रायपुर: प्रदेश की राजधानी रायपुर में 20 अगस्त से प्रदेश भर के वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हड़ताल पर हैं. अपनी 2 सूत्रीय मांग स्थायीकरण और नियमितीकरण की मांग को लेकर प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर कर्मचारी बैठे हैं. वन विभाग ने काम करने वाले लगभग 500 ऐसे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं, जो आज रिटायरमेंट की कगार पर पहुंच चुके हैं. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने वन विभाग में अपनी जवानी की दहलीज पर काम करना शुरू किया था. आज रिटायरमेंट के करीब पहुंच गए हैं. आज भी उन्हें उम्मीद है कि सरकार उन्हें स्थाई और नियमितीकरण की सौगात देगी. इसी उम्मीद में उम्र के अंतिम पड़ाव में भी जी जान और पूरी मेहनत से जंगलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ का प्रदर्शन जारी
प्रदेश की राजधानी रायपुर में 20 अगस्त से प्रदेश भर के वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हड़तालल पर हैं. अपनी 2 सूत्रीय मांगों को लेकर सभी कर्मचारी हड़ताल पर हैं.
जान जोखिम में डालकर जंगलों की सुरक्षा करते हैंकर्मचारी: एक ऐसे ही बुजुर्ग सुखराम निषाद से भी हमने बात की. तो उन्होंने बताया कि "सन 1988 से वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे हैं. आज उनको इस विभाग में काम करते हुए लगभग 34 साल पूरे हो गए हैं. अब उम्र के इस अंतिम पड़ाव में इन्हें भी स्थाई और नियमितीकरण का इंतजार है. सुखराम निषाद ने सन 1988 में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में जब काम की शुरुआत की थी. उस समय इनका वेतन महज 2500 रुपये हुआ करता था. जो आज 34 साल बीत जाने के बाद 9500 रुपये पर पहुंचा है. महंगाई के इस दौर में आखिर इतने कम रुपए में कैसे और किस हालात में वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी अपना गुजर-बसर करेंगे." सुखराम निषाद बताते हैं कि "अपनी जान जोखिम में डालकर जंगलों की सुरक्षा करते हैं. कीमती लकड़ी की चोरी या जंगलों में आगजनी जैसी घटना. इस सब काम में काफी जोखिम होता है. जिसमें किसी तरह का कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है."
सरकार मांगें पूरी करे, वोट सरकार को ही देंगे: छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री राम कुमार सिन्हा ने बताया कि "वन विभाग में कुशल अर्ध कुशल और अकुशल तीन श्रेणियों में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का वेतन निर्धारित किया गया है. जिसमें कुशल श्रेणी में 11,000 रुपए वेतन हैं. अर्ध कुशल श्रेणी में 10,000 रुपये वेतन है और अकुशल श्रेणी में 9500 रुपए वेतन है." उन्होंने बताया कि "उम्र के इस अंतिम पड़ाव में जंगलों में जाकर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को जंगली जंगली जानवरों की सुरक्षा करने के साथ ही वनों की अवैध कटाई पर भी निगरानी रखना होता है. इसके साथ ही जंगलों में होने वाली आगजनी से जंगलों को बचाना होता है. सरकारी नौकरी करने वाले वनरक्षक जंगल नहीं जाते हैं, तो पूरी जिम्मेदारी इन्हीं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की रहती है. कई बार इनका सामना लकड़ियों की अवैध कटाई करने वाले तस्करों से भी होती है." उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से अपील की है कि सरकार उन्हें स्थाई और नियमितीकरण का तोहफा दे दे. जिससे वे अपना और अपने परिवार का भरण पोषण अच्छे से कर सके और आने वाले समय में खुशहाल जीवन जी सके. उन्होंने आगे कहा कि "सरकार उन्हें नियमित करती है, तो आने वाले समय में उन्हें फिर से वोट देंगे. अगर सरकार इनकी बातों पर अमल नहीं करती है, तो आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट देने के लिए दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को सोचना पड़ेगा."
दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारीयों की 2 सूत्रीय मांगें: वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांगें हैं. जिसमें पहली मांग स्थायीकरण और दूसरी मांग नियमितीकरण की है. इन कर्मचारियों का कहना है कि जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूर्ण कर लिए हैं उन्हें, स्थाई किया जाए और जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं उन्हें नियमित किया जाए. पूरे प्रदेश में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 हैं. इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में प्रतिमाह महज 9500 से 11000 हज़ार रुपये ही वेतन मिलता है. जो वन विभाग में वाहन चालक कंप्युटर, ऑपरेटर, रसोईया और बेरियर का काम करने के साथ ही जंगल का काम देखते हैं.
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Forest Employees Union