रायपुर:प्रदेश में एक बार फिर नाम परिवर्तन को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. इस बार भूपेश सरकार ने ग्राम उद्योग विभाग के एक पुरस्कार योजना का नाम बदल दिया है. जिसे लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरा है. सत्ता पक्ष इसे एक सामान्य प्रक्रिया बता रहा है.
ग्राम उद्योग विभाग की ओर से पहले सर्वश्रेष्ठ दीनदयाल हथकरघा प्रोत्साहन पुरस्कार दिया जाता था. कारीगरी को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सर्वश्रेष्ठ दीनदयाल हथकरघा प्रोत्साहन पुरस्कार योजना नियम 2012 बनाया गया था. इस योजना का नाम बदलकर अब राजराजेश्वरी करुणा माता हथकरघा प्रोत्साहन पुरस्कार योजना नियम 2020 कर दिया गया है. इस योजना के तहत हथकरघा कारीगरों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 2 लोगों को सम्मानित किया जाएगा. इसमें एक-एक लाख रुपए नगद, प्रतीक चिन्ह, शॉल और श्रीफल देकर सम्मानित किया जाएगा.
साल 2012 में शुरू की गई थी योजना
राज्य सरकार ने 28 दिसंबर 2012 को प्रदेश के सूती हथकरघा वस्त्र उद्योग को संरक्षण देने, बढ़ावा देने और हथकरघा पर वस्त्र उत्पादन की पारंपरिक कला संस्कृति की अनुपमा को बनाए रखने के उद्देश्य से सर्वश्रेष्ठ दीनदयाल हथकरघा प्रोत्साहन पुरस्कार योजना नियम 2012 को बनाया था. हालांकि विभाग इस योजना को नई योजना बता रहा है.
हथकरघा के अपर संचालक एनके चंद्राकर का कहना है कि नई सरकार बनने के बाद इस नई योजना की शुरुआत की गई है. जिसके तहत 2 बुनकरों को सम्मानित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार पहली बार दी जा रही है.
जिसकी सत्ता उसका नाम !
ऐसा नहीं है कि सत्ता परिवर्तन के बाद पहली बार किसी योजना का नाम बदला गया है. चाहे कांग्रेस की सरकार हो या पूर्वर्ती भाजपा की सरकार, सभी ने सत्ता पर काबिज होते ही विभिन्न योजनाओं सामुदायिक भवन सहित अन्य जगहों के नामों में बदलाव किया है. 15 साल पहले बीजेपी की सरकार ने सत्ता में आते ही इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सहित अन्य नेताओं के नाम से संचालित कई योजनाओं के नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय और राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नाम पर किया था.
इतना ही नहीं 1 दिसंबर 2017 को प्रदेश की भाजपा सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी के अवसर पर एक आदेश जारी किया था. जिसमें सभी सरकारी विभागों के लेटर पैड में दीनदयाल उपाध्याय का फोटो लगाना अनिवार्य कर दिया था. लेकिन बाद में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की फोटो को हटा दिया.
वर्तमान की कांग्रेस सरकार ने इन योजनाओं के बदले नाम
- दीनदयाल उपाध्याय स्वालंबन योजना का नाम बदलकर राजीव गांधी स्वावलंबन योजना.
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय सर्व समाज मांगलिक भवन योजना का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सर्व समाज मांगलिक भवन योजना.
- दीनदयाल उपाध्याय एलईडी पथ प्रकाश योजना का नाम इंदिरा प्रियदर्शनी एलईडी पथ प्रकाश योजना.
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय आजीविका केंद्र योजना का नाम बदलकर राजीव गांधी आजीविका केंद्र योजना.
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय शुद्ध पेयजल योजना का नाम बदलकर इंदिरा प्रियदर्शनी शुद्ध पेयजल योजना.
- राजमाता विजया राजे कन्या विवाह योजना का नाम बदलकर मिनीमाता कन्या विवाह योजना.
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रम सहायता योजना का नाम बदलकर शहीद वीर नारायण सिंह श्रम सहायता योजना.
- मुख्यमंत्री तीर्थ योजना का नाम बदलकर तीरथ वरत योजना.
'नाम बदलना पार्टी की घटिया मानसिकता को दर्शाता है'
एक बार फिर नाम परिवर्तन को लेकर राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने विभिन्न पुरस्कार योजना, सभी भवनों और विश्वविद्यालय का नामकरण महापुरुषों के नाम पर किया था. लेकिन नई सरकार के आते ही इन योजनाओं का नाम लगातार बदला जा रहा है, जो इनकी घटिया मानसिकता और सोच को दर्शाता है. उपासने ने कहा कि किसी योजना से महापुरुषों का नाम अलग करने से उनका कद नहीं घट जाएगा और न ही उनके मान-सम्मान में कोई कमी आएगी, बल्कि इससे उस पार्टी की मानसिकता जरूर झलकेगी.