रायपुर: छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मुद्दे को लेकर लगातार आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आदिवासी विधायकों को विरोध का सामना करना (People opposing tribal MLAs on tribal reservation) पड़ रहा है. इसमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के विधायक शामिल है. यहां तक की सरकार के आदिवासी मंत्री भी इससे अछूते नहीं है. अब आदिवासी समाज के लोग खुलेआम इन विधायकों का विरोध कर रहे हैं. हाल ही में आबकारी मंत्री कवासी लखमा को भी ऐसे ही आदिवासी समाज के विरोध का सामना करना पड़ा था. जिसके बाद लखमा ने यह तक बयान दे दिया कि आरक्षण नहीं मिला, तो वे अगले साल चुनाव नहीं लड़ेंगे और राजनीति से दूर हो जाएंगे. इनके अलावा भी अन्य मंत्री और विधायकों के खिलाफ आदिवासी समाज ने मोर्चा खोल रखा है. Politics heated on tribal reservation
आदिवासी समाज के द्वारा कवासी लखमा के सामने अपनी बात रखी: आदिवासी समाज के द्वारा कवासी लखमा के विरोध को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि "उनका कोई विरोध नहीं किया गया, बल्कि आदिवासी समाज के द्वारा कवासी लखमा के सामने अपनी बात रखी गई. कवासी लखमा ने भी दमदारी के साथ सरकार का पक्ष रखा." धनंजय ने इस पूरे विरोध को सियासी विरोध करार दिया है. tribal reservation in Chhattisgarh
आदिवासियों के आरक्षण को लेकर बड़ी पहल नहीं करने का आरोप: आदिवसी समाज का कहना है कि "जब सदन में सबसे ज्यादा आदिवासी विधायक हैं, हमारे मंत्री हैं. बावजूद इसके प्रदेश में आदिवासियों के आरक्षण को लेकर क्यों बड़ी पहल नहीं की जा रही है. यहां तक कि सर्वआदिवासी समाज ने तो भानूप्रतापपुर में कसम खाई है कि वे राजनीतिक दलों के लिए प्रचार प्रसार या फिर काम नहीं करेंगे. यदि ऐसा करते पाया जाता है, तो उनके खिलाफ सामाजिक कार्रवाई की जाएगी.
सरकार के मंत्री डॉ रमन सिंह को ठहरा रहे जिम्मेदार: प्रदेश में आदिवासी आरक्षण में की गई कटौती के लिए राज्य सरकार के मंत्री सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. मंत्री रविन्द्र चौबे का कहना है कि "भूपेश सरकार लगातार आदिवासियों के साथ खड़ी हुई है और उनके आरक्षण के लिए आगामी विधानसभा सत्र में अध्यादेश ला रही है. हमें उम्मीद है कि यहां से अध्यादेश पास होने के बाद इस पर राज्यपाल तत्काल हस्ताक्षर कर देंगी." इतना ही नहीं रविंद्र चौबे ने कहा कि "अध्यादेश लाने के बाद कोर्ट में भी इनके पक्ष में ही फैसला आएगा."
मामले को केदार कश्यप ने कांग्रेस का ड्रामा और नौटंकी करार दिया: इस पूरे मामले को पूर्व कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप ने कांग्रेस का ड्रामा और नौटंकी करार दिया है. केदार कश्यप ने कहा कि "आरक्षण के मामले पर कांग्रेस नौटंकी और ड्रामा कर रही है, जो पूरा प्रदेश देख रहा है. आरक्षण के खिलाफ अपने ही लोगों से याचिका लगवाती है आरक्षण जब खत्म हो जाता है, तो याचिका लगाने वालों को पुरस्कृत किया जाता है. भूपेश सरकार बताएं, क्या 3 दिसंबर से आदिवासियों को नौकरी मिलने लगेगी क्या? जो मेडिकल कि सीटों का नुकसान हुआ है, उसकी 3 दिसंबर से भरपाई हो जाएगी? कांग्रेस सरकार ने पिछड़े वर्ग को भी ठगा है."