रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से झीरम घाटी के हत्याकांड को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है. प्रदेश में किसी भी तरह के चुनाव के पहले झीरम घटना को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर लंबे समय से दिखाई देता रहा है. एक बार फिर से देश में पेंड्रा-मरवाही-सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है. यही वजह है कि एक बार फिर से झीरम के दोषियों को सजा दिलाने और इस घटना की सच सामने लाने को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है.
मरवाही उपचुनाव से पहले फिर जागा झीरम का 'जिन्न' हमले के प्रत्यक्षदर्शी रहे डॉ. शिवनारायण द्विवेदी ने ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए घटना की सीबीआई जांच की मांग कर दी है. साथ ही उन्होंने कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा का नार्को टेस्ट करा कर जांच करने की बात कही है. इस केस की अब भाजपा ने भी कांग्रेस से निष्पक्ष जांच करने की मांग कर दी है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने शहीद परिवारों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबध्द होने का दावा किया है.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बने 18 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. 5 मई 2013 को हुए झीरम नक्सली हमले के दौरान घटना के प्रत्यक्षदर्शी रहे शिवनारायण द्विवेदी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा का भी नार्को टेस्ट होना चाहिए. दरअसल, झीरम हमले के दौरान तमाम बड़े नेता नक्सलियों के निशाने पर रहे लेकिन इस घटना में वर्तमान मंत्री कवासी लखमा वहां से बच निकलने में सफल रहे थे.
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25 मई 2013 को कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं का काफिला कांग्रेस की परिवर्तन रैली यात्रा में था. इस काफिले में तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार समेत कांग्रेस नेताओं और सुरक्षाकर्मी भी इस हमले में शहीद हुए थे. जब यह काफिला झीरम घाटी से गुजर रहा था तब घात लगाकर नक्सलियों ने 27 नेताओं और सुरक्षाकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था.
झीरम हमले को लेकर बीजेपी ने कहा कि 'छत्तीसगढ़ में कांग्रेस जब में विपक्ष में थी तो अपने पास सबूत होने का तमाम दावा किया करते थे. यह विषय एक राजनीतिक विषय हो चला है. विपक्ष में रहने के दौरान वर्तमान के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार कहते रहे हैं कि उनके जेब में झीरम के तमाम सबूत है. अब सत्ता में बैठने के बाद अगर उनके जेब में सबूत थे तो वहां कुर्ता आजकल कहां टंगा दिया है. यह उन्हें याद करने की जरूरत है'.
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दूसरी ओर कांग्रेस ने कहा है कि झीरम घाटी हत्याकांड में कांग्रेस ने अपने प्रथम पंक्ति के नेताओं को खोया है. झीरम घाटी के हत्याकांड के षड्यंत्रकारियों को सलाखों के पीछे भेजने के लिए कांग्रेस सरकार कटिबद्ध है. पूर्व में झीरम के षड्यंत्रकारियों को बचाने के लिए जांच को प्रभावित भी किया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार झीरम घाटी के हत्याकांड की जांच के लिए एसआईटी का गठन भी किया है.
एनआईए की जांच पर कांग्रेस ने किए सवाल
दरअसल, झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 27 मई 2013 को एनआईए को सौंप दी थी. एनआईए ने अपनी जांच में 88 नक्सलियों के कैडर को संलिप्त पाया था और 24 सितंबर 2014 को चार्जशीट दाखिल की थी. लेकिन अब एनआईए की जांच को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने भी सवाल खड़े किए हैं.
एसआईटी करेगी मामले की जांच
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से गृह मंत्रालय को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि इस केस में जो एनआईए की जांच हुई है, उसमें बड़े संयंत्र षड्यंत्र को नजरअंदाज किया गया और एनआईए सही तरीके से मामले की जांच करने में विफल रही है. यही वजह है कि बीते दिनों राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखते हुए कहा कि इस मामले की जांच अब राज्य सरकार एसआईटी बनाकर करेगी.