रायपुर : विवाह के बाद ऐसे दंपती जिन्हें संतान प्राप्ति में तकलीफ होती है, उनके लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत करना शुभ माना जाता है. इस साल ये एकादशी 27 अगस्त दिन रविवार को पड़ रही है. पुत्रदा एकादशी अभिष्ट फल देने वाली मानी जाती है. पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान प्राप्ति के योग बढ़ते हैं. इसलिए निसंतान दंपत्तियों को पुत्रदा एकादशी के व्रत का पालन पूरे भक्ति भाव से करना चाहिए.
संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है व्रत :यह तिथि पुत्र सन्तान की प्राप्ति के लिए विशेष पूजा और व्रत का आयोजन करने के लिए जानी जाती है. यह व्रत विशेष रूप से पुत्रहीन या संतानहीन लोगों के लिए ही है. पुत्रदा एकादशी का व्रत कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को पड़ती है. जिसका मतलब ये है कि यह कई मासिक तिथियों पर पड़ सकती है. इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति नियमित ध्यान, पूजा, जाप करते हैं और सन्तान प्राप्ति की कामना करते हैं.
कैसे करें पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा ?:इस दिन सुबह उठकर योग ध्यान, सूर्य नमस्कार से निवृत्त होकर भगवान भोलेनाथ का ध्यान करना चाहिए. शिवालय जाकर भगवान भोलेनाथ को दूध, जल, पंचामृत, बेलपत्र, आक के फूल, धतूरा, नीले पुष्प से शिवलिंग का श्रृंगार करना चाहिए. यह श्रृंगार सच्चे मन से करना चाहिए. इसके साथ ही श्री हरि भगवान विष्णु को स्मरण करते हुए इस एकादशी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस एकादशी व्रत को निश्चल मन से संकल्प लेकर पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए. आज के शुभ दिन बाल गोपाल यानी भगवान कृष्ण को अच्छी तरह निर्मल और साफ कर उन्हें सुंदर से पात्र में विधिवत आसन लगाकर स्थापित करना चाहिए.