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ED की कार्रवाई पर राजनीति गरमाई, बीजेपी कांग्रेस ने लगाए एक दूसरे पर आरोप - डॉक्टर रमन सिंह

ED की कार्रवाई को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने सामने हैं.अधिकारियों और कारोबारियों पर शिकंजे के बाद अब राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं.भाजपा ने जहां इस पूरे मुद्दे पर अवैध वसूली का आरोप लगाते हुए सीएम भूपेश से इस्तीफे की मांग की है वहीं कांग्रेस ने रमन सिंह के प्रेस नोट पर ही सवाल खड़े करते हुए कार्रवाई को राजनीतिक षड़यंत्र बताया है. ED action in chhattisgarh

ED की कार्रवाई पर राजनीति गरमाई
ED की कार्रवाई पर राजनीति गरमाई

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Published : Oct 15, 2022, 5:53 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में आईएएस और कारोबारियों के घर ईडी की दबिश के बाद से राज्य की राजनीति गरमाई हुई (Politics heats up over ED action ) हैं. इस कार्रवाई के बाद नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि ईडी के प्रेस नोट ने छत्तीसगढ़ में हो रहे बड़े भ्रष्टाचार के रैकेट की पोल खोल दी हैं. कांग्रेस के शासन में छत्तीसगढ़ के आदिवासियों, किसानों, आम जनता की मेहनत का पैसा, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया जा रहा है.भ्रष्टाचार की पोल खुलने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस्तीफा दें. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने चंदेल के बयान का पलटवार किया है. कांग्रेस के मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार को बदनाम करने की भाजपा कोशिश कर रही हैं. भाजपा के पास कांग्रेस के खिलाफ जनहित के मुद्दे उठाने को नहीं बचे हैं. इसलिए वो केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम का दुरुपयोग कर रहे हैं. अभी तक ईडी की ओर कोई प्रेस नोट भी जारी नहीं की गई है. ऐसे में डॉक्टर रमन सिंह के पास ईडी प्रेस नोट कहां से (ED action in chhattisgarh ) आया.

कोयले की अवैध वसूली का बीजेपी ने लगाया आरोप :नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि " बड़े दुर्भाग्य का विषय है कि कांग्रेस के शासन में भ्रष्टाचार के लिए पूरा रैकेट बनाया गया है. जिसमें वरिष्ठ नौकरशाह, व्यापारी, राजनेता और बिचौलिए जुड़े हैं .छत्तीसगढ़ राज्य में परिवहन किए गए प्रत्येक टन कोयले से 25 रुपये प्रति टन की अवैध वसूली कर रहे हैं. प्रतिदिन 2 से 3 करोड़ रुपए जबरन वसूले जा रहे हैं. इस प्रकार हजारों करोड़ रुपये वसूली कर गलत कृत्यों में इस्तेमाल किए जा रहे हैं. ईडी ने करीब साढ़े चार करोड़ रुपए की बेहिसाबी नकदी, सोने के आभूषण, सराफा और करीब दो करोड़ रुपये मूल्य के अन्य कीमती सामान जब्त किए गए हैं. यही नहीं भ्रष्टाचार करने के लिए बाकायदा नियम बदले गए. कोयले को खदानों से उपयोगकर्ताओं तक मैनुअल जारी करने के लिए ई-परमिट की पूर्व ऑनलाइन प्रक्रिया को संशोधित किया गया. अनापत्ति प्रमाण पत्र इस संबंध में कोई एसओपी या प्रक्रिया परिचालित नहीं की गई थी. भ्रष्टाचार किस प्रकार से किस प्रक्रिया के तहत किया जा रहा है. इसकी भी विस्तार जानकारी ईडी ने अपने प्रेस नोट में दी हैं.

भाजपा ने कांग्रेस से पूछे पांच सवाल

1. ईडी के प्रेस नोट में विस्तार से भ्रष्टाचार की प्रक्रिया, जब्त की गई बेहिसाब राशि, आभूषण, नकदी की जानकारी आने के बाद माननीय मुख्यमंत्री जी इस्तीफा कब देंगे?

2. भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई में बाधा बनने के लिए क्या मुख्यमंत्री जी क्या जनता से माफी मांगेंगे?

3. क्या कांग्रेस सरकार अब यह बताएगी कि अधिकारियों, राजनेताओं व्यापारियों का यह भ्रष्टाचार रैकेट 10 जनपथ दिल्ली में कितने रुपए पहुंचा रहा है?

4. अधिकारियों के घर से नकदी आभूषण और अनेक बेहिसाब चीजें मिलने के बाद भी अब तक उन पर निलंबन की कार्यवाही क्यों नहीं हुई हैं?

5. जो लोग सरकारी पदों पर या सरकार द्वारा मनोनीत है और जिन पर जांच हुई है उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाया क्यों नही गया?

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ईडी के प्रेस नोट पर कांग्रेस का हमला :वहीं भाजपा की ओर से लगाए गए इन आरोपों का कांग्रेस ने भी जोरदार पलटवार किया है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा को ही कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आज दिनांक तक ईडी की ओर से कोई प्रेस नोट जारी नहीं की गई है. ऐसे में डॉ. रमन सिंह के पास ईडी का प्रेस नोट कहां से आया. जिसमें तमाम कहानियां गढ़ी गयी है. रमन सिंह ही फर्जी प्रेस नोट बनाकर प्रचारित किए हैं. रमन सिंह ने दो दिन पहले पत्रकारवार्ता में जिन बातों को कहा था ईडी के तथाकथित प्रेस नोट में उन्हीं बातों को दुहराया गया है. इनके बयानों से ऐसा लगा लग रहा ईडी ने रमन सिंह और भाजपा के द्वारा लिखी गयी पटकथा काम कर रही. डॉ. रमन सिंह ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर ईडी का प्रेस नोट जारी किया है. यह बताता है कि कार्यवाही राजनैतिक षड्यंत्र हैं. छापे में क्या मिलने वाला है यह रमन सिंह को छापे सके पहले से पता था. क्या यह संयोग है या प्रयोग. आज तक भाजपा ने मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के एक भी रुपये के प्रमाणिक आरोप नहीं लगा पाए तो तथाकथित रूप से अधिकारियों की अनियमितता और व्यापारियों के मामलों से सरकार को जोड़ कर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.

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