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Congress Plenary Session 2023 कांग्रेस अधिवेशन में स्टीयरिंग कमेटी की बैठक से गांधी परिवार की दूरियों के मायने - गांधी परिवार

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस का तीन दिवसीय राष्ट्रीय महाधिवेशन समाप्त हो गया. लेकिन ये अधिवेशन पहले दिन से ही चर्चा में रहा. अधिवेशन शुरू होने के पहले दिन 24 फरवरी को स्टीयरिंग कमिटी की बैठक हुई. लेकिन खास बात ये रही कि इस बैठक में गांधी परिवार से कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था. पिछले 25 साल में ऐसा पहली बार हुआ जब इस बैठक से गांधी परिवार ने दूरी बना ली. इस स्टीयरिंग कमेटी की बैठक से गांधी परिवार की दूरी के कई मायने निकले जा रहे हैं. एक ओर जहां इसे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को मजबूती देने का कदम बताया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर ये मैसेज देने की कोशिश भी की गई है कि गांधी परिवार पार्टी के किसी निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करता है.

Gandhis skip steering committee meeting
स्टीयरिंग कमेटी की बैठक से गांधी परिवार की दूरी

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Published : Feb 26, 2023, 5:18 PM IST

Updated : Feb 26, 2023, 11:04 PM IST

स्टीयरिंग कमेटी की बैठक से गांधी परिवार की दूरी

रायपुर:कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि "एक राष्ट्रीय अध्यक्ष ही सब निर्णय लेता है और हमेशा से लेता आ रहा है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्णय में कोई हस्तक्षेप नहीं करता. हमारे यहां सामूहिक जिम्मेदारियां निभाकर ही सामूहिक निर्णय लिए जाते हैं. सबको लेकर चला जाता है. यह भाजपा नहीं है कि वन मैन सब कुछ है. नागपुर घराने से पर्चियां आती है."

गांधी परिवार को मीटिंग में शामिल ना करना सिर्फ नाटक:भाजपा मीडिया के प्रदेश प्रभारी अमित चिमनानी का कहना है कि "गांधी परिवार के लोगों को आजीवन सीडब्ल्यूसी का सदस्य नॉमिनेट कर दिया गया है. जब तक वह जीवित है. चाहे अच्छा काम करें, ना करें, उनके नेतृत्व में जीत मिले या हार मिले. उससे कांग्रेस को कोई मतलब नहीं है. उन्होंने यह बताया कि गांधी परिवार को मीटिंग में शामिल ना करना एक नाटक है और उनको आजीवन नॉमिनेट करके बता दिया कि कांग्रेस पार्टी का अगर कोई सरदार है. जिसके चापलूसी करने से कांग्रेस के लोगों को पद मिल सकता है वह गांधी परिवार है."

गांधी परिवार पर लगे दाग को मिटाने की कोशिश:राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल शर्मा का कहना है कि "पार्टी का जो संविधान है उसके अनुसार अध्यक्ष ही सर्वमान्य होता है. उनके निर्णय लागू किए जाते हैं. यह सामान्य बात हो गई. लेकिन इस समिति में गांधी परिवार के बाहर किसी ने उनके ना रहते हुए कोई निर्णय लिया है, वह पहली बार हुआ है. शायद गांधी परिवार यह साबित करना चाहता है उनके ऊपर जो आरोप लगे थे कि गांधी परिवार ही है, तो वह यह साबित करता है हमारे बगैर भी उत्तम निर्णय कांग्रेस पार्टी करती है. हम हस्तक्षेप नहीं करते हैं. यह दिखाने का भी प्रयास हो सकता है कि हम पहले भी नहीं करते थे और आज भी हम नहीं करते. इससे साबित हो जाएगा कि खड़के ने अपने निर्णय स्टीयरिंग कमेटी के साथ में लिए हैं. इससे अध्यक्ष का पद मजबूत था मजबूत है यह साबित हुआ. पद पर कोई भी हो वह मजबूत है. चाहे गांधी परिवार का व्यक्ति बैठे, चाहे गांधी परिवार से बाहर का व्यक्ति बैठे. जो छाप लगी थी कि गांधी परिवार के बाहर कुछ भी नहीं, उस ठप्पे को समाप्त करने का यह प्रयास है."

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गांधी परिवार ने देश के लिए दी शहादत: बाबूलाल शर्मा ने कहा "इस प्रक्रिया से कार्यकर्ताओं में अच्छा मैसेज जाएगा. जिस तरीके से महाधिवेशन में देखने को मिला, उससे पार्टी में अच्छा मैसेज गया. जिस प्रकार के भाषण हुए, उन्होंने यह बताने का प्रयास किया है कि गांधी परिवार वह परिवार है जो पद पर रहे या ना रहे लेकिन कांग्रेस उनको भूल नहीं सकती है. क्योंकि उनके परिवार ने कांग्रेस के लिए शहादत दी है. देश को बड़ी-बड़ी योजनाएं दी है, सूचना का अधिकार दिया. शिक्षा का अधिकार दिया. यह बताने का प्रयास किया है कि जितने भी अच्छे अधिकार हमने दिए हैं देश की जनता को वह हमने दिए. यह बताने का प्रयास भाषण में हुआ है."

"यह सच्चाई भी है. कांग्रेस ने 75 साल में कुछ नहीं किया कहां जाता था. उन्होंने बताया कि आज देश में जितने भी अच्छी योजनाएं दिख रही है जिससे लोग लाभान्वित हो रहे हैं. गरीब जानकारियां ले रहे हैं शिक्षा के अधिकार प्राप्त कर पा रहे हैं. 25 प्रतिशत गरीब बच्चों का एडमिशन मिलने की बात है, रास्ता खुला है. वह अलग बात है कि इसमें भी कई गड़बड़ियां हुई है, लेकिन यह साबित होता है कि कांग्रेस ने काफी कुछ इस देश के लिए किया है. यह बताने का प्रयास हुआ है."

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बाबूलाल ने कहा कि "प्रधानमंत्री का पद सोनिया गांधी आसानी से ले सकती थी. लेकिन उन्होंने कहा कि मैं नहीं बनूंगी मनमोहन सिंह बनेंगे. उस दौरान सांसद उत्तेजित हो गए थे.सब ने देखा. कांग्रेस ये बताना चाहिती है कि हम देश के लिए जरूरत पड़ने पर शहादत भी देते हैं. राहुल गांधी भी चाहते तो 2009 में प्रधानमंत्री बन सकते थे. मनमोहन सिंह ने कहा था कि दोबारा पीएम बनने की इच्छा नहीं है.आप बन जाइए. उसके बाद भी राहुल गांधी ने इंकार किया. यह प्रदर्शित करने का प्रयास किया कि गांधी परिवार शहीदी देने वाले लोग हैं त्याग करने वाले लोग है. हम पर ऐसे आरोप ना लगाए जाएं.

Last Updated : Feb 26, 2023, 11:04 PM IST

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