रायपुर:पिछले दो सालों में कोरोना से हुई मौत का मामला थमा भी नहीं था कि अब छत्तीसगढ़ में हजारो बच्चों की मौत (children death in Chhattisgarh) के मामले ने तूल पकड़ लिया है. मामले में सियासत जारी है. इस मामले में भाजपा ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर कई संगीन आरोप लगाए हैं. भाजपा का आरोप है कि पिछले 3 सालों में प्रदेश में 25,000 बच्चों की मौत हुई है. उनके अनुसार हर दिन तकरीबन 30 बच्चे अपनी जान गंवा रहे हैं.
मरने वाले सभी बच्चे आदिवासी नहीं
हालांकि इन मौतों के पीछे एक ही दल के दो नेता अलग-अलग बातें कह रहे हैं. कोई इसे कुपोषण से मौत बता रहा है. तो कोई आदिवासी बच्चों की मौत कह रहा है. जबकि सरकार का दावा है कि यह मौतें सिर्फ कुपोषण से नहीं बल्कि दूसरी बीमारियों से हुई है. मरने वाले सारे बच्चे आदिवासी नहीं है. इसमें दूसरे बच्चे भी शामिल है.
भाजपा का प्रदेश सरकार पर आरोप
भाजपा से राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने बच्चों की मौत के मामले में प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर कई संगीन आरोप लगाए हैं. नेताम ने बच्चों की मौत को लेकर राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं. प्रदेश की हालत बद से बदतर होती जा रही है. सुदूर अंचलों में स्वास्थ्य विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है. इस वजह से प्रदेश में लगातार बच्चों के मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. रामविचार ने बताया कि बजट सत्र के दौरान मेरे एक सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने जानकारी दी है कि पिछले 3 वर्षों में छत्तीसगढ़ में 25 हजार 164 आदिवासी बच्चों की जानें गई है. इन बच्चों में 13 हजार से अधिक नवजात शिशु और 38 सौ से अधिक छोटे बच्चे शामिल थे. जिसमें अधिकांश की मौत निमोनिया, खसरा, डायरिया जैसे आजकल के मामूली समझे जाने वाली बीमारियों के कारण हुई है. इस दौरान प्रदेश में 955 महिलाओं ने भी प्रसव के दौरान दम तोड़ा है. प्रदेश में सुपोषण अभियान भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. कुपोषण में मार्च 2021 से जुलाई 2021 तक 4 फीसद की वृद्धि हुई है. प्रदेश पोषण के मामले में 30 वें स्थान पर है. प्रदेश में 61 फीसद महिलाएं एनिमीक है. विधानसभा में इस बात को स्वीकारा गया है कि मार्च 2021 में कुपोषण की दर 15.15 फीसद से बढ़कर जुलाई 2021 में 19.86 फीसद हो गई है. यानी कि जुलाई 2021 की स्थिति में कुपोषण की दर में 4 फीसद की वृद्धि हुई है.
नेताम ने कहा कुपोषण के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे
नेताम ने कहा कि केंद्र सरकार ने करीब 15 हजार करोड़ रुपये कुपोषण के खिलाफ जारी लड़ाई के लिए दी है. लगभग 400 करोड़ सुपोषण अभियान के लिए डीएमएफ और सीएसआर मद से उपलब्ध कराई गई. प्रदेश में लगभग 3000 करोड़ खर्च करने के बाद भी कुपोषण के खिलाफ जारी लड़ाई में प्रदेश की सरकार नाकाम रही है. प्रदेश से बड़ी मुश्किल से भाजपा सरकार ने मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करने में सफलता हासिल की थी. मातृ मृत्यु दर वर्ष 2003 में प्रति एक लाख पर 365 थी, जो 2018 तक घटकर 173 हो गई. इस अवधि में शिशु मृत्यु दर प्रति हजार पर 70 से घटकर 39 रह गई थी. राज्य में बच्चों के संपूर्ण टीकाकरण का प्रतिशत 48 से बढ़कर 76 और संस्थागत प्रसव का प्रतिशत 18 से बढ़कर 70 हो गया था. लेकिन पिछले 3 साल में बच्चों के मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जाना चिंताजनक है.
हाल ही में नेता प्रतिपक्ष ने दिया था इन आंकड़ों का हवाला
हाल ही में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी आंकड़े का हवाला देते साल 2018 से 2021 के बीच प्रदेश में करीब 25000 बच्चों की मौत की बात कही थी. इन मौतों के लिए कौशिक ने सुपोषण अभियान के भ्रष्टाचार की भेंट करने का आरोप लगाया था. कुपोषण की वजह से बच्चों के मौत की बात कही थी. उनकी ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार है एक दिन में करीब 23 बच्चों की मौत हो रही है. उन्होंने कहा था कि साल 2021 में करीब 11 हजार बच्चों की मौत इस बात को बताता है कि हर दिन 30 बच्चों की मौत हो रही है. कौशिक का कहना था कि आज प्रदेश में लगभग 7000 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के पद खाली हैं, जिनकी भर्ती कुपोषण के खिलाफ जारी अभियान के लिए जरूरी है. लेकिन प्रदेश सरकार ऐसा नहीं कर रही है. जिसके कारण प्रदेश में परिस्थिति भयावह होती जा रही है.