुनेश्वर में आयोजित होने वाले नेशनल लेवल कंपीटीशन में भाग लिया हूं. मैंने 5 नेशनल लेवल कंपीटिशन में स्टेट को रिप्रेजेंट किया है. अक्ष ने बताया कि जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में मेरा रैक पहला या दूसरा रहता है. नेशनल लेवल प्रतियोगिता में कभी रैक पीछे भी आ जाता है."
रोजाना 5 घंटे प्रैक्टिस:अक्ष ने बताया कि वो हर दिन 4-5 घंटे शतरंज की प्रेक्टिस करता है. अक्ष अपना भविष्य भी शतरंज में बनाना चाहता है. अब अक्ष की ख्वाहिश है किइंटरनेशनल कंपटीशन में पार्टिसिपेट करे और अपने राज्य और देश का नाम रोशन करे.
लक्ष्य से ध्यान ना भटके इसलिए परिवारवालो ने कमरे को किया तैयार:अक्ष की मां इशिका चोपड़ा कहती हैं, "जब अक्ष चार साल का था तो उसके अंदर हमने शतरंज के लिए जुनून देखा. जब हमारा नया घर सेटअप हो रहा था, तो हमने चैस के लिए उसकी दीवानगी देखते हुए उसके बैड रूम, बच्चो की अलमारी भी शतरंज बोर्ड की थीम पर तैयार किया ताकि वह अपने लक्ष्य से न भटके. शतरंज को लेकर अक्ष का जो पैशन है, हम चाहते हैं कि इंटरनेशनल लेवल पर वह भारत को रिप्रेजेंट करे. भारत के लिए मेडल जीत कर लाएं. 4 साल की उम्र में उसे शतरंज से लगाव हुआ. 5 साल की उम्र में हमने ट्रेनिंग के लिए क्लासेस लगाई. धीरे-धीरे टूर्नामेंट में खेलने लगा. यह देखकर हमे भी उस पर विश्वास हो गया. उसे आगे बढ़ाने के लिए हम लोग उसका सपोर्ट हमेशा करते रहेंगे."
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घर की छत पर शतरंज बोर्ड:अक्ष दादा मुकेश चोपड़ा कहते हैं, " मेरा ज्वेलरी का व्यापार है. जब अक्ष छोटा था, उस दौरान दुकान में चांदी के हाथी-घोड़े रखे होते थे... उस दौरान ही उसका लगाव शतरंज में आ गया था. सबसे पहले उसने मेरे साथ ही शतरंज खेला. उसके शतरंज खेलने के अंदाज को देखकर परिवार में सब हैरान हो गए. जब हमने घर बनवाया तो अपने घर को ही शतरंज हाउस का नाम दे दिया. हमने इंटीरियर डिजाइनर से यह कहा कि घर में ज्यादा से ज्यादा शतरंज के थीम पर ही हर चीज हो ताकि बच्चे को शतरंज से लगाव और बढ़े और मोटिवेशन मिलता रहे. हमने अपने घर की छत पर भी एक शतरंज बोर्ड तैयार किया है, जहां बच्चे शतरंज खेलते हैं."
3 चाल में ही अपने प्रतिद्वंदी को हराया: अक्ष के दादा ने बताया कि जब अक्ष ने पहला मैच खेला था, उस दौरान उसने अपने प्रतिद्वंदी को 3 चाल पर ही मात दे दी थी और विनर हो गया था. यह देखकर हमने भी इस के खेल में इंटरेस्ट लिया और इसे इंटरनेशनल लेवल तक पहुंचाने के लिए उसका सपोर्ट करते आ रहे हैं. मैं भी अपने पोते के पीछे दिन-रात लगा रहता हूं कि वह गलत रास्ते पर ना जाए और शतरंज के लिए उसकी दीवानगी बनी रहे. आगे चल कर यह ऐसा खेले कि हमारे राज्य और हमारे देश का नाम रौशन करे."