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जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई पर गरमाई प्रदेश की राजनीति - ताम्रध्वज साहू

आदिवासियों की हितैषी सरकार जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई मामले में अपने कान दाबे बैठी है, जिससे नाराज आदिवासी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.

जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई पर गरमाई प्रदेश की राजनीति

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Published : Oct 11, 2019, 11:51 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में 15 साल के वनवास के बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस छत्तीसगढ़िया और आदिवासियों की हितैषी सरकार होने का दावा करती रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी कह चुके हैं कि जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई के लिए सरकार कदम उठाएगी. इन वादों और दावों की जमीनी हकीकत ये है कि अब इन्हीं आदिवासियों ने आंदोलन का रुख अपना लिया है, जिसकी आवाज राजधानी तक गूंजने लगी है.

जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई की मांग
सिर पर पोटली, पोटली में रोटी और हांथों में तख्ती, जिसमें लिखा है कि 'आदिवासियों पर अत्याचार बंद करो'. इस तख्ती को लेकर सैकड़ों आदिवासी नंगे पांव सरकार को आईना दिखाने निकल पड़े हैं. जिसकी अगुवाई आम आदमी पार्टी नेता सोनी सोरी कर रही हैं. इलाके के हजारों ग्रामीण और सरपंचों के साथ वे सड़क पर उतर गई हैं और निर्दोषों की रिहाई के लिए गुहार लगा रही हैं.

भूपेश सरकार ने किया था वादा
वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरविंद नेताम का कहना है कि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि सरकार बनने पर प्रदेश के जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों के हितों को लेकर प्रयास करेंगे, लेकिन भूपेश सरकार सत्ता में आते ही सिर्फ मामलों की समीक्षा कमेटी बनाई है, आदिवासियों की रिहाई के नतीजों से काफी दूर है.

रमन सिंह के कार्यकाल में आदिवासी पहुंचे जेल
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह भले ही आज आदिवासियों के हितैषी बने, लेकिन कहीं न कहीं सच्चाई ये भी है कि 15 साल तक छत्तीसगढ़ की सत्ता में रही रमन सिंह की अगुवाई वाली भाजपा सरकार के ही शासनकाल में कई आदिवासी जेल पहुंचे.

ताम्रध्वज साहू दे रहे आश्वासन
पूरे मामले में गृह मंत्रालय की कमान संभाल रहे ताम्रध्वज साहू का कहना है कि आंदोलन की राह पकड़ रहे आदिवासियों को श्रेय लेने की राजनीति करने वालों ने बरगलाने का काम किया है. सरकार पूरा प्रयास कर रही है.

आदिवासियों को रिहाई का इंतजार
बहरहाल भूपेश सरकार के 10 महीने बीते गए हैं. आदिवासी आज भी सरकार के वादे पूरे होने की राह देख रहे हैं. इंतजार जेल में बंद उन आदिवासियों को वो सूरज देखने का भी है, जिसकी किरण उनके आंगन में उतरती है.

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