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नए कृषि बिल पर सियासी घमासान, विशेष सत्र को लेकर बीजेपी और भूपेश सरकार आमने-सामने - पूर्व सीएम भूपेश बघेल

केंद्र सरकार के कृषि कानून के विरोध में भूपेश सरकार नया विधेयक लाने जा रही है. इस पर छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान मचा हुआ है. राज्य सरकार इस कानून में संशोधन कर इसे छत्तीसगढ़ में लागू करना चाहती है. आइए जानते हैं इस कानून में क्या है और सरकार इसमें क्या नए बदलाव कर सकती है.

Political clash on new agricultural law
नए कृषि बिल पर सियासी घमासान

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Published : Oct 26, 2020, 7:37 PM IST

Updated : Oct 26, 2020, 7:43 PM IST

रायपुर:केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में छत्तीसगढ़ सरकार नया विधेयक ला रही है. भूपेश कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले हुए हैं. छत्तीसगढ़ कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक-2020 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया है. इसमें मंडी के कार्य क्षेत्र का विस्तार, लिमिट पर नियंत्रण और किसानों के संरक्षण के अधिकार का प्रोविजन शामिल है. इसे लेकर बीजेपी ने सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है. भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि ऐसी कौन सी इमरजेंसी आ गई की विशेष सत्र बुलाना पड़ रहा है. इस विधेयक की जो कानूनी गड़बड़ियां है उसके बारे में हम सभी अपना पक्ष रखेंगे.

नए कृषि कानून पर रार

रमन सिंह ने कहा कि कृषि कानून के सभी विषयों पर हम डिटेल में बात करेंगे. राज्य का अधिकार ही नहीं है कि इस पर कोई कानून बना सके.

केंद्रीय कृषि कानून के विरोध में राज्य सरकार दो दिन का विशेष सत्र बुला रही है. 27 और 28 अक्टूबर को विधानसभा के विशेष सत्र में विधेयकों को पेश किया जाएगा. कुछ दिन पहले हुई बैठक में इससे संबंधित ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कृषि, सहकारिता, खाद्य और विधि विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई थी.

पढ़ें-कैबिनेट बैठक: छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक-2020 लाएगी सरकार, जल जीवन मिशन योजना के सभी टेंडर निरस्त

'टकराहट के लिए नहीं किसानों की मदद के लिए कानून'

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि हमारा कृषि कानून किसानों से हित के लिए है, केंद्र से टकराहट के लिए नहीं है. मंडी एक्ट में संशोधन के लिए चर्चा हुई है, जिसे विधानसभा के विशेष सत्र में पेश किया जाएगा. इसमें मंडी के कार्य क्षेत्र का विस्तार शामिल है. आवश्यक वस्तु अधिनियम में जिस तरह लिमिट हटाई गई है, उसको नियंत्रित करने के लिए लेखा रखने का अधिकार. किसानों के संरक्षण का अधिकार जैसे उपबंध(प्रोविजन) शामिल हैं.

नए विधेयक में ये प्रोविजन हो सकते हैं शामिल-

  • समर्थन मूल्य से नीचे की खरीदी करने वालों के खिलाफ कड़े कानून बनाने की तैयारी .
  • जमाखोरी पर अंकुश लगाने स्टॉक लिमिट तय करने के लिए आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन संभव है.
  • किसानों को शीघ्र भुगतान दिलाने का प्रावधान भी संभव है.
  • विवाद की स्थिति में किसानों को कोर्ट जाने का अधिकार भी संभव है.

रविंद्र चौबे ने यह भी कहा कि पंजाब के जैसे कानून बनाता तो शायद ये बातें हो सकती थी. एग्रीकल्चर ट्रेड के आधार पर सभी कानून बनाए गए हैं. राज्य की सूची में कृषि शामिल है. केंद्र सरकार से टकराहट के लिए कानून नहीं है, बल्कि किसानों की मदद के लिए है.

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का कांग्रेस सरकार विरोध कर रही है. इसे पूंजीपतियों को फायदे पहुंचाने वाला कानून बता रही है. संसद ने किसानों के लिए 3 नए कानून बनाए हैं.

  • पहला है 'कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020'.

इसमें केंद्र सरकार कह रही है कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है. किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे.

  • दूसरा है 'कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020'

इस विधेयक में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है. सरकार का कहना है कि ये बिल कृषि उत्‍पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक्‍त करता है.

  • तीसरा है 'आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020'

इस बिल में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्‍याज आलू को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान है. सरकार का कहना है कि विधेयक के प्रावधानों से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा क्योंकि बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी.

Last Updated : Oct 26, 2020, 7:43 PM IST

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