रायपुर/कोंडागांव :यह कहानी है कोंडागांव जिले के उमरगांव निवासी चार सदस्यों के एक गरीब परिवार की. इस परिवार में माता-पिता के अलावा बस उनकी दो बेटियां ही हैं. पहली 22 साल की हेमबती और दूसरी 18 साल की लखमी (Hembati and Lakhmi of Kondagaon). न उनके पिता पढ़े-लिखे हैं और न मां ही. ऐसे में इस परिवार के मुखिया अमल साय ने हाल ही में गरीबी के कारण परिवार का भरण-पोषण करने में खुद को असमर्थ पाया. उनके पास खेत तो था, लेकिन खेती करने के लिए बैल नहीं थे. परिवार को दो वक्त की रोटी मिल सके, इसके लिए उन्होंने अपना खेत बेचने का मन बना लिया.
जमीन बेचने का मन बना चुके पिता की सहारा बनीं बेटियां
मुश्किल के इस वक्त में उनकी दोनों बेटियां अपने पिता का सहारा बनीं. खेत बेचने का मन बना चुके पिता को रोकते हुए दोनों ने कहा कि आप हमारे गुजर-बसर के लिए खेत बेचना चाहते हैं, लेकिन इसकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी. यही खेत हमारे परिवार की जिंदगी बदलेगा. फिर क्या था दोनों बहनों ने खेती शुरू कर दी. बेटियों ने खुद ही हल खींचकर धीरे-धीरे अपनी पांच एकड़ जमीन पर फसलें उगाईं. नतीजा यह रहा कि अब इस परिवार की खेती भी संभलने लगी है.
सीमित संसाधनों के बीच बेहतर उपज तैयार कर रहा परिवार
राजीव गांधी किसान न्याय योजना (Rajiv Gandhi Kisan Nyay Yojana) ने भी परिवार को सहारा दिया. उन्हें अपने उपज की अच्छी कीमत मिलने लगी. अब यह परिवार कम संसाधनों के बावजूद पांच एकड़ में बेहतर खेती करता है, लेकिन इसके लिए बेटियों को अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ अभी भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इस वाकये की जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) को जब हुई तो उन्होंने कोंडागांव जिला कलेक्टर (Kondagaon District Collector) से परिवार की पूरी जानकारी मंगाई. सीएम बघेल ने इस परिवार के लिए 04 लाख रुपये की आर्थिक मदद स्वीकृत की है.