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धर्म, कर्म और दान का दिन है प्रदोष व्रत, इस तरह से करें भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न - प्रदोष व्रत पूजा विधि

भगवान शंकर की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) को सर्वोत्तम माना जाता है. मान्यता है कि ये व्रत करने से भक्तों की सारी कामना पूरी होती है. आप भी जानिए क्या है प्रदोष व्रत और कैसे होती है महादेव की पूजा ?

Pradosh Vrat 2021
प्रदोष व्रत 2021

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Published : Jul 4, 2021, 9:32 PM IST

Updated : Jul 4, 2021, 10:56 PM IST

रायपुर:सनातन धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) कलयुग में अति मंगलकारी होता है. महीने की त्रयोदशी तिथि (13वां दिन) में शाम का जो समय होता है, उसे प्रदोष काल कहा जाता है. मान्यता है कि प्रदोष के समय भगवान शंकर कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं. प्रदोष का जो व्रत है वह बेहक कल्याणकारी है. प्रदोष व्रत को करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं.

प्रदोष व्रत 2021

इस महीने प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2021) 7 जुलाई (बुधवार) को पड़ रहा है. बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र और गंड-शुभ योग समेत गर-वव करण में शुभ प्रदोष व्रत मनाया जाएगा. इस दिन अनादि शंकर जी को जलाभिषेक, दुग्ध अभिषेक और गंगा अभिषेक से प्रसन्न किया जाता है. इस दिन व्रत का भी विधान है. गौ माता को रोटी, तरकारी, हरी साग, सब्जी भी खिलाने का विधान है. दान की महान परंपरा इस दिन सिद्ध होती है.

इन चीजों से करें महादेव की पूजा

भगवान शंकर को बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल विशेष प्रिय है. इससे भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं. अष्ट चंदन, मलयाचल के चंदन का अभिषेक करने से साधकों की मनोकामनाएं पूरी होती है. भवानी शंकर जी को हरी दूब का चढ़ावा बहुत प्रिय है.

इन स्तोत्र और मंत्रों का करें पाठ

बुधवार का दिन शंकर जी के पुत्र गणेश जी का भी दिन है. यह प्रदोष व्रत शंकर जी के पुत्र के वार पर होने की वजह से अतिरिक्त विशेष हो जाता है. भगवान गणेश जी की भी पूजा कर शिव तांडव स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र, शिव संकल्प मंत्र, शिव नमस्कार मंत्र, शिव पंचाक्षर मंत्र का पाठ करना इस दिन सिद्धि देता है. कुंवारी कन्याओं सहित सुहागिन महिलाएं भी इस व्रत को करती हैं. युवा और वृद्ध भी इस व्रत से भगवान शिव की कृपा पा सकते हैं. ये व्रत शिव साधकों के लिए विशेष महत्व रखता है.

निर्जला और निराहर व्रत सर्वोत्तम

प्रदोष व्रत विधि के अनुसार दोनों पक्षों (शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष) की प्रदोषकालीन त्रयोदशी को मनुष्य निराहार (बिना कुछ खाए पीए) रहे. निर्जल और निराहार व्रत सर्वोत्तम है. लेकिन अगर ये संभव न हो तो नक्तव्रत करें. पूरे दिन सामर्थ्यानुसार या तो कुछ न खाएं या फल लें. अन्न पूरे दिन नहीं खाना है. सूर्यास्त के कम से कम 72 मिनट बाद हविष्यान्न (जैसे- जौ, तिल, मूंग, चावल आदि) ले सकते हैं. शिव-पार्वती युगल दंपति का ध्यान करके पूजा करके, प्रदोषकाल में (शाम के समय) घी का दीपक जलाना अच्छा माना गया है.

मान्यताओं के मुताबिक:

  • रविवार के दिन प्रदोष व्रत रखा जाए तो साधक हमेशा निरोगी रहता है.
  • सोमवार के दिन व्रत करने से सारी इच्छा फलित होती है. सोमवार के दिन प्रदोष व्रत आने पर इसे सोमप्रदोष कहा जाता है.
  • मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से रोग से मुक्ति मिलती है.
  • बुधवार के दिन इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती है.
  • बृहस्पतिवार (गुरुवार) के व्रत से शत्रु का नाश होता है.
  • शुक्रवार को प्रदोष व्रत रखने से सौभाग्य की वृद्धि होती है.
  • शनिवार को प्रदोष व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है.
Last Updated : Jul 4, 2021, 10:56 PM IST

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