रायपुर: छत्तीसगढ़ में जल्द ही धान से एथेनॉल बनाने पर काम शुरू हो जाएगा. सरकार ने 4 कंपनियों से प्लांट लगाने के लिए MOU भी कर लिया है. ये कंपनियां अब जल्द ही इस पर काम शुरू कर देंगी, लेकिन एथेनॉल प्लांट लगाने को लेकर सियासी चर्चाएं भी जोरों पर हैं. एथेनॉल प्रोजेक्ट को प्रदेश की पिछली बीजेपी सरकार के रतनजोत प्रोजेक्ट से जोड़ कर देखा जा रहा है, क्योंकि उस दौरान भी रतनजोत से बॉयोडीजल बनाने को लेकर काफी प्रचार-प्रसार किया गया. एक अनुमान के मुताबिक रतनजोत प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपये फूंक दिए गए लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा.
'डीजल नहीं अब खाड़ी से, डीजल मिलेगा बाड़ी से'
छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के दौरान मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह ने रतनजोत से बायोडीजल बनाने के लिए एक नारा दिया था. 'डीजल नहीं अब खाड़ी से, डीजल मिलेगा बाड़ी से', जो पूरे राज्य में सबसे बड़ा मुद्दा बायोडीजल बन गया, लेकिन सालों बाद भी ये योजना सक्सेस नहीं हो सकी. अब एक बार फिर छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार धान से एथेनॉल बनाने को लेकर गंभीर हो गई है. बहुत जल्द ही प्लांट भी लग जाएंगे. सरकार को उम्मीद है कि धान से एथेनॉल बनाने से 750 करोड़ रुपये का सालाना फायदा होगा वहीं धान को भी खपाने में मदद मिलेगी. ऐसे में ये बात भी सामने निकलकर आ रही है कि कहीं एथेनॉल प्लांट का हाल भी रतनजोत जैसा न हो जाए.
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2005 में शुरू हुआ था काम
छत्तीसगढ़ में रतनजोत से ईंधन बनाने का काम 2005 में शुरू हुआ था. शुरुआत में बस और अन्य छोटे वाहनों में इसका उपयोग किया गया, लेकिन ये ईंधन चल न सका. लगभग 1 .65 लाख हेक्टेयर में इसका उत्पादन किया गया. जिससे 4 लाख 27 हजार किलोग्राम बीज का उत्पादन हुआ.