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छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ का प्रदर्शन जारी

प्रदेश की राजधानी रायपुर में 20 अगस्त से प्रदेश भर के वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हड़तालल पर हैं. अपनी 2 सूत्रीय मांगों को लेकर सभी कर्मचारी हड़ताल पर हैं.

Demonstration of forest workers union continues
वन कर्मचारी संघ का प्रदर्शन जारी

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Published : Sep 10, 2022, 10:53 PM IST

रायपुर: प्रदेश की राजधानी रायपुर में 20 अगस्त से प्रदेश भर के वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हड़ताल पर हैं. अपनी 2 सूत्रीय मांग स्थायीकरण और नियमितीकरण की मांग को लेकर प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर कर्मचारी बैठे हैं. वन विभाग ने काम करने वाले लगभग 500 ऐसे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं, जो आज रिटायरमेंट की कगार पर पहुंच चुके हैं. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने वन विभाग में अपनी जवानी की दहलीज पर काम करना शुरू किया था. आज रिटायरमेंट के करीब पहुंच गए हैं. आज भी उन्हें उम्मीद है कि सरकार उन्हें स्थाई और नियमितीकरण की सौगात देगी. इसी उम्मीद में उम्र के अंतिम पड़ाव में भी जी जान और पूरी मेहनत से जंगलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ का प्रदर्शन
प्रदेश में वनकर्मी की संख्या लगभग 6500: पूरे प्रदेश में वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 है. जिसमें से 500 ऐसे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं, जो युवावस्था में वन विभाग में अपनी सेवाएं देनी शुरू की थी. आज इन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की उम्र 55 के पार हो चुकी है. बावजूद इसके आज भी वन विभाग ने अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वन विभाग में रिटायरमेंट की उम्र 62 वर्ष है. ऐसे में जो दैनिक वेतन भोगी जो उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं. उनके रिटायरमेंट में महज 5 से 7 साल ही रह गए हैं. रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके इन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की आंखों में एक ही सपना है. सरकार उन्हें स्थाई और नियमितीकरण का तोहफा दे. जिससे वे सभी अपना और अपने परिवार का अच्छे से भरण पोषण कर सकें. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में अपनी सेवाएं जवानी से देने वाले कुछ ऐसे ही लोग जो अब रिटायरमेंट के करीब पहुंच गए हैं ऐसे ही कुछ लोगों से ईटीवी भारत ने खास बात की...दिक्कतों का सामना करना पड़ता है: राजनादगांव वन मंडल में पदस्थ जनक लाल चौधरी ने बताया कि " वे सन् 1995 से जंगल विभाग में काम कर रहे हैं. आज उनकी उम्र लगभग 56 साल की हो गई है. बावजूद इसके उनका हौसला आज भी वैसे ही दिखाई दे रहा है, जैसे आज से 27 साल पहले था. उन्होंने बताया कि वन विभाग में काम करते 27 साल होने के बाद भी विभाग की ओर से 7-8 महीने के बाद वेतन का भुगतान होता है. ऐसे में अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि "ब्याज में पैसा लेकर अपना और अपने परिवार को चलाने को मजबूर हैं. गरीबी और आर्थिक तंगी के चलते दिन में एक बार ही खाना खाकर जीवन चला रहे हैं. वन विभाग की तरफ से महीने में महज 9500 रुपए मिलता है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्चा भी नहीं चल पा रहा. जवानी में जब काम शुरू किया था, उस दरमियान सर के बाल काले थे, लेकिन आज सभी बाल सफेद हो चुके हैं."स्थाई और नियमितीकरण की है उम्मीद: दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले खुज्जी रेंज के विष्णु यादव ने बताया कि "मेरी उम्र 55 साल हो गई हैं और सन 1997 से वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम शुरू किया था. जो आज भी अनवरत जारी है. विष्णु यादव ने अपनी पीड़ा और दुख दर्द को बयां करते हुए बताया कि "परिवार के लोग भी इन्हें कहते हैं कि जब विभाग की ओर से पैसा नहीं मिलता है. तो नौकरी करने से क्या फायदा. लेकिन क्या करें इसी उम्मीद में नौकरी कर रहे हैं कि आज नहीं तो कल सरकार इन्हें स्थाई और नियमित करेगी. वे बताते हैं कि घर परिवार के लोग अगर मजदूरी नहीं करते तो परिवार भी नहीं पाल सकते थे. अब सरकार से यही गुहार लगा रहे हैं कि बुढ़ापे के इस अंतिम सफर में उन्हें स्थाई और नियमितीकरण का सौगात मिल जाए. राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर इसी उम्मीद में पिछले 20 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं."




जान जोखिम में डालकर जंगलों की सुरक्षा करते हैंकर्मचारी: एक ऐसे ही बुजुर्ग सुखराम निषाद से भी हमने बात की. तो उन्होंने बताया कि "सन 1988 से वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे हैं. आज उनको इस विभाग में काम करते हुए लगभग 34 साल पूरे हो गए हैं. अब उम्र के इस अंतिम पड़ाव में इन्हें भी स्थाई और नियमितीकरण का इंतजार है. सुखराम निषाद ने सन 1988 में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में जब काम की शुरुआत की थी. उस समय इनका वेतन महज 2500 रुपये हुआ करता था. जो आज 34 साल बीत जाने के बाद 9500 रुपये पर पहुंचा है. महंगाई के इस दौर में आखिर इतने कम रुपए में कैसे और किस हालात में वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी अपना गुजर-बसर करेंगे." सुखराम निषाद बताते हैं कि "अपनी जान जोखिम में डालकर जंगलों की सुरक्षा करते हैं. कीमती लकड़ी की चोरी या जंगलों में आगजनी जैसी घटना. इस सब काम में काफी जोखिम होता है. जिसमें किसी तरह का कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है."



सरकार मांगें पूरी करे, वोट सरकार को ही देंगे: छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री राम कुमार सिन्हा ने बताया कि "वन विभाग में कुशल अर्ध कुशल और अकुशल तीन श्रेणियों में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का वेतन निर्धारित किया गया है. जिसमें कुशल श्रेणी में 11,000 रुपए वेतन हैं. अर्ध कुशल श्रेणी में 10,000 रुपये वेतन है और अकुशल श्रेणी में 9500 रुपए वेतन है." उन्होंने बताया कि "उम्र के इस अंतिम पड़ाव में जंगलों में जाकर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को जंगली जंगली जानवरों की सुरक्षा करने के साथ ही वनों की अवैध कटाई पर भी निगरानी रखना होता है. इसके साथ ही जंगलों में होने वाली आगजनी से जंगलों को बचाना होता है. सरकारी नौकरी करने वाले वनरक्षक जंगल नहीं जाते हैं, तो पूरी जिम्मेदारी इन्हीं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की रहती है. कई बार इनका सामना लकड़ियों की अवैध कटाई करने वाले तस्करों से भी होती है." उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से अपील की है कि सरकार उन्हें स्थाई और नियमितीकरण का तोहफा दे दे. जिससे वे अपना और अपने परिवार का भरण पोषण अच्छे से कर सके और आने वाले समय में खुशहाल जीवन जी सके. उन्होंने आगे कहा कि "सरकार उन्हें नियमित करती है, तो आने वाले समय में उन्हें फिर से वोट देंगे. अगर सरकार इनकी बातों पर अमल नहीं करती है, तो आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट देने के लिए दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को सोचना पड़ेगा."



दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारीयों की 2 सूत्रीय मांगें: वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांगें हैं. जिसमें पहली मांग स्थायीकरण और दूसरी मांग नियमितीकरण की है. इन कर्मचारियों का कहना है कि जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूर्ण कर लिए हैं उन्हें, स्थाई किया जाए और जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं उन्हें नियमित किया जाए. पूरे प्रदेश में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 हैं. इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में प्रतिमाह महज 9500 से 11000 हज़ार रुपये ही वेतन मिलता है. जो वन विभाग में वाहन चालक कंप्युटर, ऑपरेटर, रसोईया और बेरियर का काम करने के साथ ही जंगल का काम देखते हैं.

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