छत्तीसगढ़ के जंगलों में आग से निपटने क्या शासन-प्रशासन है तैयार ? - chhattisgarh news
छत्तीसगढ़ के जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही है. ETV भारत की टीम ने पड़ताल की है कि शासन-प्रशासन स्तर पर इन आग पर काबू पाने के लिए कौन से संसाधन उपलब्ध है ? यदि विदेशों के जैसी आग छत्तीसगढ़ के जंगलों में लगी, तो इससे निपटने राज्य सरकार की तैयारी कैसी है ?
छत्तीसगढ़ के जंगलों में आग
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Published : Mar 14, 2021, 5:31 PM IST
रायपुर:छत्तीसगढ़ के जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही है. किसी दिन चार सौ, किसी दिन 500 और कभी तो 700 से ज्यादा आग लगने की घटना जंगलों में देखने को मिल रही है. इन घटनाओं के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. प्रमुख वजह जंगल में जाने वाले लोग जानबूझकर या फिर अनजाने में आग लगा देते हैं, क्योंकि छत्तीसगढ़ में इतनी गर्मी नहीं पड़ती जिस वजह से जंगल में खुद-ब-खुद आग लग जाए. बावजूद इसके आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. इन घटनाओं ने वन विभाग की चिंता बढ़ा दी है.
छत्तीसगढ़ के जंगलों में आग से निपटने क्या शासन-प्रशासन है तैयार ?
यदि प्रदेश के जंगलों में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के जंगल के जैसी भीषण आग लगी तो क्या वन विभाग इससे निपटने को तैयार है ? क्योंकि वहां हेलीकॉप्टर सहित कई आधुनिक संसाधन है. जिससे आग बुझाने का काम किया जाता है. बावजूद इसके वे कई दिनों तक आग पर काबू नहीं पाते हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ ऐसी दुर्घटनाओं से निपटने में कितना तैयार है, यह सबसे बड़ा सवाल है. जंगल में लग रही आग, उसके कारण और उसे रोकने सरकार के किए जा रहे उपायों पर ETV भारत ने पड़ताल की है.प्रदेश में पिछले सालों समेत इस साल हुई आग लगने की घटनाओं पर एक नजर-
साल
आग की घटना
2017
33,179
2018
23,091
2019
17,835
2020
4,713
01 जनवरी से 11 मार्च 2021
4,507
साल 2017 में सबसे ज्यादा जंगल में लगी थी आग
छत्तीसगढ़ के जंगलों में हर साल आग लगने के सैकड़ों मामले सामने आते हैं. साल 2017 में सबसे ज्यादा आग लगने की घटना प्रदेश में सामने आई.
साल 2021 में मार्च में सबसे ज्यादा लगी जंगल में आग
1 जनवरी से 11 मार्च 2021 तक जंगल में कुल 4507 आग लगने की घटनाएं हुई. जिसमें मार्च में ही 4144 आग लगने की घटनाएं सामने आई. इसमें से 179 जगहों पर आग लगने की घटना दोबारा देखने को मिली है.
1 दिन में 715 जगह जंगल में लगी आग
यदि 11 मार्च की बात की जाए तो इस दिन जंगल मे 715 आग लगने की घटनाये देखने को मिली, ऐसे में कहा जा सकता है कि मार्च महीने में बहुत ज्यादा आग लगने की घटना जंगलों में देखने को मिल रही है.
बीजापुर और उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा आग लगने की घटना
जंगल में आग लगने की सबसे अधिक घटना बीजापुर और उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में देखने को मिल रही है. 11 मार्च 2020 में बीजापुर में 385 जगह पर आग लगने की घटना हुई. वहीं उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में 415 जगहों पर जंगल में आग लगी. यदि 11 मार्च 2021 तक की बात की जाए तो बीजापुर में 446 और उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में 509 जगह पर आग लगने की घटना देखने को मिली है.
आग की मुख्य वजह है इंसान, कोरोना काल में सबसे कम लगी आग
यदि साल 2020 की बात की जाए तो साल भर में मात्र 4713 आग लगने की घटना सामने आई. जो पिछले कई वर्षों में सबसे कम थी. बताया जा रहा है कि पिछले साल लॉकडाउन की वजह से जंगलों में आग लगने की घटना कम देखने को मिली है. यह आंकड़े साबित करते हैं कि जंगलों में आग लगने की मुख्य वजह इंसान ही हैं. जो जाने-अनजाने जंगलों में आग की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.
इस मसले पर सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी कहते है कि प्रदेश में इतनी गर्मी नहीं पड़ती है कि जंगलों में अपने आप आग लग जाए. जंगल में ज्यादातर आग की घटनाएं व्यक्तियों की लापरवाही की वजह से देखने को मिलती है. लोग सिगरेट-बीड़ी पीने के बाद उसे जंगल में फेंक देते हैं. वर्तमान में महुआ का सीजन है, महुआ के लिए लोग जंगल में पेड़ के आसपास आग लगाते हैं. जिससे आग लग जाती है.
फायर वॉचर एक दूसरे के क्षेत्र में लगाते हैं आग
सिंघवी ने बताया कि कई बार ये भी देखा जाता है कि अग्नि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जिन फायर वॉचर की नियुक्ति की जाती है. उनकी ओर से भी दूसरे फायर वॉचर के क्षेत्र में आग लगा दी जाती है. जिससे विभाग को यह पता चले कि जिस फायर वॉचर की नियुक्ति की गई है. वह उस योग्य नहीं हैं. इस वजह से ही कई अग्नि दुर्घटनाएं देखने को मिलती है.
सिंघवी ने बताया कि फायर वॉचर की भर्ती 15 फरवरी से 15 जून तक के लिए होती है. हर एक बीट में एक फायर वॉचर रखा जाता है. छत्तीसगढ़ में 3500 बीट हैं. पिछले साल तक समस्या थी कि वन विभाग के पास पैसा नहीं था, लेकिन इस साल कैंपा फंड से इनकी नियुक्ति की व्यवस्था की गई है.
यदि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया के जैसी छत्तीसगढ़ के जंगल में लगी आग, तो नहीं बुझा सकेगा वन विभाग
सिंघवी ने कहा कि प्रदेश के जंगलों में आग फैलने से रोकने के लिए लोकल और ट्रेडिशनल व्यवस्था ही मौजूद है. हमारे पास हेलीकॉप्टर से पानी या फॉम डालने की व्यवस्था नहीं है. इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
इससे जंगल में कम हो सकती है आग लगने की घटना
सिंघवी ने बताया कि साल 2016 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक जजमेंट दिया था. जिसमें कहा गया था कि वन विभाग पर्याप्त संख्या में फायर वॉचर नियुक्त करें. वहां पर फायर फाइटिंग इक्विपमेंट उपलब्ध कराया जाए. अन्य संसाधन मुहैया कराई जाए. इतना गंभीर निर्णय बहुत कम सुनने को मिला है. उत्तराखंड हाईकोर्ट का साफ आदेश है कि यदि किसी जंगल में 24 घंटे तक आग नियंत्रित नहीं की जा सकती है तो डीएफओ को तत्काल निलंबित किया जाएगा. 48 घंटे आग की घटना पर काबू नहीं पाया गया तो सीसीएफ को निलंबित किया जाएगा. 72 घंटे आग लगी रहती है तो पीसीसीएफ को निलंबित किया जाएगा.
यदि उत्तराखंड की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में इन आग की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाया जाता है तो स्वभाविक है कि आने वाले समय में प्रदेश के जंगलों में अग्नि घटनाओं पर काबू पाया जा सकता है.
इन घटनाओं को लेकर राज्य सरकार के प्रवक्ता मंत्री रविंद्र चौबे से बात की गई. उन्होंने कहा कि प्रदेश के जंगलों में लग रही आग पर वन मंत्री प्रत्यक्ष रूप से निगरानी कर रहे हैं. वे इसपर नजर बनाये हुए हैं.
चिंता का विषय बनी ये घटनाएं
जंगलों में लगातार बढ़ रही आग की घटनाओं को रोकने शासन-प्रशासन की ओर से कई तरह के प्रयास किए जाने के दावे किए जाते रहे हैं. बावजूद इसके इन घटनाओं में कमी नहीं आ रही है. विदेशों में लगने वाली भीषण आग जैसे हालात होते हैं को इससे निपटने के लिए छत्तीसगढ़ का वन विभाग तैयार नजर नहीं आता है. क्योंकि न तो विभाग पास आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर जैसी कोई सुविधा है ना ही कोई आधुनिक संसाधन मौजूद हैं. आलम यह है कि जंगल में भीषण आग लगने की स्थिति में फायर ब्रिगेड या अन्य कोई आधुनिक उपकरण पहुंचाने में भी वन विभाग असमर्थ है. देखना होगा कि इन घटनाओं को रोकने शासन-प्रशासन स्तर पर क्या प्रयास किए जाते हैं. फिलहाल, ये घटनाएं चिंता का विषय जरूर बनी हुई है.