रायपुर:कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि "एक राष्ट्रीय अध्यक्ष ही सब निर्णय लेता है और हमेशा से लेता आ रहा है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्णय में कोई हस्तक्षेप नहीं करता. हमारे यहां सामूहिक जिम्मेदारियां निभाकर ही सामूहिक निर्णय लिए जाते हैं. सबको लेकर चला जाता है. यह भाजपा नहीं है कि वन मैन सब कुछ है. नागपुर घराने से पर्चियां आती है."
गांधी परिवार को मीटिंग में शामिल ना करना सिर्फ नाटक:भाजपा मीडिया के प्रदेश प्रभारी अमित चिमनानी का कहना है कि "गांधी परिवार के लोगों को आजीवन सीडब्ल्यूसी का सदस्य नॉमिनेट कर दिया गया है. जब तक वह जीवित है. चाहे अच्छा काम करें, ना करें, उनके नेतृत्व में जीत मिले या हार मिले. उससे कांग्रेस को कोई मतलब नहीं है. उन्होंने यह बताया कि गांधी परिवार को मीटिंग में शामिल ना करना एक नाटक है और उनको आजीवन नॉमिनेट करके बता दिया कि कांग्रेस पार्टी का अगर कोई सरदार है. जिसके चापलूसी करने से कांग्रेस के लोगों को पद मिल सकता है वह गांधी परिवार है."
गांधी परिवार पर लगे दाग को मिटाने की कोशिश:राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल शर्मा का कहना है कि "पार्टी का जो संविधान है उसके अनुसार अध्यक्ष ही सर्वमान्य होता है. उनके निर्णय लागू किए जाते हैं. यह सामान्य बात हो गई. लेकिन इस समिति में गांधी परिवार के बाहर किसी ने उनके ना रहते हुए कोई निर्णय लिया है, वह पहली बार हुआ है. शायद गांधी परिवार यह साबित करना चाहता है उनके ऊपर जो आरोप लगे थे कि गांधी परिवार ही है, तो वह यह साबित करता है हमारे बगैर भी उत्तम निर्णय कांग्रेस पार्टी करती है. हम हस्तक्षेप नहीं करते हैं. यह दिखाने का भी प्रयास हो सकता है कि हम पहले भी नहीं करते थे और आज भी हम नहीं करते. इससे साबित हो जाएगा कि खड़के ने अपने निर्णय स्टीयरिंग कमेटी के साथ में लिए हैं. इससे अध्यक्ष का पद मजबूत था मजबूत है यह साबित हुआ. पद पर कोई भी हो वह मजबूत है. चाहे गांधी परिवार का व्यक्ति बैठे, चाहे गांधी परिवार से बाहर का व्यक्ति बैठे. जो छाप लगी थी कि गांधी परिवार के बाहर कुछ भी नहीं, उस ठप्पे को समाप्त करने का यह प्रयास है."