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Raipur: राजधानी में शिक्षित बेरोजगारों का धरना, राज्य सरकार से रोजगार की मांग

राजधानी रायपुर के धरनास्थल में रविवार को छत्तीसगढ़ प्रशिक्षित डीएड, बीएड संघ ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया है. जिसमें पूरे प्रदेश से 5000 से भी ज्यादा बेरोजगार युवाओं ने हिस्सा लिया.

Protest of educated unemployed in raipur
बेरोजगारों का धरना प्रदर्शन

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Published : Apr 9, 2023, 6:45 PM IST

रायपुर में शिक्षित बेरोजगारों का धरना प्रदर्शन

रायपुर: बेरोजगार युवाओं ने मांग करते हुए कहा कि "शिक्षा, स्वास्थ्य, लाइब्रेरियन, राजस्व, जल संसाधन, कृषि विद्युत और पशु चिकित्सा समेत कई विभागों में कई तरह के पद खाली हैं. लेकिन सरकार पिछले 1 साल में आरक्षण को हाईकोर्ट में लंबित बताते हुए इन पदों पर वैकेंसी नहीं निकाल रही है. उनकी मांग है कि इन पदों पर जल्दी भर्ती किया जाये और रुकी हुई भर्तियों को शुरु किया जाये.



सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन: संघ के अनुसार, पिछले 12 सालों से कला संकाय के शिक्षक पदों पर भर्ती नहीं निकाली गई है. इसे लेकर बेरोजगारों में काफी गुस्सा देखने को मिला. अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए इन लोगों ने प्रदर्शन के दौरान मुंडन कराया और सरकार की अर्थी भी निकाली. इसके अतिरिक्त एसआई भर्ती वालों ने राज्य सरकार से नियुक्ति की भीख भी मांगी.



"आरक्षण की मांग कोई नहीं कर रहा":डीएड, बीएड संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव चंद्राकर ने कहा कि "छत्तीसगढ़ में बेरोजगार है, इसमें सभी वर्ग है, एसटी, एससी, ओबीसी. आप नजर घुमा कर देखें, यहां पर आरक्षण की मांग कोई नहीं कर रहा है. यह सरकार हमें फालतू में बेवजह लटका रही है और भर्ती नहीं करना चाहती है, इसलिए उसे बेवजह 75 परसेंट कर दिया है. एसटी, एससी, ओबीसी के बेरोजगार मांग कर रहे हैं कि, सरकार भर्तियां करे. करीब 50 परसेंट के दायरे में जो भर्तियां रुकी है, उन्हें जल्द से जल्द लागू किया जाए."

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सरकार से सकारात्मक कदम उठाने की मांग: छत्तीसगढ़ प्रशिक्षित डीएड बीएड संघ के प्रदेश अध्यक्ष दाऊद खान ने कहा कि "यदि हमारी मांगे पूरी नहीं होती है, तो आगे जा नहीं सकते. हम बेरोजगार हैं, घर भी जा नहीं सकते. घर में अलग ताने हैं., बीवी अलग बोलती है, मां अलग बोलती है. सिर्फ मुझे ही नहीं सब को सुनाते हैं. क्योंकि हम आज से नहीं पिछले 10-12 सालों से कोई डीएड करके बैठा है, कोई बीएड करके बैठा है. कोई TET पास है, कोई कैट पास है. SI परीक्षा वाले अलग परेशान हैं. इसीलिए जब तक हमारी मांगों को लेकर सरकार कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाती है, हम यहीं बैठे रहेंगे. हम कहीं नहीं जाएंगे."

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