रायपुर : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन यहां हर साल धान की बर्बादी की भी खबर आती है. सरकार चाहे कोई भी हो अन्न का एक-एक दाना खरीदने की बात तो करती है, लेकिन उसके भंडारण की सरकार के पास उचित व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते लाखों टन धान हर साल बर्बाद हो जाता है. हालांकि वर्तमान सरकार लगातार दावा करती आ रही है कि आने वाले समय में धान की बर्बादी नहीं होगी. धान के भंडारण की उचित व्यवस्था की जाएगी, बावजूद इसके धान के खराब होने का सिलसिला रुक नहीं रहा है.
एक जानकारी के मुताबिक, हर साल करीब 17 लाख किसान अपना धान बेचते थे. लेकिन इस साल 19 लाख से ज्यादा किसानों ने धान बेचा है. धान खरीदी प्रदेश के 2,048 केंद्रों के माध्यम से की गई. इस साल 54 नए खरीदी केंद्र बनाए गए हैं, जबकि 48 मंडियों और 67 उप मंडियों के प्रांगण का उपयोग भी खरीदी के लिए किया गया.
सेंट्रल पूल में धान देने के बावजूद यहां के पूरे धान की खपत नहीं हो पाई है. इनमें से पीडीएस में 25.40 लाख टन, एफसीआई को 24 लाख टन और राज्य के पास 7.11 लाख टन धान रखा गया है. सबसे बड़ी समस्या धान के भंडारण की है. धान का एक बहुत बड़ा हिस्सा भंडारण के उचित व्यवस्था न होने के कारण बर्बाद हो जाता है. धान बेमौसम बारिश के चलते खुले आसमान के नीचे रखे होने के कारण बर्बाद होता है, तो कभी गोदामों में उचित व्यवस्था ना होने के चलते सड़ जाता है. यहां तक कि इस धान का एक बहुत बड़ा हिस्सा चूहे खा जाते हैं.
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बर्बाद हुए धान का आंकड़ा नहीं किया गया जारी
हालांकि अब तक बर्बाद हुए धान का आंकड़ा सरकार की ओर से जारी नहीं किया गया है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक, हर साल की तरह इस साल भी लापरवाही के चलते हजारों टन धान बर्बाद हो गया है.