रायपुर: राज्य ने धान खरीदी में 20 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. अब तक 84.44 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है. लेकिन धान और किसान के मुद्दे पर सियासत नहीं थम रही है. छत्तीसगढ़ में 22 जनवरी का दिन धान और किसान के मुद्दे पर गरमाया रहा. बीजेपी ने धान खरीदी के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. वहीं कांग्रेस भी केंद्र के तीन कृषि कानूनों को लेकर बीजेपी पर बरसी. युवा कांग्रेस भी सड़क पर उतरी. कांग्रेस ने उन भाजपा नेताओं की लिस्ट भी जारी की है, जिन्होंने 2500 रुपए समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचा है.
धान-किसान मुद्दे पर BJP का प्रदर्शन, कांग्रेस ने भी कसा तंज कांग्रेस की लिस्ट में बीजेपी नेताओं के नाम
कांग्रेस ने बाकायदा भाजपा नेताओं के नाम की सूची जारी की है. इस लिस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, उनके बेटे अभिषेक सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, सांसद संतोष पांडे, विजय बघेल समेत तमाम बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं. कांग्रेस का कहना है कि 25 सौ रुपए समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले सरकार का विरोध कर रहे हैं.
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सूची जारी करने को लेकर सरकार पर बीजेपी का पलटवार
अब कांग्रेस के आरोप पर बीजेपी कैसे चुप बैठती. पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने धान खरीदी को लेकर जो आरोप बीजेपी नेताओं पर लगाए हैं, वो निराधार हैं. पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि किसान होने के नाते हर किसी को अपना धान बेचने का अधिकार है. धान बेचने के बाद सूची जारी करना कांग्रेस की ओछी मानसिकता को दर्शाता है. बीजेपी के कार्यकाल में भी कांग्रेस के नेताओं ने जमकर धान बेचा था. सरकार की योजना पार्टी देखकर नहीं बनाई जाती है. प्रदेश के हर व्यक्ति को योजनाओं का लाभ लेने का अधिकार है.
धान खरीदी में 20 साल का टूटा रिकॉर्ड
प्रदेश में धान खरीदी को खत्म होने में अब भी 10 दिन का समय बाकी है. 10 दिन पहले ही छत्तीसगढ़ में 84 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी कर ली गई है. राज्य निर्माण के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर धान की खरीदी हुई है. विभाग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो 21 जनवरी तक 84.44 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है. जबकि पिछले साल 83.94 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो पाई थी. आंकड़े बताते हैं कि तुलना में भी 50 हजार टन अधिक धान की खरीदी हो चुकी है. वहीं अब तक 19 लाख से ज्यादा किसानों ने अपना धान बेचा है.
बारदानों की कमी और धान जमाव की आई शिकायतें बारदानों की कमी और धान जमाव की आई शिकायतें
ऐसा नहीं है कि सरकार को इस आंकड़े तक पहुंचने में किसी समस्या का सामना न करना पड़ा हो. कोरोना और लॉकडाउन के बाद बारदाने की कमी जैसी दिक्कतों से राज्य सरकार को जूझना पड़ा था. इसके बाद भी प्रदेश में रिकॉर्ड तोड़ धान खरीदी हुई. कई केंद्रों से बदइंतजामी की खबरें हमने आप तक पहुंचाई. कई जिले अब भी अव्यवस्थाओं से जूझ रहे हैं. किसानों ने आरोप लगाया है कि उन्हें बारदाना बाहर से खरीदना पड़ा है. कई केंद्रों में धान का जमाव होने से अन्नदाता परेशान दिखे.
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जब आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हों, तब आंकड़ों पर नजर डालना जरूरी है.
- साल 2017-2018 - 56.88 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी हुई थी.
- 2018-2019 - 80.83 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई थी.
- 2019-2020 - 83.94 लाख मीट्रिक टन धान किसानों ने बेचा था.
- 2020-2021 में अब तक 84.44 लाख मीट्रिक टन धान 25 सौ रुपए समर्थन मूल्य पर सरकार ने खरीदा है.
अब रजिस्टर्ड किसानों के डाटा पर भी नजर डाल लेते हैं-
- 2016-2017- 14.51 लाख किसानों ने पंजीयन कराया.
- 2017-2018- 15.77 लाख किसानों का पंजीयन हुआ.
- 2018-2019- 16.96 लाख किसान रजिस्टर हुए.
- 2019-2020- 19.55 लाख किसानों का रजिस्ट्रेशन हुआ.
- 2020-2021- 21.52 लाख किसानों ने पंजीयन कराया.
किसान हो रहे जागरूक: जानकार
प्रदेश में धान और समर्थन मूल्य को लेकर चल रही राजनीति को लेकर वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश शर्मा कहते हैं कि भाजपा और कांग्रेस के बीच के विवाद से किसानों का कोई लेना देना नहीं है. किसान अपनी फसल का अच्छा दाम चाहते हैं. प्रकाश वर्मा कहते हैं कि किसान अब जागरूक हो चुका है. समर्थन मूल्य ज्यादा मिलने से किसानों में उत्साह देखने को मिला है.