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राज्योत्सव में आज बिखरेगी छत्तीसगढ़ी संस्कृति की छटा, सीएम भूपेश करेंगे शुभारंभ - Rajyotsava celebrations

कांग्रेस सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए राज्योत्सव में तीन दिन छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य, वादन, गायन के साथ गजल और संगीत की प्रस्तुतियां करवाने का फैसला किया है. इससे पहले फिल्मी सितारों को प्रमुखता से बुलाया जाता था, जिसे कांग्रेस ने बदल दिया. खबर में आगे पढ़ें राज्योत्सव के तीन दिवसीय कार्यक्रम के बारे में.

भूपेश बघेल करेंगे शुभारंभ

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Published : Nov 1, 2019, 7:59 AM IST

Updated : Nov 1, 2019, 8:31 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के 20वें स्थापना दिवस पर 1 से 3 नवम्बर को राज्योत्सव का आयोजन किया गया है. यह राजधानी के साइंस कॉलेज मैदान में होगा. इस साल राज्योत्सव में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की छटा बिखरेगी. प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद यह पहला राज्योत्सव है.

राज्योत्सव में आज बिखरेगी छत्तीसगढ़ी संस्कृति की छटा,

कांग्रेस ने बड़ा बदलाव करते हुए राज्योत्सव में तीन दिन तक छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य, वादन, गायन के साथ गजल और संगीत की प्रस्तुतियां करवाने का फैसला किया है. इससे पहले फिल्मी सितारों को प्रमुखता से बुलाया जाता था, जिसे कांग्रेस ने बदल दिया. इस बार पंडवानी गायन, पारंपरिक नृत्य पंथी, गेड़ी, गौरी-गौरा, राउत नाचा, करमा, सैला, गौर, ककसाड़, धुरवा, सुआ नृत्य, सरहुल नृत्य, सैला नृत्य, राउत नाच और ककसार नृत्य की प्रस्तुति होगी.

राज्योत्सव का शुभारंभ 1 नवम्बर को शाम 7 बजे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करेंगे. पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन वह राज्योत्सव में शामिल नहीं होंगी. 2 नवम्बर के कार्यक्रम में राज्यपाल अनुसुइया उइके मुख्य अतिथि होंगी. राज्योत्सव का समापन 3 नवम्बर को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत की उपस्थिति में होगा.

ये होंगे कार्यक्रम

  • कार्यक्रम की शुरुआत मांगलिक मोहरी वादन से होगा. इसके बाद छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना गीत-अरपा पैरी के धार की प्रस्तुति होगी. लोकनृत्यों का संगम होगा, जिसमें राज्य के विभिन्न अंचलों के लोक नर्तक दलों की प्रस्तुति होगी. इस प्रस्तुति में पंथी, गेड़ी, गौरी-गौरा, राउत नाचा, करमा, सैला, गौर, ककसाड़, धुरवा, सुआ नृत्य का संयोजन होगा. इसी क्रम में पंडवानी गायन, रायगढ़ की कत्थक शैली में समूह नृत्य की प्रस्तुति होगी साथ ही रंगारंग लोकमंच के कार्यक्रम के साथ प्रथम दिवस की सांस्कृतिक संध्या का समापन होगा.
  • राज्योत्सव की दूसरे दिन सांस्कृतिक संध्या का आरंभ खंझेरी भजन से होगा. इसके बाद उत्तर छत्तीसगढ़ का सरहुल और सैला नृत्य, मध्य छत्तीसगढ़ का राउत नाच और दक्षिण छत्तीसगढ़ का ककसार नृत्य होगा. इस क्रम में अल्फाज और आवाज गीत-गजल का कार्यक्रम होगा. साथ ही पियानो एवं एकार्डियन व वाद्यवृंद की प्रस्तुति होगी. इसी दिन ओड़िसी और भरतनाट्यम के अलावा पारंपरिक भरथरी गायन व सरगुजिहा गीत प्रस्तुत किए जाएंगे. कार्यक्रम का समापन लोकमंच के साथ होगा.
  • राज्योत्सव की तीसरी सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत छत्तीसगढ़ी सुगम गायन से होगा. इस दिन पूर्वी छत्तीसगढ़ का करमा, उत्तरी छत्तीसगढ़ का लोहाटी बाजा, दक्षिण छत्तीसगढ़ का गेड़ी नृत्य व मध्य छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य होगा. इसके बाद कठपुतली का कार्यक्रम, कबीर सूफी गायन होगा. वाद्यवृंद में तालकचहरी और सेक्सोफोन एवं गिटार की प्रस्तुति होगी. पारंपरिक लोक गायन ढोलामारू के बाद कार्यक्रम की समाप्ति लोकमंच से होगी.
Last Updated : Nov 1, 2019, 8:31 AM IST

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