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मनरेगा पर सियासत गर्म, BJP और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप

मनरेगा में ग्रामीणों के रोजगार के नाम पर बीजेपी-कांग्रेस आमने सामने है. BJP ने भूपेश बघेल सरकार पर रोजगार के दिन नहीं बढ़ाने के आरोप लगाए हैं, तो वहीं कांग्रेस ने पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार के आंकड़े सामने रख दिए हैं. प्रदेश में सियासी पारा चढ़ रहा है.

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BJP और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप

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Published : Jun 1, 2020, 5:07 AM IST

Updated : Jun 1, 2020, 10:00 AM IST

रायपुर: कोरोना वायरस संक्रमण के संकट के दौरान ग्रामीणों को रोजगार की चिंता सता रही है. ऐसे में प्रदेश की कांग्रेस सरकार दावा कर रही है कि मजदूरों के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना वरदान साबित हो रही है, लेकिन दूसरी ओर मनरेगा को लेकर प्रदेश में सियासी पारा चढ़ रहा है. जहां एक ओर भूपेश सरकार देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा प्रदेश में मनरेगा के तहत ज्यादा श्रमिकों को रोजगार देने के दावे कर रही है, तो वहीं BJP मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर मनरेगा के तहत मिलने वाले रोजगार के दिनों को बढ़ाने और मजदूरों की बकाया राशि का जल्द भुगतान करने की मांग कर रही है. दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है.

BJP और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप
दरअसल छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक ने कोरोना वायरस संकट के दौरान मजदूरों को मनरेगा के तहत 50 दिनों का अतिरिक्त काम देने की मांग की थी. साथ ही मनरेगा की बकाया राशि का भुगतान जल्द से जल्द श्रमिकों को करने के लिए राज्य सरकार को एक पत्र लिखा है. मामले में BJP के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार मनरेगा के तहत 100 दिनों के रोजगार का लक्ष्य तय करती है. इसके साथ ही राज्य में अतिरिक्त 50 दिनों के रोजगार का लक्ष्य BJP ने सरकार में रहते हुए तय किया था. केंद्र सरकार का राज्य में मनरेगा के तहत 100 दिनों का रोजगार देने का लक्ष्य पूरा हो गया है. वहीं अब तक राज्य सरकार ने अतिरिक्त 50 दिनों तक रोजगार देने का एलान अब तक नहीं किया है, जिसकी मांग BJP ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार से की है.

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कांग्रेस का जवाब

BJP के आरोपों पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि धरमलाल कौशिक को पत्र लिखने से पहले आंकड़ों का अध्ययन करना चाहिए. कांग्रेस संचार विभाग के सदस्य और प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि BJP की तत्कालीन रमन सरकार ने मनरेगा के कार्य दिवस को 100 से बढ़ाकर 150 जरूर किया था, लेकिन 50 दिन की यह बढ़ोतरी सिर्फ कागजों तक सीमित थी. हकीकत में रमन सरकार सालभर में मात्र 26 से 28 दिन ही काम दे पाती थी, जो कांग्रेस के आकड़ों से कहीं नीचे है. इसके साथ ही सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कोरोना काल में जब सारा देश मजदूरों को रोजगार दे पाने में असफल साबित हुआ है, ऐसे समय में भी देश में मनरेगा के तहत मिलने वाले कुल रोजगार का 24% अकेला छत्तीसगढ़ दे रहा है.

Last Updated : Jun 1, 2020, 10:00 AM IST

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