रायपुर:कोरोना के इस मुश्किल दौर में दाल-रोटी खाना भी मुश्किल हो गया है. अक्सर बड़े-बुजुर्गों से ये कहते हुए सभी ने सुना होगा कि दाल-रोटी खाओ प्रभु के गुन गाओ, लेकिन दाल-रोटी की 'दाल' मिलना अब आसान नहीं है. कोरोना और लॉकडाउन के दौरान दालों के दामों में काफी उछाल आया है. ETV भारत ने दाल के बाजार में आ रहे उतार-चढ़ाव का कारण जानने की कोशिश की, जिसमें ये बातें निकलकर सामने आई.
- कोरोना काल में दाल की उपलब्धता में कमी
- सब्जियों के दाम बढ़ने से दाल की मांग बढ़ी
- प्रोटीन का अच्छा और सस्ता स्रोत माना जाता है दाल
कोरोना काल में दाल की घटती-बढ़ती कीमतें
कोरोना महामारी के बीच लगातार खाद्य सामग्रियों के दाम आसमान छूते जा रहे हैं. इसी कड़ी में अगर दाल की कीमतों की बात की जाए तो दाल की कीमतों में भी काफी इजाफा हुआ है. मार्च में कोरोना संक्रमण के आते ही लॉकडाउन लगाया गया, उस दौरान दाल की कीमतों में काफी उछाल आया था, हालांकि महीनेभर बाद दाल का बाजार सामान्य हो गया, और लोगों को दाल पुरानी कीमतों में बाजार में मिलने लगी. लेकिन पिछले कुछ दिनों से एक बार फिर अचानक दाल की कीमतों में उछाल आया है जो दाल कुछ दिन पहले तक 80 से 90 रुपये किलो बिक रही थी, अब वहीं दाल 110 से 120 रुपए किलो बिक रही है.
दुकानदारों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद बाजार में अचानक से तेजी आई है, उन्होंने बताया कि जो दाल पहले 85 से 90 रुपये किलो मिलती थी अब 110 से 115 रुपये किलो मिल रही है, जिसे उपभोक्ताओं को ₹120 किलो मे बेचा जा रहा है. व्यापारियों का कहना है कि दाल के दाम बढ़ने के कारण दाल की डिमांड में कमी आई है.
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ये तो रही रहर दाल की कीमत, आइए एक नजर दूसरी दालों की कीमतों पर भी डालें.
दाल | पहले (रुपये में) | अब (रुपये में) |
रहर | 80-90 | 120-130 |
उड़द | 90-100 | 130-140 |
मूंग | 110-120 | 150-160 |
मसूर | 70-80 | 90-100 |
चना | 65-70 | 80-90 |
दाल की कीमतों में उछाल आने की वजह
दाल लोगों के लिए अति आवश्यक है, क्योंकि जो प्रोटीन दाल में होता है वह अन्य किसी चीजों में नहीं होता है, आइए आपको बताते हैं कि दाल खाने के क्या फायदे हैं.