रायपुर: कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन ने हर सेक्टर को प्रभावित किया है. व्यापार-व्यवसाय पर इसका विपरीत प्रभाव अब दिखने लगा है. छत्तीसगढ़ में 9 अप्रैल के बाद से अलग-अलग जिलों में लगातार लॉकडाउन का दौर चल रहा है. फिलहाल सभी जिलों में लॉकडाउन लगा हुआ. कई जिलों में लॉकडाउन का दूसरा और तीसरा चरण चल रहा है. अचानक बढ़े कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन से प्रदेश में पोल्ट्री व्यवसाय पर बुरा असर पड़ रहा है. इसका एक बड़ा कारण उत्पादन को न रोक पाना है.
पोल्ट्री व्यवसाय की सप्लाई प्रभावित होने से पूरा पोल्ट्री कारोबार प्रभावित हो चुका है. प्रदेश में लॉकडाउन के कारण रोज सप्लाई होने वाले अंडों खेप अब एका एक रुक गई है. इससे प्रतिदिन 60 लाख अंडे की सप्लाई प्रभावित हो रही है. करोड़ों की संख्या में अंडे खराब होने की कगार पर आ गए हैं.
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प्रतिदिन 60 लाख अंडो का उत्पादन
प्रदेश में पोल्ट्री फार्मर रोज लगभग 70 लाख अंडो का उत्पादन करते हैं. अंडो का इतना ज्यादा स्टॉक हो गया है कि 5 करोड़ अंडों को कोल्ड स्टोरेज में रखना पड़ा है. इसके बावजूद भी अंडे का उत्पादन लगातार जारी है. लॉकडाउन में किराना सब्जी सभी दुकानों को बंद रखा गया था. ऐसा होने से अंडा कारोबार बहुत ज्यादा प्रभावित हो गया है. अंडों का ज्यादा कारोबार किराना दुकानों में भी होता है, वहीं चिकन के दुकानों में भी इसकी बिक्री बड़े पैमाने पर होती है. इसी के साथ अंडों का बड़ा कारोबार दूसरे राज्यों में भी होता है. फिलहाल पूरा कारोबार ही ठप्प पड़ गया है.
हजारों व्यापारियों की आजीविका प्रभावित
प्रदेश में 4 हजार से ज्यादा पोल्ट्री फार्म कारोबारी हैं. इनके अलावा छोटे फॉर्मर भी मौजूद हैं. इसकी सप्लाई चेन में बड़े पैमाने पर लोग जुड़े हैं. व्यवसाय से अपना जीवन चला रहे हैं. अंडे बहुत ही सेंसिटिव होते हैं और गर्मी के दिनों में इनकी लाइफ भी काफी कम होती है. ऐसे में अंडों को सहेजने के लिए कोल्ड स्टोरेज में इसे रखना होता है. लेकिन इतने बड़े पैमाने पर हर रोज उत्पादन को सहेजने के लिए कोल्ड स्टोरेज में रखना संभव नहीं है. ऐसे में अंडे भी बड़े पैमाने पर खराब हो रहे हैं. पोल्ट्री से जुड़े हुए विशेषज्ञों की मानें तो हर रोज प्रदेश में 60 से 70 लाख अंडों का उत्पादन होता है.
पोल्ट्री विशेषज्ञ डॉ मनोज शुक्ला कहते हैं कि यहां पर जो रोज उत्पादन होता है इसे सहेजने के लिए बड़े कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नहीं है. क्योंकि लॉकडाउन लगने से पूरी तरह से सप्लाई चेन प्रभावित हो चुकी है. लोगों को डिमांड के बाद भी अंडे नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में पोल्ट्री फॉर्म में रखे-रखे अंडे खराब हो रहे हैं.
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छत्तीसगढ़ से अन्य राज्यों में होती है अंडों की सप्लाई
छत्तीसगढ़ का पोल्ट्री बाजार न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि आसपास के पड़ोसी राज्यों के लिए भी पोल्ट्री मैटेरियल सप्लाई करता है. छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर पोल्ट्री व्यापार और व्यवसाय सालों से चल रहा है. यहां का क्लाइमेट इसे काफी सपोर्ट करता है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में उत्पादन होने से पोल्ट्री मैटेरियल ना केवल छत्तीसगढ़ बल्कि इसमें से 50 फ़ीसदी उत्पादन को दूसरे राज्यों में भी सप्लाई करते रहे हैं. छत्तीसगढ़ के पोल्ट्री बाजार से ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में अंडों की सप्लाई होती रही है. रोज का अंडों का कारोबार करीब तीन करोड़ का है. थोक में अंडे की कीमत 4 रुपए के आसपास और चिल्लर में 5 रुपए चल रही है. लॉक डाउन लगने से इतने बड़े पैमाने पर अंडों को रखना भी कारोबारियों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है.