रायपुर:हर साल की तरह इस साल भी 1 जुलाई 2022 को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकाली जाएगी. पिछले 20 वर्षों से रायपुर के भगवान जगन्नाथ मंदिर से यह रथ यात्रा निकाली जा रही है. इस दिन भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ मंदिर से निकल कर अपने भक्तों के जीवन में सुख-दुख की मंगल वर्षा करते हैं. उन्हें स्पष्ट लाभ का एक अवसर प्रदान कर साक्षात दर्शन देते हैं.
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रायपुर के जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और सुभद्रा के लिए 3 रथ बनाए जाते हैं. वहीं तीन रथों को खास तरह की लकड़ी से बनाया जाता है. आखिर यह लकड़ी कौन सी है और यह लकड़ी की खासियत क्या है इस बारे ने ईटीवी भारत में जगन्नाथ मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष पुरंदर मिश्रा से खास बातचीत की. आइए जानते है उन्होंने क्या कहा ...
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सराय के लकड़ी से बनाया जाता है भगवान जगन्नाथ का रथ:जगन्नाथ मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष पुरंदर मिश्रा ने बताया " जगन्नाथ भगवान , बलराम और सुभद्रा जी का रथ "सराय" के लकड़ी से बनाया जाता है. "सराय" लकड़ी शुभ माना जाता है. ऐसे कहा जाता है कि "सराय" की लकड़ी में कभी दीमक नहीं लगता और ये मजबूत रहता है. पुरी में भी सराय के लकड़ी से ही रथ को बनाया जाता है. जिसे जंगल से एक खास समय पर ही काटा जाता है. हमारे यहां तो हमें खरीदना पड़ता है. कई छोटी-छोटी जगह पर लकड़ी ना मिल पाने की वजह से जो उपलब्ध लकड़ी उससे रथ बनाया जाता है."
इस साल धूमधाम से निकाली जाएगी जगन्नाथ रथ यात्रा:मुख्यमंत्री , राज्यपाल से लेकर तमाम बड़े नेताओं को को भेजा इनविटेशन भेज गया है. जगन्नाथ मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष पुरंदर मिश्रा ने बताया " कोरोना के बाद इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा बड़ी धूमधाम से निकाली जाएगी. रथ यात्रा में हमने मुख्यमंत्री, राज्यपाल से लेकर तमाम मंत्रियों और नेताओं को आमंत्रित किया है. हर साल की तरह इस साल भी बड़े धूमधाम से रथ यात्रा का आयोजन किया जाएगा. रथ यात्रा का कार्यक्रम 12:00 बजे से शुरू होगा. इसके बाद अतिथि आएंगे और पूजा होगी. विधि विधान से पूरा कार्यक्रम किया जाएगा. पिछले 20 सालों से रायपुर के जगन्नाथ मंदिर में रथयात्रा का आयोजन किया जा रहा है."
भगवान जगन्नाथ , बलराम और सुभद्रा के लिए बनाया जाता है 3 रथ: जगन्नाथ मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष पुरंदर मिश्रा ने बताया " रायपुर के जगन्नाथ मंदिर में 3 रथ बनाए जाते हैं. पहला जगन्नाथ भगवान , दूसरा सुभद्रा माता और तीसरा बलभद्र के लिए. बलभद्र जी के रथ को "तालध्वज" , सुभद्रा माता के रथ को "दर्पदलन" और जगन्नाथ भगवान के रथ को "नंदिघोष" कहा जाता है."
रथ को बनाने के लिए हमने 10 से ज्यादा कारीगरों को दूसरे राज्यों से बुलाया है. पिछले 2 महीने से रथ बनाने और श्रृंगार करने की प्रक्रिया चल रही है.