रायपुर: छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की जमीन और अधिकारों को लेकर एक बार फिर से राज्य सरकार और आदिवासी समाज आमने-सामने है. दरअसल, राज्य सरकार की ओर से आदिवासियों की जमीन की खरीदी बिक्री के लिए कानून में बदलाव का प्रस्ताव लाया जा रहा है. वर्तमान कानून के तहत आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासी नहीं खरीद सकता है. अब छत्तीसगढ़ सरकार ने विकास की संभावनाओं को तलाशने के उद्देश्य से कानून में संशोधन के लिए आदिवासी विधायकों की कमेटी का भी गठन कर दिया है. इसे लेकर ना केवल आदिवासी समाज बल्कि विपक्ष और तमाम जानकार भी इसका विरोध कर रहे हैं.
छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य राज्य के रूप में जाना जाता है. प्रदेश में बस्तर से लेकर सरगुजा तक का बड़ा भू-भाग आदिवासी समाज का प्रमुख इलाका माना जाता है. अब छत्तीसगढ़ सरकार विकास की संभावनाओं को तलाशने के उद्देश्य से वन अधिकार कानून में संशोधन करने जा रही है. जिसके लिए आदिवासी विधायकों की कमेटी का गठन भी कर दिया है. इसे लेकर अब तमाम आदिवासी समाज में विरोध भी शुरू हो चुका है.
पढ़ें-छत्तीसगढ़ में भू-राजस्व की धाराओं में संशोधन के लिए उप समिति गठित
आदिवासी समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि पिछली सरकार जो गड़बड़ी कर रही थी उसे अब कांग्रेस सरकार संवैधानिक अमलीजामा पहनाने जा रही है. इसके लिए सरकार ने विधायकों की कमेटी बनाई है. सरकार की ओर से गठित कमेटी को रमन सरकार के कार्यकाल में हुए गैरकानूनी जमीन हस्तांतरण को वापस कराने का काम करना चाहिए. इसके विपरीत पुराने हस्तांतरण को कानूनी मान्यता देकर आदिवासियों की जमीन के लिए कॉरपोरेट लूट का रास्ता साफ किया जा रहा है.
सर्व आदिवासी समाज ने पहले भी किया था विरोध
पांचवी अनुसूची में स्पष्ट है कि आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासी नहीं खरीद सकते हैं. इससे आदिवासी समाज भूमिहीन हो जाएंगे. ऐसे में प्रदेश सरकार का संशोधन करने का प्रयास संविधान की मूल मंशा के खिलाफ है. सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि भू राजस्व संहिता की किन-किन धाराओं में संशोधन करना चाहती है. सरकार की मंशा आदिवासियों के हितों के खिलाफ होगी तो उसका पुरजोर विरोध किया जाएगा. पिछली भाजपा सरकार में भी आपसी सहमति से जमीन लेने के अधिकार का सर्व आदिवासी समाज ने विरोध किया था.
समिति में बस्तर और सरगुजा के आदिवासी विधायक शामिल
राज्य सरकार ने जनजाति समुदाय के हित में भू-राजस्व की धाराओं में संशोधन करने के संबंध में उप समिति गठित की है. इसमें बस्तर और सरगुजा के आदिवासी विधायकों को शामिल किया गया है. समिति में विधायक मोहन मरकाम, चिंतामणि महाराज, इंदरशाह मंडावी, लक्ष्मी ध्रुव, लालजीत राठिया और शिशुपाल सिंह सोरी शामिल हैं.
शहरी क्षेत्र में कलेक्टर की अनुमति से होती है जमीनों की खरीदी
सर्व आदिवासी समाज के नेताओं ने कहा है कि आदिवासियों की शहरी क्षेत्र की जमीन की खरीदी बिक्री कलेक्टर की अनुमति से होती है. ऐसे में सपष्ट होना चाहिए कि संशोधन पूरे प्रदेश में लागू होगा या फिर शहरी क्षेत्र में. साथ ही संशोधन कमेटी में आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए.