रायपुर:नवा रायपुर में आयोजित हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का छठा दीक्षांत समारोह पूरा हुआ. रविवार को BALLB की डिग्री प्राप्त करने वाले 23 वर्षीय प्रियेश पाठक पर सबकी नजरें टिकीं रहीं. प्रियेश पाठक गंभीर बीमारी ग्रिट्टी उलरिच मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से जूझ रहे हैं. इस बीमारी से लड़ते हुए उन्होंने पढ़ाई की और बीएएलएलबी की डिग्री हासिल की है. एचएनएलयू के चांसलर और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने प्रियेश पाठक को बीएएलएलबी की डिग्री दी.
Priyesh Pathak got BALLB degree: मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित 23 साल के प्रियेश पाठक ने हासिल की BALLB की डिग्री - मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा
व्हीलचेयर से BALLB की डिग्री तक का सफर. यह कहानी है प्रियेश पाठक की जो ग्रिट्टी उलरिच मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित हैं. उन्होंने अपनी काबलियत और पढ़ाई के बल पर BALLB की डिग्री हासिल की है. BALLB degree from HNLU of raipur
![Priyesh Pathak got BALLB degree: मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित 23 साल के प्रियेश पाठक ने हासिल की BALLB की डिग्री Priyesh Pathak got BALLB degree](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18-06-2023/1200-675-18787178-thumbnail-16x9-sampada.jpg)
प्रियेश पाठक ने बताई सफलता की कहानी: प्रियेश पाठक ने बताया कि वह बीते दस साल से ग्रिट्टी उलरिच मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित हैं. उन्होंने कहा कि" मैंने अपने प्रमुख विषयों के रूप में पीसीएम (फिजिक केमिस्ट्री और मैथ्स) के साथ 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण की थी और सीएलएटी (कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट) पास किया था.फिर मैंने एचएनएलयू में एडमिशन लिया. मुझे कानून की पढ़ाई में दिलचस्पी है. मुझे सिविल और कानूनी सेवाओं में रूचि है. मैं भविष्य में यूपीएससी की परीक्षा देना चाहता हूं. अपने दोस्तों, परिवारजनों की वजह से मैं यहां तक का सफर तय कर पाया हूं. मेरे माता पिता और मेरे दोस्त मेरी सफलता में सहायक रहे हैं."
प्रियेश पाठक के पिता प्रदीप कुमार पाठक ने बताया कि प्रियेश ने जेईई एडवांस और यूजी क्लैट को एक साथ पास किया था. उसका चयन प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर में हुआ था. लेकिन अपनी शारीरिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने एचएनएलयू को चुना. आज उनकी सफलता पर हमें गर्व है. निश्चित तौर पर प्रियेश की सफलता कई लोगों को प्रेरित करेगी. जो कई तरह की बीमारियों से हार कर भविष्य की लड़ाई बीच में छोड़ देते हैं.