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नहीं नजर आ रहे शादियों के सुंदर कार्ड, लॉकडाउन में प्रिंटिंग कारोबारी हुए 'बर्बाद'

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Published : May 14, 2021, 11:00 PM IST

कोरोना की रफ्तार को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन में आयोजनों पर रोक लगा दी गई है. शादी और अन्य आयोजनों को सीमित कर दिया गया है. ऐसे में कार्ड प्रिंटिंग का काम पूरी तरह से बंद हो गया. अब लोग कागज के सुंदर कार्डों की जगह ऑनलाइन डिजिटल कार्ड का प्रयोग कर रहे हैं. हजारों लोगों के रोजगार पर इससे असर पड़ा है. प्रिंटिंग सेक्टर को करोड़ों का घाटा हुआ है. प्रिंटिंग प्रेस के क्षेत्र से जुड़े लोगों से ETV भारत की टीम ने बात की है.

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कोरोना और लॉकडाउन में प्रिंटिंग कारोबार ठप

रायपुर:तेजी से पैर पसारता कोरोना संक्रमण और लंबे वक्त से लागू लॉकडाउन ने छत्तीसगढ़ में जन-जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है. लगभग हर सेक्टर पर इसका प्रभाव नजर आ रहा है. साल 2020 के मार्च में लॉकडाउन लगाया गया था. इस साल अप्रैल के पहले हफ्ते से कई जिलों में लॉकडाउन लागू किया गया. लॉकडाउन के सख्त नियमों ने कई धंधों को चौपट कर दिया है. लॉकडाउन के कारण प्रिंटिंग क्षेत्र पूरी तरह से बर्बादी की कागार पर पहुंच गया है.

नहीं नजर आ रहे शादियों के सुंदर कार्ड

दरअसल कोरोना की रफ्तार को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन में आयोजनों पर रोक लगा दी गई है. शादी और अन्य आयोजनों को सीमित कर दिया गया है. ऐसे में कार्ड प्रिंटिंग का काम पूरी तरह से बंद हो गया. अब लोग कागज के सुंदर कार्डों की जगह ऑनलाइन डिजिटल कार्ड का प्रयोग कर रहे हैं. हजारों लोगों के रोजगार पर इससे असर पड़ा है. साथ ही सीजन के वक्त होने वाली आवक पूरी तरह ठप पड़ गई है. जिससे इस सेक्टर को करोड़ों रुपयों का घाटा भी हुआ है. ETV भारत लगातार ऐसे मुद्दों को उठा रहा है. रायपुर में प्रिंटिंग प्रेस के क्षेत्र से जुड़े लोगों से ETV भारत की टीम ने बात की है.व्यापारी हालातों को देखकर काफी हताश हो गए हैं.

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राजधानी में कारोबार ठप

प्रिंटिंग का कारोबार करने वाले छोटे-बड़े कुल मिलाकर लगभग 200 दुकानें प्रिंटिंग का काम करते हैं. इन दुकानों में ऑफसेट, स्क्रीन, मल्टी कलर और फ्लेक्स प्रिंटिंग जैसे कार्ड और फ्लेक्स की छपाई होती है. अप्रैल से जून तक 3 महीने के इस पीक सीजन में राजधानी में लगभग 500 करोड़ रुपए का कारोबार होता है. अकेले राजधानी रायपुर की बात करें तो इस 1 महीने के लॉकडाउन के दौरान प्रिंटिंग का काम करने वाले कारोबारियों को लगभग 200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.

एडवांस ऑर्डर से बड़ा घाटा

प्रिंटिंग का काम करने वाले कारोबारियों का कहना है कि कई लोगों ने लॉकडाउन के पहले अप्रैल और मई के महीने में होने वाली शादियों के लिए कार्ड छपाई के ऑर्डर दिए थे. लेकिन अप्रैल और मई के महीने में लॉकडाउन होने के कारण लोगों ने शादियों के कार्ड दुकानदारों से नहीं लिया. एडवांस ऑर्डर पर व्यापारियों ने कार्ड छापे लेकिन कार्ड का ऑर्डर देने वालों की शादी रुक गई या फिर उन्होंने 10-20 लोगों के बीच ही शादी की, ऐसे में कार्ड उन्होंने नहीं लिया. जिसका घाटा अब दुकानदार उठा रहे हैं. प्रिंटिंग का काम करने वाले कारोबारियों को इसका नुकसान सहना पड़ रहा है.

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अन्य खर्चों तले दबते जा रहे व्यापारी

शादी और अन्य आयोजन नहीं होने के कारण करीब 1 साल से प्रिंटिंग कारोबार प्रभावित है. बीच में इस सेक्टर को थोड़ी रफ्तार मिली, लेकिन दोबारा लॉकडाउन ने सबकुछ बिगाड़ दिया है. कारोबारी अपना कारोबार चलाने के लिए किराए से दुकान लेने के साथ ही स्टाफ का खर्चा और बिजली का बिल भी चुका रहे हैं. जो धीरे-धीरे उनकी मुश्किलें बढ़ा रहा है. प्रिंटिंग कारोबार से जुड़े कारोबारी बताते हैं कि सेविंग अकाउंट में जो कुछ भी पैसा जमा करके रखा गया था, अब वह भी धीरे-धीरे खत्म हो गया है. अब उनके लिए रोजी-रोटी चलाना और परिवार पालना भी मुश्किल हो गया है.

किस्त भरने के लिए परेशान कारोबारी

प्रिंटिंग से जुड़े कुछ कारोबारी प्रिंटिंग की मशीनें फाइनेंस के जरिए लिए हैं. बता दें इन मशीनों की कीमत लाखों में होती है. अब इन मशीनों का ईएमआई चुका पाना भी तकलीफ दायक हो गया है. पिछले साल भी प्रिंटिंग कारोबारियों के इसी तरह के हालात थे. कारोबारियों को अब भविष्य की चिंता सताने लगी है. उनका कहना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो हम मशीनों के किश्त कैसे भरेंगे.

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